द हिंदू एडिटोरियल: 18 जनवरी 2025 को प्रकाशित:
क्यों चर्चा में है?
डेटा से मुख्य निष्कर्ष:
वृद्धि का रुझान:
2024-25 के दूसरे भाग में GDP वृद्धि दर 6.7% होने की उम्मीद है, जबकि पहले भाग में यह 6% रही।
वार्षिक GDP वृद्धि दर 2023-24 में 8.2% से घटकर 2024-25 में 6.4% हो गई है। यह मुख्यतः सरकारी निवेश की सुस्ती का परिणाम है।
क्षेत्रीय प्रदर्शन:
विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2023-24 में 9.9% से घटकर 2024-25 में 5.3% हो गई, जो संरचनात्मक समस्याओं को दर्शाती है।
सकल मूल्य वर्धन (GVA) में कमी 7.2% से घटकर 6.4% रही, जो अन्य क्षेत्रों की मजबूती को दिखाती है।
गिरावट के पीछे के कारण:
सरकारी निवेश:
2024-25 के पहले आठ महीनों में सरकारी पूंजी व्यय लक्ष्य का केवल 46.2% ही प्राप्त किया गया।
सरकारी निवेश में नकारात्मक वृद्धि (-12.3%) ने समग्र GDP प्रदर्शन को बाधित किया।
वैश्विक और घरेलू मांग:
भू-राजनीतिक कारकों से उत्पन्न वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता ने निर्यात वृद्धि को सीमित किया।
भारत घरेलू मांग पर निर्भर है, लेकिन निजी निवेश की गति धीमी रही।
2025-26 के लिए वृद्धि संभावनाएं:
स्थिर निवेश:
सकल स्थिर पूंजी निर्माण दर 33.4% पर स्थिर हो गई है और 2025-26 में इसी स्तर पर रहने की संभावना है।
5.1 ICOR को मानते हुए, 6.5% वास्तविक GDP वृद्धि का अनुमान यथार्थवादी है।
सरकारी रणनीति:
कम से कम 20% पूंजी व्यय वृद्धि आवश्यक है ताकि निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जा सके।
पूंजी व्यय लक्ष्य प्राप्त करना राजस्व बाधाओं को संतुलित कर सकता है।
मध्य से दीर्घकालिक दृष्टिकोण:
विकास की संभावनाएं:
अगले पांच वर्षों (2025-26 से 2029-30) में भारत की संभावित वास्तविक GDP वृद्धि दर 6.5% अनुमानित है।
नाममात्र GDP वृद्धि 10.5%-11% की सीमा में रह सकती है, जो स्थिर मुद्रा विनिमय दर के साथ भारत को अगले 25 वर्षों में विकसित देश का दर्जा दिलाने में सहायक होगी।
चुनौतियां:
बढ़ते आर्थिक आधार के साथ उच्च वृद्धि दर बनाए रखना कठिन होगा।
दीर्घकालिक विकास लक्ष्यों के लिए शुरुआती वर्षों में उच्च वृद्धि दर प्राप्त करना आवश्यक है।
प्रभाव:
राजकोषीय नीति:
2024-25 में नाममात्र GDP वृद्धि की कमी कर राजस्व संग्रह को प्रभावित कर सकती है, लेकिन कर संग्रह में उछाल राजकोषीय घाटे पर दबाव को कम कर सकता है।
निवेश वातावरण:
सरकारी पूंजी व्यय निजी निवेश को आकर्षित करने और विनिर्माण जैसे प्रमुख क्षेत्रों में उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण है।
सिफारिशें:
नीतिगत फोकस:
घरेलू मांग और निजी निवेश को बढ़ावा देने के लिए सरकारी पूंजी व्यय को प्राथमिकता दें।
विनिर्माण क्षेत्र की चुनौतियों को हल करने और ICOR को कम करने के लिए क्षेत्रीय नीतियां लागू करें।
संरचनात्मक सुधार:
व्यवसाय सुगमता और बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ावा दें।
घरेलू मांग पर निर्भरता कम करने के लिए निर्यात बाजारों का विविधीकरण करें।
वैश्विक स्थिति:
नवाचार को प्रोत्साहित करके और श्रमबल को उन्नत कौशल प्रदान करके वैश्विक अनिश्चितताओं के प्रति लचीलापन बढ़ाएं।
निष्कर्ष:
2024-25 में 6.4% की अनुमानित वृद्धि दर को 6.5% की संभावित वृद्धि दर के संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जो वैश्विक चुनौतियों के बीच भारत की मजबूती को दर्शाती है। जबकि 2023-24 में 8.2% की वृद्धि उत्साहजनक थी, वर्तमान वर्ष का प्रदर्शन अधिक यथार्थवादी है। दीर्घकालिक स्थिरता और वृद्धि सुनिश्चित करने के लिए रणनीतिक नीतिगत हस्तक्षेप आवश्यक हैं।
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