'अमेरिकी सरकार द्वारा लंबे समय तक बंद रखने से बाज़ार जोखिम बढ़ सकता है':

'अमेरिकी सरकार द्वारा लंबे समय तक बंद रखने से बाज़ार जोखिम बढ़ सकता है':

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द हिंदू: 3 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों:

अमेरिकी सरकार के लंबे समय तक बंद रहने (शटडाउन) के कारण कई सरकारी कार्य रुक गए हैं। बजट पारित न होने से उत्पन्न इस राजनीतिक गतिरोध ने अमेरिकी अर्थव्यवस्था और वैश्विक बाजारों में जोखिम बढ़ा दिए हैं। इससे फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीतियों पर भी असर पड़ सकता है।

 

पृष्ठभूमि:

अमेरिकी सरकार में “शटडाउन” तब होता है जब कांग्रेस बजट पारित करने में विफल रहती है, जिससे कई सरकारी सेवाएँ बंद हो जाती हैं।

अब तक औसतन ये शटडाउन 8 दिनों तक चले हैं, पर कुछ (जैसे 2018–19) 30 दिन से अधिक चले।

वर्तमान शटडाउन ऐसे समय में हुआ है जब अमेरिका की राजकोषीय स्थिति कमजोर, क्रेडिट रेटिंग घटाई गई, और व्यापारिक शुल्क (टैरिफ) की समस्याएँ बनी हुई हैं।

 

मुख्य बिंदु:

आर्थिक मंदी की आशंका (GDP में गिरावट 2.4% तक)

निवेशकों का भरोसा कम होना

फेडरल रिजर्व के पास सटीक आंकड़े न होने से नीति निर्माण में कठिनाई

सरकारी कर्मचारियों की छुट्टी (फर्लो), खर्च में कमी

वित्तीय अनुशासन और साख पर सवाल

 

आर्थिक प्रभाव (Hindi):

हर सप्ताह GDP में 0.1–0.2% की गिरावट संभव।

उपभोक्ता विश्वास में गिरावट (2018–19 में 7% तक)।

अमेरिकी डॉलर और ट्रेजरी बॉन्ड पर दबाव बढ़ सकता है।

दीर्घकाल में बाज़ारों की रिकवरी संभव है, लेकिन अल्पकालिक अस्थिरता निश्चित।

 

राजनीतिक दृष्टिकोण:

राष्ट्रपति और कांग्रेस के बीच बजट पर टकराव इसका कारण है।

ट्रंप प्रशासन की “सरकारी ढांचे को छोटा करने” की नीति से तनाव बढ़ा है।

आम जनता में असंतोष बढ़ सकता है, जिससे सत्ताधारी दल की छवि को नुकसान हो सकता है।

 

बाज़ार पर प्रभाव :

शेयर बाज़ार में उतार-चढ़ाव बढ़ेगा।

निवेशक सुरक्षित निवेश (बॉन्ड्स) की ओर रुख कर सकते हैं।

ADP जैसे निजी आंकड़ों पर निर्भरता बढ़ेगी क्योंकि सरकारी आंकड़े रुक जाएंगे।

 

विशेषज्ञों की राय(Hindi):

एरिक कुबी: बाजार पहले से अधिक मूल्यांकित हैं, शटडाउन मंदी को बढ़ाएगा।

ब्रायन शिपली: लंबे शटडाउन से वैश्विक निवेशकों का भरोसा हिल सकता है।

लॉरेन गुडविन: उपभोक्ता विश्वास पर गंभीर असर।

पीटर कार्डिलो: फेड के लिए नीति निर्धारण मुश्किल होगा।

जैक एब्लिन: प्रभाव अस्थायी है, सरकार खुलने पर बाजार सुधरेंगे।

 

वैश्विक प्रभाव (Hindi):

अमेरिका की साख पर असर, जिससे विदेशी निवेशक सतर्क रहेंगे।

उभरते बाजारों से पूंजी निकासी की संभावना।

वैश्विक मुद्रा बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है।

 

भविष्य की संभावना (Hindi):

दो सप्ताह में शटडाउन समाप्त होने पर असर सीमित रहेगा।

यदि यह चार सप्ताह से अधिक चला, तो

फेड की नीति में अस्पष्टता बढ़ेगी,

GDP में तेज गिरावट आएगी,

निवेशकों का भरोसा घटेगा,

अमेरिका की वित्तीय साख पर असर पड़ेगा।

 

सारांश:

वर्तमान अमेरिकी शटडाउन से अर्थव्यवस्था और बाजारों में अनिश्चितता बढ़ी है। पिछली बार की तुलना में यह स्थिति अधिक जटिल है क्योंकि इस बार ऋण रेटिंग में गिरावट, आर्थिक सुस्ती और नीतिगत अस्थिरता जैसे कारक भी जुड़े हैं। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि शटडाउन समाप्त होने के बाद अर्थव्यवस्था फिर संभल जाएगी, परंतु इससे अमेरिका की वित्तीय स्थिरता पर प्रश्नचिह्न अवश्य लगा है।

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