नई रोजगार गारंटी योजना आपूर्ति-आधारित होगी

नई रोजगार गारंटी योजना आपूर्ति-आधारित होगी

Static GK   /   नई रोजगार गारंटी योजना आपूर्ति-आधारित होगी

Change Language English Hindi

द हिंदू | प्रकाशित: 16 दिसंबर 2025

 

चर्चा मे क्यों?

दिसंबर 2025 में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने MGNREGA, 2005 के स्थान पर VB-GRAMG विधेयक को मंजूरी दी। इस विधेयक को सांसदों के बीच “विकसित भारत–समन्वित ग्रामीण रोजगार ढांचा” के रूप में प्रसारित किया गया है। सरकार इसे सुधारोन्मुख और वित्तीय रूप से विवेकपूर्ण कदम बता रही है, जबकि विपक्ष और नागरिक समाज संगठनों का आरोप है कि इससे काम के कानूनी अधिकार में कमी और अत्यधिक केंद्रीकरण होगा।

 

परिवर्तन की दिशा: मांग-आधारित से आपूर्ति-आधारित रोजगार

  • MGNREGA मांग पर रोजगार की कानूनी गारंटी देता था, जिससे राज्य पर काम देने या बेरोजगारी भत्ता देने की जवाबदेही बनती थी।
  • VB-GRAMG एक आवंटन-आधारित मॉडल की ओर बदलाव करता है, जो बजटीय सीमाओं और प्रशासनिक विवेक पर निर्भर होगा।
  • अब रोजगार केवल श्रमिक की मांग से स्वतः सुनिश्चित नहीं होगा।
  • विधेयक में वार्षिक रोजगार सीमा 125 दिन तक बढ़ाई गई है।
  • केंद्र सरकार को अधिकार मिलेगा कि वह:
    • मौसमी विराम लागू करे
    • केंद्र द्वारा अधिसूचित ग्रामीण जिलों तक कवरेज सीमित करे
  • इससे MGNREGA की सार्वभौमिक, वर्षभर रोजगार की प्रकृति समाप्त होती है और ग्रामीण संकट के समय बहिष्करण की आशंका बढ़ती है।

 

वित्त पोषण ढांचे में बदलाव और संघवाद संबंधी चिंताएं

  • MGNREGA के तहत कुल व्यय का लगभग 90% केंद्र वहन करता था, जिसमें पूर्ण मजदूरी लागत शामिल थी।
  • VB-GRAMG में केंद्र का हिस्सा घटकर 60% रह जाता है।
  • राज्यों का योगदान बढ़कर 40% हो जाएगा; विशेष श्रेणी के राज्यों के लिए पुराना अनुपात जारी रहेगा।
  • यह वित्तीय बदलाव विधेयक में कानूनी रूप से निहित है।
  • राज्यों का तर्क है कि:
    • बढ़ा हुआ वित्तीय बोझ बजट पर दबाव डालेगा
    • सामाजिक क्षेत्र के व्यय पर प्रतिकूल असर पड़ सकता है
  • “वस्तुनिष्ठ मानकों” के आधार पर केंद्र द्वारा आवंटन की शक्ति से:
    • पारदर्शिता
    • सहकारी एवं वित्तीय संघवाद पर सवाल खड़े होते हैं

 

मुख्य प्रावधान: संभावनाएं और चुनौतियां

समर्थकों के अनुसार VB-GRAMG में आधार प्रमाणीकरण, संपत्तियों की जियो-टैगिंग, मोबाइल-आधारित निगरानी और कार्यों के बेहतर लक्ष्यीकरण जैसी तकनीकी पहलें शामिल हैं। मौसमी विराम का प्रावधान कृषि के चरम मौसम में श्रम की कमी रोकने और कौशल विकास को बढ़ावा देने के लिए बताया जाता है।

