द हिंदू: 15 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
भारत और अमेरिका ने 2030 तक द्विपक्षीय व्यापार को $500 बिलियन तक दोगुना करने पर सहमति व्यक्त की है। यह समझौता व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी और ऊर्जा क्षेत्रों को कवर करता है। इसके अलावा, अमेरिका ने 26/11 के आरोपी तहव्वुर राणा के प्रत्यर्पण को मंजूरी दी है। दोनों देशों के बीच F-35 स्टेल्थ फाइटर जेट की संभावित बिक्री और रक्षा सहयोग को बढ़ाने पर भी सहमति बनी है।
प्रमुख बिंदु-
व्यापार एवं अर्थव्यवस्था: भारत और अमेरिका 2025 तक व्यापार समझौता करने पर सहमत हुए, जिसमें भारत अमेरिकी व्यापार घाटा कम करने के लिए ऊर्जा आयात बढ़ाएगा।
रक्षा सहयोग: अगले 10 वर्षों के लिए रक्षा समझौता, जिसमें F-35 फाइटर जेट और छह P-8I समुद्री गश्ती विमान शामिल हैं।
प्रौद्योगिकी एवं ऊर्जा: भारत, अमेरिका से तेल और गैस आयात बढ़ाएगा और स्मॉल मॉड्यूलर (न्यूक्लियर) रिएक्टर विकसित करने पर सहयोग करेगा।
तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण: अमेरिका ने 26/11 मुंबई हमले के आरोपी तहव्वुर राणा के भारत प्रत्यर्पण को मंजूरी दी।
चीन के साथ सीमा विवाद: अमेरिका ने भारत की चीन के साथ सीमा विवाद में मदद करने की पेशकश की।
रक्षा खरीद: दोनों देश रक्षा खरीद प्रणालियों को संरेखित करने और अमेरिकी सैन्य तकनीक के हस्तांतरण को आसान बनाने पर सहमत हुए।
प्रभाव और महत्व-
आर्थिक वृद्धि: व्यापार दोगुना करने से उद्योग, रोजगार और निवेश में वृद्धि होगी।
ऊर्जा सुरक्षा: भारत की ऊर्जा मांग पूरी होगी और अन्य देशों पर निर्भरता कम होगी।
रक्षा आधुनिकीकरण: F-35, P-8I विमान जैसी अत्याधुनिक तकनीक से भारतीय सेना मजबूत होगी।
भू-राजनीतिक प्रभाव: भारत-अमेरिका संबंधों की मजबूती से इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में चीन के प्रभाव को संतुलित किया जा सकेगा।
आतंकवाद विरोधी सहयोग: तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण भारत की आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई को मजबूत करेगा।
चुनौतियां और चिंताएं-
व्यापार घाटा और टैरिफ विवाद: अमेरिका के राष्ट्रपति ने भारतीय टैरिफ को "अनुचित" कहा, जिससे व्यापार वार्ता कठिन हो सकती है।
तकनीकी हस्तांतरण प्रतिबंध: अमेरिकी ITAR (इंटरनेशनल ट्रैफिक इन आर्म्स रेगुलेशन) से भारत को अत्याधुनिक रक्षा तकनीक प्राप्त करने में बाधा आ सकती है।
चीन की प्रतिक्रिया: अमेरिका के साथ भारत के मजबूत संबंधों पर चीन कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है, खासकर सीमा विवाद और सैन्य गठजोड़ को लेकर।
राजनीतिक अनिश्चितता: भविष्य में अमेरिकी सरकार की नीतियों में बदलाव से लंबी अवधि के समझौतों पर असर पड़ सकता है।
आगे की राह:
यह समझौता भारत-अमेरिका संबंधों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है, जिसका व्यापार, रक्षा और वैश्विक राजनीति पर दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।