जैव विविधता और पर्यावरण से संबंधित मुद्दे
स्रोत: पीआईबी
चर्चा में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने वन ओशन समिट के उच्च-स्तरीय सत्र को संबोधित किया।
वन ओशन समिट का आयोजन फ्राँस द्वारा संयुक्त राष्ट्र और विश्व बैंक के सहयोग से फ्राँस के ब्रेस्ट में किया गया।
इस शिखर सम्मेलन के उच्च स्तरीय सत्र को जर्मनी, यूनाइटेड किंगडम, दक्षिण कोरिया, जापान, कनाडा सहित कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों व शासनाध्यक्षों ने संबोधित किया।
महासागरों का महत्त्व:
‘वन ओशन समिट’ का लक्ष्य:
शिखर सम्मेलन में भारत का रुख:
महासागरों की सुरक्षा हेतु अन्य वैश्विक पहल:
संयुक्त राष्ट्र महासागर सम्मेलन: वर्ष 2017 में संयुक्त राष्ट्र के महासागर सम्मेलन ने महासागरों, समुद्रों और समुद्री संसाधनों के संरक्षण व सतत् उपयोग के लिये कार्रवाई करने की मांग की।
अगला सम्मेलन वर्ष 2022 में आयोजित किया जाएगा।
सतत् विकास के लिये महासागर विज्ञान का एक दशक: समुद्र के स्तर में गिरावट के चक्र को उलटने के प्रयासों का समर्थन करने और दुनिया भर में महासागर हितधारकों को एक सामान्य ढाँचा प्रदान करने हेतु सतत् विकास (2021-2030) के महासागर विज्ञान के एक दशक की घोषणा की गई है जो यह सुनिश्चित करेगा कि महासागर विज्ञान महासागर के सतत् विकास के लिये बेहतर परिस्थितियों को बनाने में देशों का पूरी तरह से समर्थन कर सकता है।
विश्व महासागर दिवस: प्रतिवर्ष 8 जून को विश्व महासागर दिवस मनाया जाता है जो हमारे रोज़मर्रा के जीवन में महासागरों की भूमिका के प्रति जागरूकता फैलाने और महासागर की रक्षा करने तथा समुद्री संसाधनों का सतत् उपयोग करने हेतु प्रेरक कार्रवाई के लिये संयुक्त राष्ट्र दिवस है।
भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता: वर्ष 2019 में भारत और नॉर्वे की सरकारों ने एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर कर भारत-नॉर्वे महासागर वार्ता की स्थापना की और महासागरों पर अधिक निकटता से कार्य करने पर सहमति जताई।
इंडो-पैसिफिक ओशन इनिशिएटिव (IPOI): यह देशों के लिये एक खुली गैर-संधि आधारित पहल है जो इस क्षेत्र में आम चुनौतियों के सहकारी और सहयोगी समाधान हेतु मिलकर कार्य करती है।
IPOI सात स्तंभों- समुद्री सुरक्षा, समुद्री पारिस्थितिकी, समुद्री संसाधन, क्षमता निर्माण और संसाधन साझा करना, आपदा ज़ोखिम न्यूनीकरण एवं प्रबंधन विज्ञान, प्रौद्योगिकी तथा शैक्षणिक सहयोग व व्यापार संपर्क एवं समुद्री परिवहन पर ध्यान केंद्रित करने के लिये मौजूदा क्षेत्रीय वास्तुकला और तंत्र पर आधारित है।
ग्लोलिटर पार्टनरशिप प्रोजेक्ट: इसे अंतर्राष्ट्रीय समुद्री संगठन (IMO) और यूएन (FAO) के खाद्य और कृषि संगठन ने शुरू किया है तथा यह नॉर्वे सरकार द्वारा प्रारंभिक रूप से वित्तपोषित है। इसका उद्देश्य शिपिंग और मत्स्य पालन से समुद्री प्लास्टिक कूड़े के उत्पादन को रोकना और कम करना है।