मिग-21 क्रैश

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स्रोत: द इकोनॉमिक टाइम्स

खबरों में क्यों?

चर्चा में क्यों?

हाल ही में भारतीय वायु सेना (IAF) का मिग-21 बाइसन विमान राजस्थान के बाड़मेर में दुर्घटनाग्रस्त हो गया, जिसमें लड़ाकू विमान के प्रशिक्षण संस्करण में सवार दो पायलटों की मौत हो गई।

वर्तमान में IAF के पास लगभग 70 मिग-21 विमान और 50 मिग-29 संस्करण हैं।

वर्तमान में भारतीय वायुसेना में मिग-21 बाइसन विमान के चार स्क्वाड्रन सेवारत हैं, प्रत्येक स्क्वाड्रन में 16-18 विमान शामिल हैं, जिसमें दो प्रशिक्षण संस्करण भी शामिल हैं।

फेज़ आउट

IAF ने अगले पाँच वर्षों में मिग -29 लड़ाकू जेट के तीन स्क्वाड्रनों को चरणबद्ध तरीके से समाप्त करने की भी योजना बनाई है।

यह भारतीय वायुसेना के आधुनिकीकरण अभियान का एक हिस्सा है।

वर्ष 2025 तक सभी चार मिग-21 स्क्वाड्रनों को सेवानिवृत्त करने की योजना है।

मिग-21:

मिग 21 एक सुपरसोनिक जेट लड़ाकू और इंटरसेप्टर विमान है, जिसे सोवियत संघ में मिकोयान-गुरेविच डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा निर्मित किया गया है।

मिग सोवियत संघ से खरीदा गया एक लड़ाकू विमान है जो वर्ष 1959 से AIF में सेवारत है।

चार महाद्वीपों के लगभग 60 देशों ने मिग-21 का उपयोग किया है और यह अपनी पहली उड़ान के छह दशक बाद भी कई देशों में सेवारत है।

भारत ने वर्ष 1963 में मिग-21 को शामिल किया और पूर्ण प्रौद्योगिकी हस्तांतरण और देश में विमान के लाइसेंस-निर्माण के अधिकार प्राप्त किये।

वर्ष 1985 में रूस ने विमान का उत्पादन बंद कर दिया, जबकि भारत ने उन्नत संस्करणों का संचालन जारी रखा।

भारत में मिग-21 क्रैश:

पिछले दस वर्षों में 108 हवाई दुर्घटनाएँ और क्षति हुई है, जिसमें भारतीय वायुसेना, नौसेना, सेना और तटरक्षक बल सभी के आयुध शामिल हैं।

इनमें से 21 दुर्घटनाओं में मिग-21 बाइसन और इसके वेरिएंट शामिल हैं।

दुर्घटनाओं की उच्च दर के कारण विमान को 'फ्लाइंग कॉफिन' का उपनाम दिया गया।

सैन्य विमान दुर्घटनाओं का कोई एकल सामान्य कारण नहीं है। ये मौसम, मानवीय त्रुटि, तकनीकी त्रुटि से लेकर ‘बर्ड हिट’ तक हो सकते हैं।

मिग-21 सिंगल इंजन फाइटर जेट है जो कुछ दुर्घटनाओं का कारण भी हो सकता है।

यह सिंगल इंजन फाइटर जेट है और जब इसका इंजन बंद हो जाता है, तो इसे फिर से स्टार्ट करने की ज़रूरत होती है लेकिन इसमें एक नियत समय लगता है, इसलिये यदि आप न्यूनतम ऊँचाई से नीचे हैं तो आपको विमान से कूदना पड़ता है।

आगे की राह:

भविष्य की विमान दुर्घटनाओं को रोकना प्रौद्योगिकी के संयोजन और उपयुक्त तथा पर्याप्त पायलट प्रशिक्षण के उपयोग में निहित है।

विमान में ‘ग्राउंड प्रॉक्सिमिटी वार्निंग सिस्टम’ की स्थापना से शुरुआती संकेत उत्पन्न होंगे जो फ्लाइट क्रू को CFIT की शुरुआत के खिलाफ निवारक उपाय करने के लिये सचेत कर सकते हैं।

पायलट प्रशिक्षण में स्थितिजन्य जागरूकता विकसित करने और सही हस्तक्षेप करने के लिये पायलटों के प्रभावी प्रशिक्षण पर ज़ोर दिया जाना चाहिये।

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