द हिंदू: 24 जनवरी 2025 को प्रकाशित:
खबर में क्यों है?
आर्थिक चिंताएँ: राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन रूस की युद्धकालीन अर्थव्यवस्था को लेकर चिंतित हैं, जो श्रम की कमी और रिकॉर्ड सैन्य खर्च के कारण दबाव में है।
भूराजनीतिक संदर्भ: संघर्ष विराम वार्ता की संभावनाएँ तब बढ़ीं जब रूस पर अंतर्राष्ट्रीय दबाव और आर्थिक समस्याएँ तेज हो गईं।
ट्रंप का प्रभाव: डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता में वापसी और उनका यूक्रेन संघर्ष को हल करने और रूस पर नए प्रतिबंध लगाने की चेतावनी इस मुद्दे को और गंभीर बनाती है।
आर्थिक परिप्रेक्ष्य:
प्रतिबंधों के बावजूद वृद्धि: तेल, गैस और खनिज निर्यात के कारण रूस की अर्थव्यवस्था शुरूआती वर्षों में प्रतिबंधों के बावजूद मजबूत बनी रही।
वर्तमान चुनौतियाँ:
राजनीतिक और रणनीतिक संदर्भ
क्रेमलिन का रुख:
पुतिन संघर्ष विराम वार्ता के लिए तैयार दिखते हैं, लेकिन वह रूस द्वारा कब्जा किए गए क्षेत्रों को मान्यता देने और यूक्रेन के नाटो में शामिल होने की योजना छोड़ने की शर्त पर जोर देते हैं।
आधिकारिक बयान आर्थिक समस्याओं को कम करके दिखाते हैं और सैन्य तथा सामाजिक जरूरतों को पूरा करने की क्षमता पर बल देते हैं।
ट्रंप की स्थिति:
यूक्रेन संघर्ष को जल्द हल करने की वकालत।
रूस पर अतिरिक्त प्रतिबंध और शुल्क लगाने की चेतावनी, जिससे उसकी आर्थिक परेशानियाँ बढ़ सकती हैं।
सैन्य और सुरक्षा आयाम:
रिकॉर्ड सैन्य खर्च: रूस का सैन्य और रक्षा बजट उच्चतम स्तर पर है, जिससे अर्थव्यवस्था पर और दबाव बढ़ रहा है।
यूक्रेन संघर्ष की स्थिति:
युद्ध जारी रहने से रूसी अभिजात वर्ग में कूटनीतिक समाधान की भावना बढ़ रही है।
रूस का क्षेत्रीय नियंत्रण बनाए रखने का आग्रह किसी भी संघर्ष विराम समझौते को जटिल बना रहा है।
वैश्विक प्रभाव:
आर्थिक परिणाम: लंबे संघर्ष से वैश्विक ऊर्जा बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है, खासकर जब पश्चिमी प्रतिबंध रूस के निर्यात को सीमित करते हैं।
राजनयिक दबाव: अमेरिका और उसके पश्चिमी सहयोगी रूस को वार्ता के लिए मजबूर करने के लिए प्रतिबंधों को और तेज कर सकते हैं।
यूक्रेन का रुख: अपनी संप्रभुता और नाटो में शामिल होने की योजनाओं से समझौता करने के लिए तैयार न होने के कारण संघर्ष लंबा खिंच सकता है।
संभावित परिणाम:
अल्पकालिक:
दीर्घकालिक: