द हिंदू: 29 मई 2025 को प्रकाशित:
खबरों में क्यों?
Science Immunology पत्रिका में प्रकाशित एक प्रमुख अध्ययन ने यह खुलासा किया है कि TR1 नामक एक विशेष प्रकार की प्रतिरक्षा कोशिका बार-बार मलेरिया संक्रमण के दौरान प्रमुख भूमिका निभाती है। यह खोज मलेरिया और अन्य संक्रामक रोगों के लिए टीकों और उपचार के विकास में क्रांति ला सकती है।
पृष्ठभूमि:
मलेरिया, Plasmodium falciparum परजीवी द्वारा फैलने वाला एक जानलेवा रोग है, जो विशेष रूप से उप-सहारा अफ्रीका में गंभीर है। बच्चे अक्सर हर साल कई बार इससे संक्रमित होते हैं और धीरे-धीरे नैदानिक प्रतिरक्षा विकसित कर लेते हैं। पहले यह माना जाता था कि TH1 कोशिकाएँ प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया में प्रमुख भूमिका निभाती हैं।
प्रमुख निष्कर्ष:
TR1 कोशिकाएं भले ही संख्या में कम हों, लेकिन ये मलेरिया-विशिष्ट सहायक टी-कोशिकाओं का लगभग 90% हिस्सा थीं।
इनकी स्मृति क्षमता और क्लोनल निष्ठा उच्च पाई गई, जो लंबे समय तक बनी रहती है।
पुनः संक्रमण के साथ इनकी संख्या बढ़ती है और यह परजीवी भार के साथ संबंधित है।
पहले प्रमुख मानी जाने वाली TH1 कोशिकाएं पुनः संक्रमण पर नहीं बढ़तीं, जबकि TR1 कोशिकाएं बढ़ती हैं।
कार्यप्रणाली:
एक दीर्घकालिक अध्ययन (MUSICAL प्रोजेक्ट) में उन्नत तकनीकों जैसे सिंगल-सेल RNA और TCR अनुक्रमण का उपयोग कर प्रतिरक्षा कोशिकाओं को कई संक्रमणों के दौरान ट्रैक किया गया।
अध्ययन में एक ही व्यक्ति के T-सेल क्लोन को "जीन बारकोडिंग" के माध्यम से सैकड़ों दिनों तक ट्रेस किया गया।
महत्त्व:
यह पिछले विचारों को चुनौती देता है और मलेरिया प्रतिरक्षा में TH1 की जगह TR1 कोशिकाओं पर ध्यान केंद्रित करता है।
TR1-केंद्रित टीकों और मेज़बान-निर्देशित उपचारों के लिए नए रास्ते खोलता है।
अन्य संक्रामक रोगों को समझने और नियंत्रित करने के लिए एक नया मॉडल प्रदान करता है।
संभावित प्रभाव:
TR1 कोशिकाओं को लक्षित कर मलेरिया टीकों के विकास में क्रांतिकारी बदलाव ला सकता है।
गंभीर बीमारी के बिना बेहतर प्रतिरक्षा विकसित करने की संभावना, जो मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में गेम-चेंजर साबित हो सकती है।
यह तपेदिक, डेंगू जैसे जटिल रोगों में प्रतिरक्षा संबंधी अध्ययन का आधार बन सकता है।
आगे की राह: