NISAR मिशन

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स्रोत: द हिंदू

चर्चा में क्यों?

हाल ही में संयुक्त राज्य अमेरिका के कैलिफोर्निया स्थित नासा की जेट प्रोपल्शन लेबोरेटरी (JPL) ने NISAR (NASA-ISRO सिंथेटिक एपर्चर रडार) को रवाना किये जाने के संबंध में एक कार्यक्रम आयोजित किया।

दो अलग-अलग रडार फ्रीक्वेंसी (L-बैंड और S-बैंड) का उपयोग करते हुए NISAR अंतरिक्ष में पृथ्वी को व्यवस्थित रूप से स्कैन करने वाला अपनी तरह का पहला रडार होगा। यह हमारे ग्रह की सतह पर होने वाले एक सेंटीमीटर से कम तक के परिवर्तनों को भी मापेगा।

NISAR मिशन:

परिचय:

NISAR को वर्ष 2014 में हस्ताक्षरित एक साझेदारी समझौते के तहत अमेरिका और भारत की अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा तैयार किया गया है।

उम्मीद है कि इसे जनवरी 2024 में सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निकट-ध्रुवीय कक्षा में लॉन्च किया जाएगा।

  • यह उपग्रह कम-से-कम तीन वर्ष तक काम करेगा।
  • यह एक निम्न पृथ्वी कक्षा (Low Earth Orbit -LEO) वेधशाला है।
  • यह 12 दिन में पूरे विश्व का मानचित्रण कर लेगा।

विशेषता:

  1. यह 2,800 किलोग्राम का उपग्रह है जिसमें L-बैंड और S-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (SAR) उपकरण शामिल हैं, जिस कारण इसे दोहरी आवृत्ति इमेजिंग रडार उपग्रह कहा जाता है।
  2. नासा द्वारा डेटा स्टोर करने के लिये L-बैंड रडार, GPS, एक उच्च क्षमता वाला सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर और एक पेलोड डेटा सब-सिस्टम प्रदान किया गया है, जबकि ISRO ने S-बैंड रडार, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (GSLV) प्रक्षेपण प्रणाली तथा अंतरिक्ष यान प्रदान किया है।
  3. S-बैंड रडार 8-15 सेंटीमीटर की तरंगदैर्ध्य (Wavelength) और 2-4 गीगाहर्ट्ज़ की आवृत्ति (frequency) पर काम करते हैं। इस तरंगदैर्ध्य और आवृत्ति के कारण वे आसानी से क्षीण नहीं होते हैं। यह उन्हें निकट एवं दूर के मौसम अवलोकन के लिये उपयोगी बनाता है।
  4. इसमें 39 फुट का स्थिर एंटीना रिफ्लेक्टर लगा हुआ है, जो सोने की परत वाले तार की जाली से बना है; रिफ्लेक्टर का उपयोग "उपकरण संरचना पर ऊपर की ओर फीड द्वारा उत्सर्जित और प्राप्त रडार सिग्नल" पर केंद्रित करने के लिये किया जाएगा।
  5. SAR का उपयोग करके NISAR उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियाँ प्रस्तुत करेगा। बादलों का SAR पर कुछ विशेष प्रभाव नहीं पड़ता, ये मौसम की स्थिति की परवाह किये बिना दिन और रात डेटा एकत्र कर सकते हैं।
  6. नासा को अपने विज्ञान संबंधी वैश्विक संचालन के लिये कम-से-कम तीन वर्षों के लिये L-बैंड रडार की आवश्यकता है। इस बीच इसरो कम-से-कम पाँच वर्षों के लिये S-बैंड रडार का उपयोग करेगा।

NISAR के अपेक्षित लाभ:

  • पृथ्वी विज्ञान: NISAR पृथ्वी की सतह में परिवर्तन, प्राकृतिक खतरों और पारिस्थितिकी तंत्र की विकृति के बारे में डेटा एवं जानकारी प्रदान करेगा, जिससे पृथ्वी प्रणाली प्रक्रियाओं तथा जलवायु परिवर्तन की हमारी समझ को बढ़ाने में मदद मिलेगी।
  • आपदा प्रबंधन: मिशन तेज़ी से प्रतिक्रिया समय और बेहतर जोखिम आकलन कर भूकंप, सूनामी एवं ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं के प्रबंधन में मदद के लिये महत्त्वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा।
  • कृषि: NISAR डेटा का उपयोग फसल वृद्धि, मृदा की नमी और भूमि उपयोग में बदलाव के बारे में जानकारी प्रदान करके कृषि प्रबंधन एवं खाद्य सुरक्षा में सुधार हेतु किया जाएगा।
  • इंफ्रास्ट्रक्चर मॉनिटरिंग: मिशन इंफ्रास्ट्रक्चर मॉनिटरिंग और प्रबंधन हेतु डेटा मुहैया कराएगा, जैसे- तेल रिसाव, शहरीकरण एवं वनों की कटाई की निगरानी।
  • जलवायु परिवर्तन: NISAR पिघलते ग्लेशियरों, समुद्र के स्तर में वृद्धि और कार्बन भंडारण में परिवर्तन सहित पृथ्वी की सतह पर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों की निगरानी एवं समझने में मदद करेगा।
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