आलोचकों का कहना है कि इन लाभों की कीमत कानूनी अधिकारों के क्षरण के रूप में चुकानी पड़ सकती है। बजट सीमा के कारण मांग होने पर भी काम न मिलना संभव है। जिलों की केंद्रीय अधिसूचना से राज्यों की स्वायत्तता घटती है, जबकि राज्यों पर बढ़ा वित्तीय बोझ गरीब राज्यों के लिए योजना के पूर्ण उपयोग में बाधक बन सकता है।

 

राजनीतिक और नागरिक समाज की प्रतिक्रियाएं

सरकार ने विधेयक को दीर्घकालिक ग्रामीण परिवर्तन के लिए आवश्यक आधुनिक और टिकाऊ सुधार बताया है। विपक्ष का कहना है कि अधिकार-आधारित ढांचे को हटाने से ग्रामीण श्रमिकों की गरिमा और सौदेबाजी की शक्ति कमजोर होगी। सूचना के अधिकार और श्रम आंदोलनों से जुड़े नागरिक समाज समूहों ने इसे श्रमिकों को अधिकार-धारकों से लाभार्थी बनाने वाला कदम करार दिया है।

 

अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य

वैश्विक स्तर पर अधिकांश सार्वजनिक रोजगार कार्यक्रम समय-सीमित या परियोजना-आधारित होते हैं। MGNREGA कानूनी रूप से प्रवर्तनीय रोजगार गारंटी का एक दुर्लभ उदाहरण था। VB-GRAMG एक हाइब्रिड कल्याण मॉडल अपनाकर भारत को अंतरराष्ट्रीय मानकों के करीब लाता है, पर इससे एक विशिष्ट अधिकार-आधारित दृष्टिकोण कमजोर होता है।

 

सरकार का तर्क

उद्देश्यों और कारणों के विवरण के अनुसार, नया ढांचा संकट-जनित पलायन को कम करने, ग्रामीण कार्यों के साथ कौशल विकास को एकीकृत करने, सार्वजनिक व्यय को पूर्वानुमेय बनाने तथा विकसित भारत के दीर्घकालिक दृष्टिकोण का समर्थन करने के लिए तैयार किया गया है। सरकार का तर्क है कि वित्तीय अनुशासन और प्रशासनिक दक्षता सतत विकास के लिए अनिवार्य हैं।

हालिया आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024–25 में MGNREGA के तहत लगभग 260 करोड़ व्यक्ति-दिवस का रोजगार सृजित हुआ, जिसमें लगभग 60% लाभार्थी महिलाएं थीं, जो कार्यक्रम के व्यापक पैमाने और इससे जुड़ी वित्तीय चुनौतियों दोनों को रेखांकित करता है।

 

आगे की राह

दक्षता और समानता के बीच संतुलन आवश्यक है। पायलट परियोजनाओं के माध्यम से चरणबद्ध कार्यान्वयन, आवंटन के पारदर्शी मानदंड, राज्यों के साथ संस्थागत परामर्श, मजबूत शिकायत निवारण तंत्र, तथा वित्त आयोग–संबद्ध मुआवजा संघीय और सामाजिक चिंताओं को कम कर सकते हैं।

 

निष्कर्ष

VB-GRAMG भारत की कल्याणकारी संरचना में एक निर्णायक मोड़ का प्रतिनिधित्व करता है। MGNREGA में सुधार आवश्यक हो सकते हैं, पर किसी भी विकल्प को रोजगार को अधिकार के रूप में बनाए रखना चाहिए, न कि केवल रियायत के रूप में। VB-GRAMG की वास्तविक परीक्षा प्रशासनिक दक्षता और ग्रामीण सामाजिक न्याय के संतुलन में निहित होगी।

Other Post's
  • क्या भारत दोहरी नागरिकता के विचार के लिए तैयार है?

    Read More
  • हरियाणवी संस्कृति और उसके शब्द अर्थ

    Read More
  • पीएम मित्र योजना

    Read More
  • क्या इज़राइल गाज़ा में नरसंहार कर रहा है?:

    Read More
  • फील्ड मार्शल का राष्ट्र

    Read More