द हिंदू: 24 जनवरी 2025 को प्रकाशित:
खबर चर्चा में क्यों है?
पश्चिम अफ्रीका के कई देशों जैसे चाड, आइवरी कोस्ट और सेनेगल ने फ्रांसीसी सैनिकों को वापस बुलाने की मांग की है, जिससे क्षेत्र में फ्रांस के दशकों पुराने प्रभाव में गिरावट का संकेत मिलता है।
ये देश माली, नाइजर और बुर्किना फासो की तरह फ्रांसीसी सैन्य उपस्थिति को अस्वीकार कर रहे हैं, जो एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक बदलाव को दर्शाता है।
यह रूस और चीन जैसे देशों के बढ़ते प्रभाव को भी उजागर करता है, जो यूरोप के कमजोर पड़ते प्रभुत्व को चुनौती दे रहे हैं।
चाड, आइवरी कोस्ट और सेनेगल ने फ्रांसीसी सैनिकों को वापस बुलाने की मांग क्यों की?
राष्ट्रीय संप्रभुता:
फ्रांसीसी सैनिकों की उपस्थिति, औपनिवेशिक समझौतों से जुड़ी हुई है, जिसे इन देशों की संप्रभुता के लिए खतरा माना जा रहा है। जैसे चाड के राष्ट्रपति महमत डेबे ने कहा कि यह संधियां खत्म करना संप्रभुता वापस पाने जैसा है।
जनता का असंतोष:
ऑपरेशन बरखाने के तहत फ्रांस की सैन्य उपस्थिति के बावजूद, क्षेत्र में आतंकवाद कम नहीं हुआ। इससे फ्रांस-विरोधी भावनाएं बढ़ीं।
नए गठजोड़:
पश्चिम अफ्रीका के देश अब नए साझेदारों की ओर रुख कर रहे हैं। रूस, बिना राजनीतिक और लोकतांत्रिक शर्तों के सुरक्षा प्रदान कर रहा है, जो इन देशों को अधिक उपयुक्त लग रहा है।
फ्रांस की वापसी अफ्रीकी देशों के लिए क्या मायने रखती है?
फ्रांस के प्रभाव का अंत:
फ्रांस का दशकों लंबा सैन्य और राजनीतिक प्रभुत्व अब समाप्त हो रहा है।
आतंकवाद का बढ़ता खतरा:
माली, नाइजर और बुर्किना फासो में फ्रांसीसी सैनिकों की वापसी के बाद आतंकवाद कम नहीं हुआ। इससे नई साझेदारियों की क्षमता पर सवाल उठते हैं।
क्षेत्रीय सहयोग:
फ्रांस-विरोधी भावनाओं के कारण चाड, सेनेगल और आइवरी कोस्ट सैहेल गठबंधन (माली, नाइजर, बुर्किना फासो) में शामिल हो सकते हैं, जो आतंकवाद के खिलाफ क्षेत्रीय प्रयासों को मजबूत करेगा।
फ्रांस के लिए इसका क्या अर्थ है?
प्रभाव में गिरावट:
‘Francafrique’ युग का अंत हो गया है, जिससे फ्रांस के आर्थिक और राजनीतिक हितों पर असर पड़ेगा।
आर्थिक चुनौतियां:
राजनीतिक प्रभाव की कमी के कारण अफ्रीका में संसाधनों और बाजारों तक पहुंच मुश्किल हो सकती है।
खराब प्रतिष्ठा:
फ्रांस की वैश्विक सुरक्षा प्रदाता और आतंकवाद विरोधी लड़ाई में भूमिका कमजोर होगी।
अनिश्चित संबंध:
आइवरी कोस्ट ने सैनिकों की वापसी की मांग की है, लेकिन फ्रांस के साथ इसके राजनीतिक और आर्थिक संबंध अभी भी मजबूत हैं।
क्या अफ्रीका में यूरोप का प्रभाव कम हो रहा है?
भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा:
रूस सैन्य मदद के जरिए और चीन बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव के माध्यम से अफ्रीका में अपना प्रभाव बढ़ा रहे हैं।
यूरोप की चुनौतियां:
यूक्रेन युद्ध, प्रवासियों की समस्या और आर्थिक दबाव के कारण यूरोपीय देशों का ध्यान अफ्रीका से हट रहा है।
आर्थिक गिरावट:
2022-2023 के बीच यूरोपीय संघ का अफ्रीका के साथ व्यापार अधिशेष 15% कम हो गया, जबकि चीन ने अपने व्यापार में स्थिरता बनाए रखी।
अंतर्मुखी नीति:
यूरोप के कई देश अब अपनी घरेलू समस्याओं पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं और अफ्रीका में प्रभाव बनाए रखना उनके लिए चुनौती बन गया है।
रूस को कैसे फायदा हुआ?
सुरक्षा प्रभाव:
वाग्नर ग्रुप जैसे रूसी भाड़े के सैनिकों ने सुरक्षा का आश्वासन देकर पश्चिम अफ्रीका में जगह बनाई है।
रणनीतिक साझेदारी:
रूस बिना किसी राजनीतिक शर्त के समर्थन देता है, जिससे सैन्य और अधिनायकवादी शासन आकर्षित हो रहे हैं।
बेहतर छवि:
रूस ने खुद को एक भरोसेमंद सुरक्षा साझेदार के रूप में स्थापित किया है, जिससे उसका भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है।
मुख्य बिंदु: