ट्रम्प की गाजा टिप्पणी के बाद फिलिस्तीनियों को 1948 के सामूहिक निष्कासन की पुनरावृत्ति का डर:

ट्रम्प की गाजा टिप्पणी के बाद फिलिस्तीनियों को 1948 के सामूहिक निष्कासन की पुनरावृत्ति का डर:

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द हिंदू: 6 फरवरी 2025 को प्रकाशित:

 

चर्चा में क्यों है?

गाजा में जारी युद्ध के कारण 17 लाख से अधिक फ़िलिस्तीनी विस्थापित हो चुके हैं, जो 1948 के अरब-इज़राइल युद्ध में शरणार्थी बने लोगों की संख्या से अधिक है। अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टिप्पणी, जिसमें उन्होंने गाजा से विस्थापित फ़िलिस्तीनियों को स्थायी रूप से बसाने और अमेरिका द्वारा गाजा पर "स्वामित्व" लेने की बात कही, ने 1948 की नाकबा (catastrophe) जैसी एक और सामूहिक निर्वासन की आशंका बढ़ा दी है।

 

ऐतिहासिक संदर्भ

1948 में, लगभग 7,00,000 फ़िलिस्तीनी अरब-इज़राइली युद्ध के दौरान और बाद में अपने घरों से बेदखल कर दिए गए थे।

इज़राइल ने उन्हें वापस लौटने की अनुमति नहीं दी, जिससे वे स्थायी शरणार्थी बन गए, जिनकी संख्या अब 60 लाख से अधिक हो चुकी है।

शरणार्थी संकट इज़राइल-फ़िलिस्तीन संघर्ष के प्रमुख विवादों में से एक है।

 

वर्तमान संकट और 1948 से तुलना

7 अक्टूबर को हमास के हमले के बाद भड़के युद्ध में 47,000 से अधिक फ़िलिस्तीनी मारे जा चुके हैं। 

गाजा की 75% आबादी (लगभग 17 लाख लोग) विस्थापित हो चुकी है, कई बार अपने घर छोड़ने को मजबूर हुई।

कई बुजुर्ग, जो 1948 की नाकबा के गवाह थे, इसे उससे भी अधिक भयावह त्रासदी मान रहे हैं।

 

ट्रंप की टिप्पणी और वैश्विक प्रतिक्रिया

ट्रंप ने सुझाव दिया कि गाजा के विस्थापित फ़िलिस्तीनियों को किसी अन्य स्थान पर स्थायी रूप से बसाया जाए और अमेरिका गाजा की जिम्मेदारी ले।

इज़राइल के कट्टरपंथी नेता इसे "स्वैच्छिक प्रवास" बता रहे हैं, लेकिन 

अंतर्राष्ट्रीय समुदाय किसी भी प्रकार के जबरन विस्थापन का विरोध कर रहा है। 

 

मानवीय संकट और भविष्य की अनिश्चितता

  • गाजा में हालात बदतर हो चुके हैं, जहां 4,50,000 लोग अस्थायी शिविरों में रहने को मजबूर हैं।
  • संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, नष्ट हो चुके घरों के पुनर्निर्माण में 2040 तक का समय लग सकता है।
  • आशंका है कि यदि फ़िलिस्तीनी जबरन निर्वासित नहीं भी किए गए, तो भी वे अपने घरों को कभी वापस नहीं लौट पाएंगे। 
  • इज़राइल और मिस्र ने अपनी सीमाओं को बंद कर दिया है, जिससे शरणार्थियों के पास कोई विकल्प नहीं बचा है।

 

व्यापक प्रभाव

  • गाजा में तबाही की तुलना 1948 के उन फ़िलिस्तीनी गाँवों के विनाश से की जा रही है, जिन्हें युद्ध के बाद पूरी तरह मिटा दिया गया था।
  • मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि इज़राइल लंबे समय से ऐसी नीतियां अपना रहा है, जिनका उद्देश्य फ़िलिस्तीनियों को धीरे-धीरे गाजा, वेस्ट बैंक और पूर्वी यरुशलम से बेदखल करना है।
  • यह संघर्ष ऐतिहासिक आक्रोश और असमानताओं में जकड़ा हुआ है, जिससे शांति की संभावना और भी क्षीण होती जा रही है।

 

निष्कर्ष:

गाजा में युद्ध ने एक दूसरी नाकबा की आशंका बढ़ा दी है, जहां विस्थापन, विनाश और भू-राजनीतिक तनाव चरम पर पहुंच गए हैं। ट्रंप की टिप्पणियां, इज़राइली सैन्य कार्रवाई और बस्तियों के विस्तार की नीतियां यह संकेत देती हैं कि फ़िलिस्तीनियों का भविष्य अनिश्चित बना हुआ है।  

 

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