द हिंदू: 12 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
नेचर कैटालिसिस में प्रकाशित एक नवीन अध्ययन में एक इलेक्ट्रोकेमिकल प्रक्रिया विकसित की गई है, जो मूत्र में मौजूद यूरिया को पेरकारबामाइड (Percarbamide) नामक क्रिस्टलीय यौगिक में बदलती है। यह विधि अपशिष्ट जल उपचार में मदद करने के साथ-साथ मूत्र को कृषि के लिए एक उपयोगी संसाधन में बदल देती है।
शोध के प्रमुख बिंदु
हेनान विश्वविद्यालय, चीन के शोधकर्ताओं ने नाइट्रोजन चक्र में मौजूद एक महत्वपूर्ण कमी को दूर करने के लिए इस तकनीक को विकसित किया।
इस प्रक्रिया के माध्यम से मूत्र से उच्च शुद्धता वाली पेरकारबामाइड प्राप्त की गई, जो सक्रिय ऑक्सीजन छोड़कर फसल की वृद्धि में सहायता करती है।
ग्रेफाइटिक कार्बन उत्प्रेरक (Graphitic Carbon Catalysts) का उपयोग कर लगभग 100% शुद्धता के साथ मानव और पशु मूत्र से पेरकारबामाइड निकाला गया।
यह तकनीक पारंपरिक यूरिया निष्कर्षण की तुलना में कम ऊर्जा वाली और अधिक पर्यावरण-अनुकूल है।
इस प्रक्रिया का वैज्ञानिक आधार
हाइड्रोजन बॉन्डिंग: मूत्र में मौजूद यूरिया हाइड्रोजन पेरॉक्साइड के साथ हाइड्रोजन बॉन्ड बनाता है, जिससे पेरकारबामाइड बनता है, जिसे ठोस रूप में अलग किया जा सकता है।
दो प्रमुख मार्ग: सक्रिय ग्रेफाइटिक कार्बन उत्प्रेरक दो अलग-अलग रासायनिक प्रक्रियाओं को बढ़ावा देता है, जिससे पेरकारबामाइड का निर्माण होता है।
सर्वोत्तम स्थितियाँ: इस प्रक्रिया के लिए 15% से 38% यूरिया सांद्रता, हल्का अम्लीय pH (लगभग 4), और ठंडे तापमान सबसे अनुकूल हैं।
कृषि में महत्व
धीमी नाइट्रोजन रिलीज़: पेरकारबामाइड का उपयोग खाद के रूप में करने से नाइट्रोजन का धीरे-धीरे उत्सर्जन होता है, जिससे पौधों की वृद्धि में सहायता मिलती है।
मूल श्वसन में सुधार: यह मृदा में ऑक्सीजन की उपलब्धता बढ़ाता है, जिससे फसल की जड़ें बेहतर विकसित होती हैं।
सतत कृषि: यह विधि रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता कम कर, अपशिष्ट पदार्थों को उपयोगी संसाधन में बदलने की क्षमता रखती है।
संभावित उपयोग
अपशिष्ट जल उपचार: यह तकनीक शहरी अपशिष्ट जल में यूरिया को अलग करने के लिए कम लागत और पर्यावरण-अनुकूल समाधान प्रदान करती है।
कृषि में सुधार: किसान इसे एक प्रभावी और दीर्घकालिक नाइट्रोजन स्रोत के रूप में उपयोग कर सकते हैं।
सतत पुनर्चक्रण: अपशिष्ट जल उपचार को पौधों के पोषक तत्वों की पुनर्प्राप्ति से जोड़कर कृषि क्षेत्र में नई क्रांति लाई जा सकती है।
निष्कर्ष
यह नवीन "पी-साइक्लिंग" (Pee-cycling) पद्धति नाइट्रोजन चक्र की कमी को पूरा करने का एक अनूठा तरीका है, जो अपशिष्ट जल प्रबंधन और कृषि क्षेत्र दोनों के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करता है। यदि इस तकनीक को और विकसित किया जाता है, तो यह अपशिष्ट जल के प्रति समाज के दृष्टिकोण को बदल सकती है, जिससे इसे एक मूल्यवान संसाधन के रूप में देखा जाएगा, न कि एक अनुपयोगी कचरे के रूप में।