क्या ट्रम्प द्वारा यूरोपीय संघ से अमेरिका से अधिक तेल और गैस खरीदने के लिए कहना उचित है?

क्या ट्रम्प द्वारा यूरोपीय संघ से अमेरिका से अधिक तेल और गैस खरीदने के लिए कहना उचित है?

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द हिंदू: 13 जनवरी 2025 को प्रकाशित:

 

समाचार में क्यों?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ (EU) से अमेरिका से तेल और गैस की खरीद बढ़ाने की मांग की है, जबकि EU पहले ही रूस पर प्रतिबंधों के कारण अमेरिकी आयात पर अपनी निर्भरता बढ़ा चुका है।

ट्रंप ने EU और अन्य देशों पर व्यापार घाटे और राजनीतिक शर्तों के समाधान के लिए शुल्क (टैरिफ) लगाने की धमकी दी है।

 

प्रसंग और पृष्ठभूमि:

EU की ऊर्जा आयात स्थिति:

2023 तक, EU ने अपनी LNG (तरलीकृत प्राकृतिक गैस) की 43% जरूरतें और 15% कच्चे तेल की जरूरतें अमेरिका से पूरी कीं। 2020 के मुकाबले यह आंकड़ा काफी बढ़ा है।

रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद रूस पर लगे प्रतिबंधों के कारण EU को अमेरिका से आयात बढ़ाना पड़ा।

अमेरिका का व्यापार घाटा:

2023 के अंत तक, अमेरिका का सबसे बड़ा व्यापार घाटा चीन ($279.4 बिलियन) के साथ था, इसके बाद EU ($208.7 बिलियन) और मैक्सिको ($152.4 बिलियन) का स्थान था।

ट्रंप का उद्देश्य टैरिफ के जरिए इन घाटों को कम करना है।

 

आर्थिक विश्लेषण:

व्यापार घाटा और टैरिफ:

EU पर टैरिफ लगाने से आयातित सामान महंगे हो जाएंगे, जिससे अमेरिकी निर्माता लाभान्वित होंगे, लेकिन उपभोक्ताओं को सस्ते विकल्पों की कमी होगी।

यूरोपीय कारों पर टैरिफ लगाने से वे महंगी हो जाएंगी, जिससे अमेरिकी कार निर्माताओं को लाभ मिलेगा, लेकिन उपभोक्ताओं की पसंद सीमित हो जाएगी।

ऊर्जा व्यापार की स्थिति:

अमेरिका LNG और कच्चे तेल का प्रमुख निर्यातक बन गया है। 2023 में, उसने अपने कच्चे तेल उत्पादन का 31.8% और प्राकृतिक गैस उत्पादन का 16% निर्यात किया, जो पांच साल पहले की तुलना में अधिक है।

EU में अमेरिकी ऊर्जा आयात की बढ़ती मांग से अमेरिका की उत्पादन क्षमता पर दबाव बढ़ सकता है।

निजी क्षेत्र की भूमिका:

यूरोप की अधिकांश बड़ी तेल रिफाइनरियां निजी स्वामित्व में हैं, जो सस्ते और किफायती विकल्पों को प्राथमिकता देती हैं।

सरकारों के लिए इन रिफाइनरियों को अमेरिकी तेल खरीदने के लिए मजबूर करना कठिन होगा।

 

राजनीतिक प्रभाव:

EU-अमेरिका संबंध:

ट्रंप की मांगें और टैरिफ की धमकियां ट्रांसअटलांटिक संबंधों में तनाव पैदा कर सकती हैं, खासकर जब EU पहले ही रूसी ऊर्जा पर निर्भरता कम कर अमेरिकी हितों को पूरा कर रहा है।

टैरिफ से EU वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों की तलाश कर सकता है, जो लंबे समय में अमेरिकी ऊर्जा पर उसकी निर्भरता को कम कर सकता है।

भूराजनीतिक प्रभाव:

अमेरिका ऊर्जा निर्यात के माध्यम से अपने भूराजनीतिक प्रभाव को बढ़ा रहा है, लेकिन आक्रामक व्यापार नीतियों से सहयोगी देशों को दूर करने का खतरा हो सकता है।

पर्यावरण और स्थिरता की चिंताएं:

अमेरिकी ऊर्जा निर्यात में वृद्धि से जलवायु लक्ष्यों के साथ टकराव हो सकता है।

निर्यात की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए उत्पादन बढ़ाने से अमेरिका के घरेलू ऊर्जा सिस्टम और पर्यावरण पर असर पड़ सकता है।

 

प्रमुख सवाल:

आर्थिक व्यावहारिकता:

क्या अमेरिकी उत्पादक निर्यात बढ़ाने के लिए उत्पादन में वृद्धि को स्थायी रूप से संभाल सकते हैं?

जब EU पहले ही अमेरिकी ऊर्जा पर अत्यधिक निर्भर हो चुका है, तो आयात और बढ़ाना कितना व्यवहारिक है?

नीतिगत प्रभावशीलता:

व्यापार घाटे को कम करने के लिए टैरिफ कितने प्रभावी हैं, जब वे उपभोक्ता लागत और वैश्विक व्यापार संबंधों को प्रभावित कर सकते हैं?

क्या निजी रिफाइनरियां अमेरिकी तेल को प्राथमिकता देंगी, यदि सस्ते विकल्प उपलब्ध हों?

रणनीतिक संतुलन:

क्या ट्रंप की नीति दीर्घकालिक सहयोग और आर्थिक स्थिरता को कम करके अल्पकालिक व्यापार लाभ को प्राथमिकता देती है?

 

निष्कर्ष:

ट्रंप की मांगें और टैरिफ की धमकियां व्यापार घाटे को कम करने और अमेरिकी ऊर्जा निर्यात को बढ़ावा देने पर केंद्रित हैं। हालांकि, उनकी नीति की आर्थिक दक्षता, भूराजनीतिक प्रभाव और पर्यावरणीय स्थिरता पर सवाल उठते हैं। EU की अमेरिकी ऊर्जा पर बढ़ती निर्भरता के बावजूद, इसकी व्यवहार्यता और निजी क्षेत्र की प्राथमिकताओं के कारण आगे की निर्भरता पर संदेह बना हुआ है।

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