द हिंदू: 30 मई 2025 को प्रकाशित:
क्यों चर्चा में है
अमेरिका की एक संघीय अदालत ने पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए अधिकांश व्यापक टैरिफ को अवैध करार देते हुए यह फैसला सुनाया कि उन्होंने IEEPA (इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनॉमिक पावर्स एक्ट) के तहत अपनी शक्ति की सीमा को पार कर दिया था। यह निर्णय ट्रंप की व्यापार नीति और कार्यकारी शक्ति के लिए एक बड़ा झटका है।
पृष्ठभूमि:
2017 से, राष्ट्रपति ट्रंप ने IEEPA के तहत राष्ट्रीय आपातकाल का हवाला देते हुए विभिन्न टैरिफ लगाए थे—जिनका उद्देश्य व्यापार असंतुलन और ड्रग्स की तस्करी को रोकना था। इन टैरिफों का प्रभाव चीन, कनाडा, मैक्सिको और यूरोपीय संघ सहित कई देशों पर पड़ा। इस पर अमेरिकी कंपनियों और राज्य सरकारों द्वारा कानूनी आपत्तियाँ दर्ज की गई थीं।
मुख्य मुद्दे:
अदालत ने कहा कि राष्ट्रपति IEEPA के तहत असीमित टैरिफ नहीं लगा सकते क्योंकि यह शक्तियों के विभाजन का उल्लंघन है।
यह निर्णय स्पष्ट करता है कि टैरिफ लगाने की प्राथमिक शक्ति कांग्रेस के पास है, न कि राष्ट्रपति के।
स्टील, एल्युमीनियम, ऑटो आदि पर विशिष्ट सेक्टर टैरिफ अभी भी प्रभावी हैं।
प्रभाव:
कानूनी: व्यापार से जुड़े आपातकालीन अधिकारों के भविष्य में उपयोग पर रोक।
आर्थिक: बाज़ार में सकारात्मक प्रतिक्रिया; व्यापार संबंधों में सुधार की संभावना।
राजनीतिक: ट्रंप की "अमेरिका फर्स्ट" नीति और विरासत को झटका।
वैश्विक: चीन और कनाडा जैसे देशों ने निर्णय का स्वागत किया और सभी टैरिफ हटाने की मांग की।
प्रतिक्रियाएँ:
व्हाइट हाउस: फैसले को "स्पष्ट रूप से गलत" बताया और न्यायाधीशों पर सत्ता का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया।
डेमोक्रेट्स: टैरिफ को अधिकारों का अवैध दुरुपयोग कहा।
चीन और कनाडा: अमेरिका से शेष सभी टैरिफ हटाने का आग्रह किया।
बाज़ार: एशियाई और कुछ यूरोपीय बाजारों में सकारात्मक प्रतिक्रिया देखी गई।
निष्कर्ष:
यह अदालती फैसला कार्यकारी शक्ति के अति प्रयोग पर एक संवैधानिक अंकुश के रूप में सामने आया है और व्यापार नियमन में कांग्रेस की भूमिका को पुनः स्थापित करता है। यह विदेश और आर्थिक नीति में कानूनी ढांचे के पालन की आवश्यकता को रेखांकित करता है।