भारत, यूरोपीय संघ ने व्यापार समझौते के लिए वर्ष के अंत तक की समय-सीमा तय की-

भारत, यूरोपीय संघ ने व्यापार समझौते के लिए वर्ष के अंत तक की समय-सीमा तय की-

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द हिंदू: 1 मार्च 2025 को प्रकाशित:

 

यह खबर में क्यों है?

भारत और यूरोपीय संघ (EU) ने मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को 2025 के अंत तक पूरा करने की दिशा में काम करने का संकल्प लिया है। यह घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूरोपीय आयोग की अध्यक्ष उर्सुला वॉन डेर लेयेन के बीच हुई बैठक के बाद की गई। यह समझौता, जिसकी शुरुआत 2007 में हुई थी, अब तक टैरिफ (शुल्क दरों) और बाजार पहुंच से जुड़ी समस्याओं के कारण लंबित है। इसके अलावा, भारत और EU नए रणनीतिक सुरक्षा एवं रक्षा साझेदारी समझौते पर भी चर्चा कर रहे हैं, जो वर्तमान रणनीतिक रोडमैप 2020-2025 की जगह लेगा।

 

व्यापार समझौते से जुड़े प्रमुख मुद्दे-

मुक्त व्यापार समझौते में क्या शामिल होगा? 

  • व्यापार और सेवाओं से संबंधित मुक्त व्यापार समझौता
  • निवेश संरक्षण समझौता (Investment Protection Agreement)
  • भौगोलिक संकेत (GI) समझौता, जो विशिष्ट क्षेत्रीय उत्पादों को सुरक्षा देगा (जैसे फ्रांस की शैम्पेन या भारत की दार्जिलिंग चाय)।
  • यदि यह समझौता पूरा होता है, तो यह वैश्विक स्तर पर सबसे बड़ा व्यापार समझौता होगा, जिसमें 100 अरब डॉलर से अधिक का भारत-EU व्यापार शामिल होगा।

 

समझौते में देरी के कारण क्या हैं?

इस समझौते में सबसे बड़ी बाधा टैरिफ (शुल्क) दरें रही हैं। प्रमुख मुद्दे इस प्रकार हैं:

  • यूरोपीय कारों पर शुल्क – यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत यूरोपियन ऑटोमोबाइल पर शुल्क घटाए, जबकि भारत अपने घरेलू ऑटोमोबाइल उद्योग की सुरक्षा करना चाहता है।
  • शराब आयात पर शुल्क – यूरोपीय संघ चाहता है कि भारत यूरोपियन वाइन और स्पिरिट्स पर शुल्क घटाए, लेकिन भारत अपने स्थानीय शराब निर्माताओं की सुरक्षा करना चाहता है।
  • IT और सेवा क्षेत्र में बाजार पहुंच – भारत चाहता है कि उसके IT पेशेवरों और सेवा उद्योग को यूरोप में अधिक अवसर मिलें, लेकिन यूरोपीय संघ श्रम कानूनों को लेकर चिंतित है। 
  • बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और डेटा संरक्षण – EU चाहता है कि भारत सख्त बौद्धिक संपदा कानून और डेटा गोपनीयता नियम अपनाए, जबकि भारत एक संतुलित दृष्टिकोण चाहता है। 
  • इस वर्ष के अंत की समय-सीमा दोनों पक्षों के बीच राजनीतिक दबाव बनाने के लिए तय की गई है, ताकि लंबित मुद्दों को हल किया जा सके।

 

व्यापार वार्ता के पीछे भू-राजनीतिक (Geopolitical) संदर्भ-

इस व्यापार वार्ता में तेजी लाने के पीछे वैश्विक भू-राजनीतिक बदलाव एक प्रमुख कारण हैं:

अमेरिकी टैरिफ नीतियों का खतरा – अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोप और "टैरिफ उल्लंघनकर्ताओं" (जैसे भारत) पर शुल्क लगाने की धमकी दी है। इससे यूरोपीय संघ नए व्यापार साझेदारों की तलाश कर रहा है।

