परिचय
उत्तरवैदिक काल में, इंडो-गंगेटिक मैदानों में कई छोटे राज्य उभरे। 16 प्रमुख राज्य और गणराज्य जिन्हें महाजनपद कहा गया, राजनीतिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण थे। प्रमुख महाजनपद: कुरु, अवंती, अश्मक, काशी, कोसल, वत्स, चेदी, पंचाल, सुरसेन, मत्स्य।

बिहार के महाजनपद
बिहार में तीन महाजनपद प्रमुख रूप से स्थित थे: मगध, अंग, वज्जि (वृजि)।
1. मगध महाजनपद
- ऐतिहासिक उल्लेख: अथर्ववेद में
- क्षेत्रफल: गंगा (उत्तर) – छोटानागपुर (दक्षिण), चंपा (पूर्व) – सोन (पश्चिम)
- राजधानी: गिरिवराज (राजगीर) → पाटलिपुत्र
- महत्व: कोसल, वत्स, अवंती का अधिग्रहण; बौद्ध और जैन धर्म के उद्भव में भूमिका
- विरासत: मौर्य और गुप्त साम्राज्य की उत्पत्ति
2. अंग महाजनपद
- ऐतिहासिक उल्लेख: अथर्ववेद
- क्षेत्रफल: वर्तमान खगड़िया, भागलपुर, मुंगेर
- राजधानी: चंपा (भागलपुर)
- शासक: राजा महाविंद
- अन्य नाम: चेनानपो (ह्वेनसांग), मालिनी
- स्थिति: मगध के उत्तर-पूर्व में
3. वज्जि (वृजि) गणराज्य
- संरचना: आठ कुलों का संघ; प्रमुख कुल: लिच्छवी, वीडिया, ज्ञात्रिक
- क्षेत्रफल: उत्तर भारत, विशेषकर वैशाली
- राजधानी: वैशाली, विश्व का पहला गणराज्य
- महत्व: लोकतांत्रिक शासन प्रणाली; प्राचीन भारत की राजनीतिक विचारधारा पर प्रभाव
निष्कर्ष
महाजनपद प्राचीन भारत में प्रारंभिक राजनीतिक संरचना, संस्कृति और धर्म के विकास में अहम थे। बिहार के मगध, अंग, वज्जि ने साम्राज्यों, व्यापार, धर्म और प्रशासन के विकास में केंद्रीय योगदान दिया।