भारत ने अमेरिकी आयात पर जवाबी शुल्क लगाने की योजना के बारे में विश्व व्यापार संगठन को सूचित किया

भारत ने अमेरिकी आयात पर जवाबी शुल्क लगाने की योजना के बारे में विश्व व्यापार संगठन को सूचित किया

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द हिंदू: 14 मई 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों चर्चा में है?:

भारत ने विश्व व्यापार संगठन (WTO) को सूचित किया है कि वह अमेरिका से आयात होने वाले $7.6 बिलियन मूल्य के उत्पादों पर प्रतिशोधात्मक शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। यह कदम अमेरिका द्वारा भारतीय इस्पात और एल्युमीनियम पर 25% शुल्क लगाने के जवाब में उठाया गया है। यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते को लेकर बातचीत चल रही है।

 

पृष्ठभूमि:

2018 में, तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने इस्पात और एल्युमीनियम पर 25% शुल्क लगाया, जिसका कारण राष्ट्रीय सुरक्षा बताया गया।

अधिकांश देशों को छूट मिली, लेकिन भारत को यह छूट नहीं मिली।

जून 2019 में, भारत ने 28 अमेरिकी उत्पादों पर उच्च शुल्क लगाकर प्रतिशोध किया था।

सितंबर 2023 में, प्रधानमंत्री मोदी की अमेरिका यात्रा के बाद यह शुल्क हटा लिया गया।

फरवरी 2025 में, ट्रम्प के दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में, उन्होंने फिर से 25% टैरिफ लागू किए, और सभी देश विशेष छूट हटा दी गई।

अप्रैल 2025 में, भारत ने वार्ता की कोशिश की, लेकिन अमेरिका ने इसे "राष्ट्रीय सुरक्षा उपाय" कहकर इंकार कर दिया।

 

भारत क्या प्रस्तावित कर रहा है?:

भारत ने 9 मई 2025 को WTO को अधिसूचना दी कि वह प्रतिशोधात्मक टैरिफ लगाएगा।

यह WTO के तहत दी गई रियायतों को निलंबित करने के रूप में होगा।

इससे अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर शुल्क बढ़ेगा, जिससे भारत को $1.91 बिलियन का मुआवजा मिलेगा।

यह कदम 30 दिनों बाद, यानी 8 जून 2025 से प्रभावी हो सकता है।

 

कानूनी दृष्टिकोण:

भारत का दावा है कि अमेरिका के ये कदम WTO नियमों का उल्लंघन हैं:

GATT 1994 (जनरल एग्रीमेंट ऑन टैरिफ्स एंड ट्रेड)

Agreement on Safeguards (AoS)

अमेरिका ने अनिवार्य परामर्श (Article 12.3) नहीं किया, इसलिए भारत को प्रतिशोध का अधिकार है।

भारत का तर्क है कि "राष्ट्रीय सुरक्षा" का हवाला देकर भी ये सुरक्षात्मक उपाय (safeguard measures) ही हैं, जिन्हें WTO को सूचित करना आवश्यक था।

 

आर्थिक प्रभाव:

$7.6 बिलियन के अमेरिकी उत्पादों पर शुल्क लगने से वे महंगे हो जाएंगे।

इससे कृषि, मशीनरी और रसायन जैसे क्षेत्र प्रभावित हो सकते हैं।

भारत-अमेरिका व्यापार घाटा बढ़ सकता है।

निवेशकों के बीच अनिश्चितता का माहौल बन सकता है।

 

राजनयिक प्रभाव:

इस कदम से भारत-अमेरिका व्यापार संबंधों में तनाव आ सकता है।

दोनों देशों के बीच चल रही व्यापक व्यापार वार्ता भी प्रभावित हो सकती है।

परंतु, यह भारत की वैश्विक मंचों पर मजबूती से अपने हितों की रक्षा करने की नीति को भी दर्शाता है।

 

भविष्य की संभावना:

भारत WTO के ट्रेड इन गुड्स काउंसिल और सेफगार्ड कमिटी को आगे की जानकारी देगा।

यदि बातचीत नहीं हुई तो 8 जून 2025 से शुल्क प्रभावी हो सकते हैं।

फिर भी, राजनयिक समाधान की गुंजाइश अभी बाकी है।

 

पहले की घटनाओं से तुलना:

2019 में, भारत ने GSP (Generalised System of Preferences) हटाने के जवाब में टैरिफ लगाए थे।

2023 में, यह मामला प्रधानमंत्री की यात्रा के बाद सुलझ गया था।

इस बार की स्थिति पहले से ज्यादा गंभीर और व्यापक है।

 

रणनीतिक दृष्टिकोण:

  • यह कदम अमेरिका को बातचीत की मेज पर लाने की रणनीति भी हो सकता है।
  • भारत अब WTO जैसे वैश्विक मंचों पर अधिक आक्रामक रुख अपना रहा है।
  • यह भारत के व्यापार नीति में हुए बदलाव को दर्शाता है – अब रक्षात्मक नहीं, बल्कि सक्रिय नीति अपनाई जा रही है।
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