RU रूस-यूक्रेन युद्ध का प्रभाव – यूरोपीय संघ रूस पर अपनी व्यापार निर्भरता कम करने के लिए नए साझेदारों की तलाश में है।

CN चीन पर निर्भरता घटाने की रणनीति – यूरोपीय संघ ‘डी-रिस्किंग’ (De-risking) रणनीति अपना रहा है, जिससे वह चीन पर व्यापारिक निर्भरता कम कर सके। इसके लिए भारत एक महत्वपूर्ण साझेदार बन सकता है।

 

सुरक्षा और रक्षा सहयोग –

  • आगामी भारत-EU शिखर सम्मेलन में एक नया रणनीतिक सुरक्षा और रक्षा साझेदारी समझौता होने की संभावना है, जिसमें:
  • साइबर सुरक्षा और आतंकवाद विरोधी सहयोग
  • रक्षा प्रौद्योगिकी सहयोग
  • इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में समुद्री सुरक्षा बढ़ाने पर ध्यान दिया जाएगा।
  • वॉन डेर लेयेन ने कहा कि भारत-EU संबंध "इस सदी की सबसे महत्वपूर्ण साझेदारियों में से एक" बन सकते हैं, जो व्यापार और रणनीतिक सहयोग के गहरे रिश्तों की ओर संकेत करता है।

 

भारत की पिछली व्यापार वार्ताओं में देरी

  • भारत ने हाल के वर्षों में FTA वार्ताओं में तेजी लाई है, लेकिन कई बार समय सीमा पार कर दी गई है:
  • भारत-यूके FTA – 2022 की समय-सीमा पार हुई, कारण: आप्रवासन और श्रम कानूनों पर असहमति।
  • भारत-ऑस्ट्रेलिया FTA – कृषि और सेवा क्षेत्र में बाज़ार पहुंच से जुड़ी बाधाओं के कारण विलंब हुआ।
  • भारत-कनाडा FTA – राजनीतिक तनावों के कारण वार्ता रद्द हो गई।
  • यूरोपीय संघ भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, इसलिए दोनों पक्ष अब इस समझौते को तेजी से पूरा करने को प्राथमिकता दे रहे हैं।

 

आगे क्या होगा?

  • अगली वार्ता ब्रुसेल्स में (10-14 मार्च, 2025) होगी।
  • भारतीय और यूरोपीय वार्ताकार टैरिफ से जुड़ी समस्याओं को हल करने पर काम करेंगे।
  • भारत-EU शिखर सम्मेलन (2025 के अंत में) व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होगा।
  • यदि यह समझौता पूरा होता है, तो यह दोनों क्षेत्रों के बीच अरबों डॉलर के व्यापार अवसर खोलेगा और आर्थिक तथा रणनीतिक सहयोग को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगा।

 

मुख्य निष्कर्ष-

  • भारत और यूरोपीय संघ 2025 के अंत तक मुक्त व्यापार समझौता (FTA) पूरा करना चाहते हैं, लेकिन टैरिफ विवाद प्रमुख बाधा बने हुए हैं।
  • यूरोपीय संघ भारत से कारों और शराब पर शुल्क कम करने की मांग कर रहा है, जबकि भारत सेवा क्षेत्र में अधिक अवसर चाहता है।
  • अमेरिका-यूरोप व्यापार तनाव, रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन पर निर्भरता कम करने की रणनीति भारत-EU व्यापार सहयोग को बढ़ावा दे रही है।
  • एक नया रणनीतिक सुरक्षा और रक्षा साझेदारी समझौता भी प्रस्तावित है, जिससे भारत-EU संबंध केवल व्यापार तक सीमित नहीं रहेंगे।
  • आगामी भारत-EU शिखर सम्मेलन 2025 इस समझौते के लिए निर्णायक साबित हो सकता है।
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