द हिंदू: 2 दिसंबर 2025 को प्रकाशित।
चर्चा में क्यों?
भारत के सुप्रीम कोर्ट ने ‘डिजिटल आरेस्ट’ स्कैम के बढ़ते मामलों की जाँच के लिए केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) को देशव्यापी जांच करने का निर्देश दिया है। इन स्कैमों से 3,000 करोड़ रुपये से अधिक का नुकसान हुआ है, और इसके मुख्य पीड़ित वरिष्ठ नागरिक रहे हैं। कोर्ट ने CBI को राज्य की सहमति नियमों को दरकिनार करने का अधिकार देते हुए इस साइबर अपराध से निपटने की आवश्यकता पर जोर दिया।
डिजिटल आरेस्ट क्या है?
डिजिटल आरेस्ट स्कैम में धोखेबाज सरकारी अधिकारियों—जैसे पुलिस, CBI एजेंट या RBI कर्मचारी—का बहाना बनाकर फर्जी कॉल, नकली दस्तावेज और कोर्ट आदेशों का इस्तेमाल करते हैं। पीड़ितों को डराकर पैसा भेजने, बैंक विवरण साझा करने या फर्जी FIR और जुर्माने भरने के लिए मजबूर किया जाता है। वरिष्ठ नागरिक सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं।
पृष्ठभूमि
कई सिम कार्ड जारी करने और कमजोर सत्यापन प्रक्रियाओं के कारण स्कैमर्स गुमनाम तरीके से काम कर पाते हैं। कई स्कैम दक्षिण-पूर्व एशिया से संचालित होते हैं, जिसमें भारत आधारित कॉल सेंटर्स मदद करते हैं। शिकायतों में वृद्धि के कारण सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीयकृत जांच का आदेश दिया और दूरसंचार, बैंकिंग और IT क्षेत्रों से सहयोग सुनिश्चित किया।
पहचाने गए स्कैम प्रकार
आगे का रास्ता
यह कदम न्यायपालिका की सक्रिय भूमिका को दर्शाता है, नागरिकों की सुरक्षा और विश्वास बहाल करने के साथ-साथ समकालीन भारत में शासन और कानूनी चुनौतियों पर भी प्रकाश डालता है।