द हिंदू: 21 जुलाई 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
जनवरी 2024 में, दक्षिण अफ्रीका ने अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में इज़राइल के खिलाफ एक मामला दायर किया, जिसमें आरोप लगाया गया कि ग़ाज़ा में इज़राइल की सैन्य कार्रवाइयाँ जनसंहार के बराबर हैं। यह कदम 7 अक्टूबर 2023 को हुए हमास के हमलों और ग़ाज़ा में बिगड़ते मानवीय संकट के कुछ ही महीनों बाद उठाया गया। ICJ ने इस मामले में कुछ अस्थायी निर्देश जारी किए हैं, जिनमें जनसंहार की "संभावना" को स्वीकार किया गया — जिससे यह मुद्दा वैश्विक कूटनीति और अंतर्राष्ट्रीय कानून में एक बड़ा विवाद बन गया है।
अंतर्राष्ट्रीय कानून में जनसंहार क्या है?
परिभाषा: जनसंहार शब्द की रचना 1944 में राफेल लेमकिन ने की थी और इसे 1948 के जनसंहार सम्मेलन में वैधता दी गई। इसे परिभाषित किया गया है कि यह ऐसे कृत्य हैं, जो किसी राष्ट्रीय, जातीय, नस्लीय या धार्मिक समूह को पूर्णतः या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से किए जाते हैं।
कानूनी मानक:
दक्षिण अफ्रीका ने इज़राइल के खिलाफ मामला क्यों दायर किया?
दक्षिण अफ्रीका ने जनसंहार सम्मेलन में अपनी भागीदारी के तहत यह कदम उठाया। उसने इज़राइली नेताओं के बयानों, अंधाधुंध बमबारी, और आवश्यक आपूर्ति पर प्रतिबंध को जनसंहार के इरादे के संकेत के रूप में बताया। दक्षिण अफ्रीका का आरोप है कि इज़राइल मानवीय कानून का "हथियारकरण" कर रहा है ताकि नागरिकों पर बड़े पैमाने पर हमलों और उनके ढांचे को नष्ट करने को वैध ठहराया जा सके।
क्या जनसंहार का इरादा है? (विवादित पहलू)
प्रस्तुत साक्ष्य:
90% से अधिक शैक्षणिक संरचनाओं का विनाश
58,000 से अधिक मौतें, जिनमें 17,000+ बच्चे
इज़राइली अधिकारियों के बयान जैसे "मानव पशु", या ग़ाज़ा को "मलबे में तब्दील" करने की बात
भुखमरी, सहायता काफिलों पर हमले और जबरन विस्थापन की रिपोर्टें
चुनौतियाँ:
ICJ की मान्यता के अनुसार जनसंहार का इरादा तभी सिद्ध होता है जब कोई और तर्कसंगत निष्कर्ष नहीं निकाला जा सके — यह बहुत कठिन मानक है। हालाँकि, अन्य अंतर्राष्ट्रीय न्यायाधिकरणों (ICTY, ICTR) ने स्वीकार किया है कि जनसंहार का इरादा सैन्य या सुरक्षा उद्देश्यों के साथ सह-अस्तित्व में हो सकता है।
वैश्विक विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वॉच जैसे मानवाधिकार समूह, और कई जनसंहार विशेषज्ञ (कुछ इज़राइली भी) मानते हैं कि इज़राइल की कार्रवाइयाँ जनसंहार की कानूनी सीमा तक पहुँच सकती हैं। यूएन की विशेष प्रतिनिधि फ्रांसेस्का अल्बानीज़ का दावा है कि इज़राइल ने ग़ाज़ा से नागरिक जीवन को व्यवस्थित रूप से मिटा दिया है। कुछ न्यायविदों का कहना है कि हिंसा की तीव्रता, उसकी नियमितता और भड़काऊ बयानबाज़ी जनसंहार के इरादे को मानने के लिए पर्याप्त हैं।
संयुक्त राष्ट्र क्या भूमिका निभा सकता है?
ICJ के अस्थायी निर्देश बाध्यकारी हैं, लेकिन इज़राइल ने उनका पालन नहीं किया। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अनुच्छेद 6 के तहत, किसी सदस्य देश को स्थायी उल्लंघन की स्थिति में निलंबित या निष्कासित किया जा सकता है। 2024 में, UNGA ने इज़राइल पर आर्थिक प्रतिबंध और हथियारों के प्रतिबंध का समर्थन करते हुए एक प्रस्ताव पारित किया। लेकिन UNSC की कार्रवाई अमेरिका के बार-बार के वीटो के कारण अवरुद्ध हो गई है, जिससे बहुपक्षीय क्रियान्वयन कमजोर पड़ गया है।
शक्तिशाली देश क्या कर रहे हैं?
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में अमेरिका लगातार इज़राइल को संरक्षण दे रहा है, भले ही वैश्विक आलोचना बढ़ती जा रही है। फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन और कनाडा ने केवल कूटनीतिक आलोचनाएँ की हैं। किसी भी पश्चिमी शक्ति ने अब तक इज़राइल पर आर्थिक या सैन्य प्रतिबंध का समर्थन नहीं किया, भले ही जनसंहार के आरोप मजबूत हों।
आगे क्या?
ICJ का अंतिम निर्णय आने में वर्षों लग सकते हैं, और तब तक ग़ाज़ा में नुकसान अपूरणीय हो सकता है। यह जनसंहार मामला "नियम-आधारित अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्था" की साख की परीक्षा बन गया है। यदि न्याय में देरी हुई और कार्यवाही बाधित रही, तो यह अंतर्राष्ट्रीय कानून में वैश्विक दक्षिण (Global South) का विश्वास बुरी तरह से तोड़ सकता है।