स्रोत: द हिंदू
खबरों में क्यों?
हाल ही में प्रधानमंत्री ने देश के पहले 5G टेस्टबेड का उद्घाटन किया, यह स्टार्टअप और उद्योग जगत के लोगों को अपने उत्पादों का स्थानीय स्तर पर परीक्षण करने की अनुमति देगा जिससे विदेशी सुविधाओं पर निर्भरता कम होगी।
पहल का महत्त्व:
यह आधुनिक दूरसंचार प्रौद्योगिकियों के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता हेतु महत्त्वपूर्ण कदम है।
5जी टेस्टबेड को लगभग 220 करोड़ रुपए की लागत से तैयार किया गया है।
5G टेस्टबेड की कमी के कारण स्टार्टअप और अन्य उद्योग जगत के लोगों को 5G नेटवर्क की स्थापना एवं अपने उत्पादों का परीक्षण व सत्यापन हेतु विदेशी निर्भरता पर मज़बूर होना पड़ता था।
भारत का 5G मानक 5Gi के रूप में बनाया गया है जो देश के गांँवों में 5G तकनीक लाने में बड़ी भूमिका निभाएगा।
5Gi मूल रूप से मेड इन इंडिया 5G मानक है जिसे IIT हैदराबाद और मद्रास (चेन्नई) के सहयोग से बनाया गया है।
5जी तकनीक:
परिचय:
5G, 5वीं पीढ़ी का मोबाइल नेटवर्क है। यह 1G, 2G, 3G और 4G नेटवर्क के बाद एक नया वैश्विक वायरलेस मानक है।
यह एक ऐसी प्रणाली को सक्षम बनाता है जिसमें मशीनों, वस्तुओं और उपकरणों को परस्पर नेटवर्क के माध्यम से जोड़कर इनका संचालन व इनके मध्य समन्वय स्थापित किया जा सकता है।
5G के हाई-बैंड स्पेक्ट्रम में इंटरनेट की गति का परीक्षण 20 Gbps (गीगाबाइट प्रति सेकंड) दर्ज किया गया है, जबकि ज़्यादातर मामलों में 4G में अधिकतम इंटरनेट डेटा गति अभी तक सिर्फ 1Gbps ही दर्ज की गई है।
भारत में सैटकॉम इंडस्ट्री एसोसिएशन-इंडिया (SIA) ने 5G स्पेक्ट्रम नीलामी में मिलीमीटर वेव बैंड को शामिल करने की सरकार की योजना पर चिंता व्यक्त की है।
महत्त्व:
5G तकनीक से देश के शासन में सकारात्मक बदलाव, जीवन में सुगमता और व्यापार सुगमता को बढ़ावा मिलेगा।
इससे कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, बुनियादी ढाँचे और लॉजिस्टिक्स जैसे क्षेत्र में विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इससे सुविधाएँ भी बढेंगी और रोज़गार के कई अवसर पैदा होंगे।
भारत में 5G रोलआउट के लिये चुनौतियाँ:
कम फाइबराइज़ेशन फुटप्रिंट: पूरे भारत में फाइबर कनेक्टिविटी को अपग्रेड करने की आवश्यकता है, जो वर्तमान में भारत के केवल 30% दूरसंचार टावरों को जोड़ता है।
5G को कुशलता पूर्वक लॉन्च करने के लिये इस संख्या को दोगुना करना होगा।
'मेक इन इंडिया' हार्डवेयर चुनौती: कुछ विदेशी दूरसंचार OEMs (मूल उपकरण निर्माता) पर प्रतिबंध, जिस पर अधिकांश 5G प्रौद्योगिकी विकास निर्भर करता है, अपने आप में एक बाधा प्रस्तुत करता है।
उच्च स्पेक्ट्रम मूल्य निर्धारण: भारत का 5G स्पेक्ट्रम मूल्य वैश्विक औसत से कई गुना महँगा है।
यह भारत के नकदी संकट से जूझ रही दूरसंचार कंपनियों के लिये नुकसानदायक होगा।
इष्टतम 5G प्रौद्योगिकी मानक का चयन: 5G प्रौद्योगिकी कार्यान्वयन में तेज़ी लाने हेतु घरेलू 5Gi मानक और वैश्विक 3GPP मानक के बीच संघर्ष को समाप्त करने की आवश्यकता है।
हालाँकि 5Gi के स्पष्ट लाभ हैं परंतु यह टेलीकॉम के लिये 5G लॉन्च लागत और इंटरऑपरेबिलिटी मुद्दों को भी बढ़ाता है।
आगे की राह:
भारत में 5G के सपने को साकार करने के लिये अपने स्थानीय 5G हार्डवेयर निर्माण को अभूतपूर्व दर से प्रोत्साहित करने और बढ़ावा देने की आवश्यकता है।
इस स्पेक्ट्रम के मूल्य निर्धारण के युक्तिकरण की आवश्यकता है, ताकि सरकार भारत में 5G के कार्यान्वयन योजनाओं को बाधित किये बिना नीलामी से पर्याप्त राजस्व उत्पन्न कर सके।
5G को विभिन्न बैंड स्पेक्ट्रम और निम्न बैंड स्पेक्ट्रम पर तैनात किया जा सकता है, यह सीमा बहुत लंबी है और ग्रामीण क्षेत्रों के लिये भी सहायक हो सकती है।
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