द हिंदू: 18 मई 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
भारत ने बांग्लादेश से तैयार वस्त्र (Ready-made Garments) के भूमि मार्ग से होने वाले निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है।
अब ये वस्त्र केवल कोलकाता और मुंबई बंदरगाह के माध्यम से ही भारत में आ सकेंगे।
यह कदम बांग्लादेश द्वारा भारतीय सूत के भूमि निर्यात पर प्रतिबंध लगाने के जवाब में उठाया गया है।
पृष्ठभूमि:
भारत और बांग्लादेश के बीच व्यापार संबंध सामान्यतः अच्छे रहे हैं लेकिन कभी-कभी तनाव भी उत्पन्न होता है।
13 अप्रैल 2025 को, बांग्लादेश ने भारतीय सूत के भूमि मार्ग से निर्यात पर प्रतिबंध लगाया।
15 अप्रैल को, बांग्लादेश ने भारत से चावल के निर्यात को भी रोका (हिली और बेनापोल ICPs के माध्यम से)।
भारत ने यह कदम जवाबी कार्रवाई के रूप में उठाया है ताकि व्यापार में समानता और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा मिल सके।
मुख्य बिंदु:
अब बांग्लादेश के रेडीमेड वस्त्र केवल कोलकाता और न्हावा शेवा (मुंबई) बंदरगाहों से ही भारत में आ सकेंगे।
पूर्वोत्तर राज्यों (त्रिपुरा, असम, मेघालय, मिजोरम) के भूमि बंदरगाहों (LCS/ICP) से अब इनका आयात प्रतिबंधित रहेगा।
अन्य प्रतिबंधित वस्तुएँ:
प्लास्टिक उत्पाद
लकड़ी के फर्नीचर
जूस और कार्बोनेटेड ड्रिंक
फल आधारित पेय पदार्थ
बेकरी एवं कन्फेक्शनरी उत्पाद
सूती धागा एवं रंग
यह सूची समय-समय पर समीक्षा की जाएगी।
उद्देश्य: स्थानीय विनिर्माण को बढ़ावा देना और व्यापारिक संतुलन बनाना।
कानूनी और व्यापारिक आधार:
यह निर्णय विदेश व्यापार महानिदेशालय (DGFT) की अधिसूचना द्वारा लिया गया है।
यह कदम WTO नियमों के अंतर्गत वैध माना जा सकता है यदि यह गैर-भेदभावपूर्ण और आनुपातिक हो।
भारत इसे रक्षात्मक और संतुलित व्यापारिक प्रतिक्रिया मानता है।
अंतरराष्ट्रीय / रणनीतिक पक्ष:
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख मुहम्मद यूनुस ने हाल ही में चीन का दौरा किया और भारत के पूर्वोत्तर राज्यों को "लैंडलॉक्ड" बताया।
उन्होंने चीन से बांग्लादेश के माध्यम से भारत के पूर्वोत्तर में व्यापार करने का आह्वान किया।
भारत इस टिप्पणी को रणनीतिक चेतावनी के रूप में देख रहा है और यह कदम एक राजनयिक संदेश भी माना जा रहा है।
आर्थिक प्रभाव:
बांग्लादेश पर प्रभाव:
भारत के पूर्वोत्तर बाजार तक पहुंच सीमित होने से निर्यात प्रभावित हो सकता है।
लॉजिस्टिक लागत बढ़ेगी, क्योंकि अब समुद्री मार्ग से भेजना होगा।
स्थानीय निर्यात उद्योग पर असर संभव है।
भारत पर प्रभाव:
पूर्वोत्तर भारत के स्थानीय उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा।
यदि आपूर्ति कम हुई तो कुछ उत्पादों की कीमतें बढ़ सकती हैं।
राजनीतिक महत्व:
यह निर्णय भारत की रणनीतिक व्यापार नीति की ओर संकेत करता है।
यह “Act East” नीति और आर्थिक आत्मनिर्भरता पर जोर देता है।
यह भारत के व्यापारिक रुख में कूटनीतिक दृढ़ता का भी परिचायक है।
संभावित भविष्य घटनाक्रम:
भारत और बांग्लादेश के बीच संवाद की संभावना बन सकती है।
बांग्लादेश अपने प्रतिबंधों में ढील दे सकता है।
भारत भी स्थिति के अनुसार प्रतिबंधों को घटा या बढ़ा सकता है।
बांग्लादेश में चीन की बढ़ती भूमिका क्षेत्रीय व्यापार पर प्रभाव डाल सकती है।
निष्कर्ष:
भारत का यह कदम एक संतुलित और रणनीतिक व्यापारिक प्रतिक्रिया है जो: