द हिंदू: 8 मई 2025 को प्रकाशित:
क्यों चर्चा में है?
अप्रैल 2025 के पहलगाम आतंकी हमले (26 नागरिकों की मौत) में लश्कर-ए-तैयबा के पाक प्रशिक्षित आतंकियों की पुष्टि।
FATF और संयुक्त राष्ट्र द्वारा पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव।
कश्मीर व अफगानिस्तान में पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद में तेजी से वृद्धि।
पाकिस्तानी नेताओं के हालिया स्वीकारोक्ति बयान — जैसे बिलावल भुट्टो का “हमने पश्चिम के लिए गंदा काम किया”।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
1979 का सोवियत-अफगान युद्ध: आईएसआई ने अमेरिका की सहायता से जेहादी नेटवर्क तैयार किया।
1990 के दशक में लश्कर-ए-तैयबा, और 2000 में जैश-ए-मोहम्मद का गठन।
पाकिस्तान की रणनीति — आतंकवाद को “रणनीतिक संपत्ति” के रूप में उपयोग करना।
FATF द्वारा बार-बार ग्रे लिस्ट में डाला जाना — वैश्विक समुदाय की चिंता का प्रतीक।
प्रमुख आतंकी संगठन और संरचना
a. लश्कर-ए-तैयबा (LeT)
नेता: हाफिज सईद (यूएन द्वारा आतंकवादी घोषित)।
संरचना: 200 एकड़ का मुख्यालय, 300+ मदरसे, 16+ प्रशिक्षण शिविर।
प्रमुख हमले: 2008 मुंबई हमला, 2006 लोकल ट्रेन धमाके।
वित्त पोषण: ISI ($25–50 मिलियन), खाड़ी देशों के दानदाता, रियल एस्टेट आदि।
वैश्विक पहुंच: 21 देशों में नेटवर्क, नेपाल-बांग्लादेश में सक्रिय।
b. जैश-ए-मोहम्मद (JeM)
नेता: मसूद अजहर (IC-814 विमान अपहरण के बाद रिहा)।
विचारधारा: देवबंदी कट्टरपंथ + आत्मघाती हमलों का महिमामंडन।
संरचना: बहावलपुर मुख्यालय, बालाकोट व PoK में 11 प्रशिक्षण शिविर।
प्रमुख हमले: 2001 संसद हमला, 2019 पुलवामा आत्मघाती हमला।
वित्त पोषण: अल-रहमत ट्रस्ट ($10–15 मिलियन), ISI, अचल संपत्ति।
c. हक्कानी नेटवर्क
ISI का अर्ध-स्वायत्त अंग, अफगान-पाक सीमा पर सक्रिय।
नेता सिराजुद्दीन हक्कानी वर्तमान अफगान गृहमंत्री हैं (अमेरिका द्वारा $10 मिलियन इनाम घोषित)।
d. इस्लामिक स्टेट - खुरासान (ISIS-K)
TTP के भटके हुए गुटों से बना; पाकिस्तान की संकेतात्मक सहमति प्राप्त।
e. हरकत-उल-मुजाहिदीन (HuM)
धार्मिक संस्थानों से भर्ती कर LeT व JeM को भेजने वाला प्रशिक्षण माध्यम।
पाकिस्तान सरकार की भूमिका
ISI का "S-Wing" रणनीति, वित्त पोषण व संचालन संभालता है।
सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी संचालन में सक्रिय।
साक्ष्य:
परवेज मुशर्रफ: “हमने आतंकियों को कश्मीर के लिए ट्रेन किया।”
नवाज़ शरीफ़: “राज्य द्वारा आतंकवाद को समर्थन दिया गया।”
बिलावल भुट्टो: “हमने पश्चिम के लिए गंदे काम किए।”
वित्तीय तंत्र
धार्मिक संगठन/NGO: 40+ संगठन सालाना $150–200 मिलियन इकट्ठा करते हैं।
राज्य फंडिंग: $100–125 मिलियन (गुप्त सैन्य बजट)।
हवाला नेटवर्क: दुबई, कराची, पेशावर मुख्य केंद्र।
नशीले पदार्थों की तस्करी: $75 मिलियन सालाना।
क्रिप्टोकरेंसी: 2023 में $15 मिलियन से अधिक लेन-देन।
कट्टरपंथी नेटवर्क
30,000+ मदरसे; जिनमें 10–15% आतंकवादी नेटवर्क से जुड़े।
धार्मिक शिक्षा में जिहाद को महिमामंडित किया जाता है।
गरीब और बेरोजगार युवाओं को निशाना बनाकर लगातार भर्ती की जाती है।
विकास और परिवर्तनशीलता
1990s: कश्मीर में सीधे हमले।
2000s: आत्मघाती आतंकवाद की शुरुआत।
9/11 के बाद: संचालन और अधिक संगठित एवं गुप्त।
2021: तालिबान के अफगानिस्तान में लौटने से फिर से शक्ति प्राप्त हुई।
2023-24: LeT, JeM और तालिबान सहयोग में वृद्धि।
क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभाव
भारत सबसे अधिक प्रभावित, निरंतर आतंकी हमलों का सामना।
दक्षिण एशिया में स्थायित्व को खतरा।
न्यूक्लियर-आतंक गठजोड़ की आशंका।
संयुक्त राष्ट्र व FATF जैसे वैश्विक नियमों को चुनौती।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया
FATF द्वारा बार-बार ग्रे लिस्ट में डालना।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, भारत सहित कई देशों का दबाव।
प्रतिबंध, यात्रा प्रतिबंध, संपत्ति जब्ती जैसे कदम उठाए गए हैं।
पाकिस्तान की “अच्छे और बुरे आतंकवादी” की नीति पर वैश्विक नाराजगी।
निष्कर्ष और आगे की राह
पाकिस्तान का आतंकी ढांचा राज्य प्रायोजित और संस्थागत रूप से संरक्षित है। यह तंत्र:
दशकों से जीवित है,
लगातार विकसित हो रहा है,
आर्थिक रूप से मज़बूत है,
और नई पीढ़ियों को कट्टरपंथी बना रहा है।
आगे की राह:
अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को लगातार और निर्णायक दबाव बनाए रखना चाहिए।
केवल नाम बदलने से नहीं, पूर्ण उन्मूलन जरूरी है।
पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों की जवाबदेही सुनिश्चित हो।
क्षेत्रीय व वैश्विक आतंकवाद विरोधी सहयोग को सशक्त किया जाए।