द हिंदू: 11 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों:
तहव्वुर हुसैन राना, जो पाकिस्तानी मूल के कनाडाई-अमेरिकी नागरिक हैं और 26/11 मुंबई आतंकी हमले की साजिश में वांछित थे, को अमेरिका से प्रत्यर्पण के बाद राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने दिल्ली में गिरफ्तार किया। यह भारत की आतंकवाद के खिलाफ कार्रवाई में एक बड़ी कूटनीतिक और कानूनी जीत मानी जा रही है।
क्या हुआ:
9 अप्रैल, 2025 को राना को विशेष विमान से दिल्ली लाया गया और एनआईए ने उसे आधिकारिक रूप से गिरफ्तार किया।
उन्हें दिल्ली की पटियाला हाउस अदालत में पेश किया गया, जहां एनआईए द्वारा मांगी गई 20 दिन की हिरासत पर आदेश सुरक्षित रखा गया।
दिल्ली पुलिस ने सुरक्षा कारणों से मीडिया और आम लोगों को अदालत परिसर से हटाया।
तहव्वुर राना कौन हैं?
राना का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और वे वहां पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहे।
बाद में उन्होंने कनाडा और अमेरिका की नागरिकता प्राप्त की।
वे डेविड कोलमैन हेडली (दाऊद गिलानी) के करीबी मित्र थे, जो लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का ऑपरेटिव था और 26/11 हमलों की रेकी का जिम्मेदार था।
राना ने हेडली को मुंबई में ऑफिस खोलने और बिजनेस वीज़ा दिलाने में मदद की थी।
पृष्ठभूमि: 26/11 मुंबई हमले
26 से 29 नवंबर 2008 के बीच हुए इस हमले में 166 लोग मारे गए और 238 घायल हुए थे।
यह हमला पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा (LeT) द्वारा किया गया था।
हेडली ने भारत में 8 बार रेकी की, और इस दौरान राना से 231 बार संपर्क किया।
कानूनी प्रक्रिया:
गृह मंत्रालय के निर्देश पर 11 नवंबर 2009 को एनआईए ने केस दर्ज किया।
24 दिसंबर 2011 को राना, हेडली और अन्य 7 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की गई।
भारत ने दिसंबर 2019 में अमेरिका को प्रत्यर्पण का अनुरोध भेजा।
कानूनी कार्यवाही के क्रम में:
16 मई 2023 को अमेरिकी अदालत ने प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।
15 अगस्त 2024 को अपील कोर्ट ने फैसले को बरकरार रखा।
21 जनवरी 2025 को अमेरिकी सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
9 अप्रैल 2025 को राना को भारत को सौंप दिया गया।
राजनीतिक और कूटनीतिक प्रतिक्रिया:
भाजपा ने इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आतंकवाद पर जीरो टॉलरेंस नीति की जीत बताया।
कांग्रेस ने कहा कि यह यूपीए सरकार के समय से चली आ रही कूटनीतिक पहल का परिणाम है।
13 फरवरी 2025 को पीएम मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा एक संयुक्त बयान में प्रत्यर्पण की पुष्टि की गई थी।
सुरक्षा प्रबंध:
राना को तिहाड़ जेल के उच्च सुरक्षा वार्ड में रखने की व्यवस्था की गई है।
कोर्ट में पेशी के दौरान विशेष हथियारों से लैस वाहन, जेल वैन, और एंबुलेंस साथ मौजूद थीं।
महत्व और प्रभाव:
26/11 मामले में बड़ी प्रगति, मुख्य साजिशकर्ताओं तक पहुंच।
भारत की लगातार कूटनीतिक और कानूनी कोशिशों का परिणाम।
भारत और अमेरिका के बीच आतंकवाद विरोधी सहयोग को और बल।
पाकिस्तान में पल रहे आतंकी नेटवर्क की वैश्विक निंदा और जवाबदेही की दिशा में कदम।
आतंकवाद के विरुद्ध भारत की अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर मजबूत स्थिति।