द हिंदू: 11 दिसंबर 2025 को पब्लिश हुआ।
चर्चा में क्यों?
लोकसभा में चुनावी सुधारों पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने घोषणा की कि सरकार अवैध प्रवासियों को “डिटेक्ट, डिलीट और डिपोर्ट” करेगी। उनके इस बयान से विपक्ष के साथ तीखी बहस हुई और अंततः विपक्ष ने वॉकआउट किया। राहुल गांधी ने 2023 के कानून के तहत चुनाव आयुक्तों (ECs) को दी गई अभियोजन से छूट (immunity) पर सवाल उठाए।
पृष्ठभूमि:
चुनाव आयोग ने जून में मतदाता सूची का स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) शुरू किया।
विपक्ष का दावा है कि SIR प्रक्रिया पारदर्शी नहीं है और इसका दुरुपयोग हो सकता है।
2023 में मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) और चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति से संबंधित एक नया कानून पारित हुआ, जिसमें उन्हें अभियोजन से छूट प्रदान की गई।
बहस के पहले दिन राहुल गांधी ने इसी छूट को लेकर सवाल उठाया था।
मुख्य मुद्दे:
A. अवैध प्रवासी
अमित शाह ने NDA सरकार के नारे — “Detect, Delete, Deport” — पर जोर दिया।
उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाया कि वह "घुसपैठियों" के नाम मतदाता सूची में बनाए रखना चाहता है।
B. “वोट चोरी” विवाद
राहुल गांधी ने सरकार पर “वोट चोरी” का आरोप लगाया।
शाह ने पलटवार करते हुए कहा कि “कुछ परिवार परंपरागत वोट चोर हैं।”
C. चुनाव आयुक्तों को
राहुल गांधी ने पूछा कि 2023 के कानून के तहत ECs को अभियोजन से छूट क्यों दी गई।
शाह ने कहा कि वह सभी सवालों के जवाब देंगे, लेकिन विपक्ष उनके भाषण का क्रम तय नहीं कर सकता।
D. विपक्ष का वॉकआउट
विपक्ष ने आरोप लगाया कि शाह सवालों के जवाब नहीं दे रहे।
शाह ने कहा: “वे 200 बार भी वॉकआउट कर लें, एक भी घुसपैठिया नहीं छोड़ा जाएगा।”
तथ्य-आधारित महत्वपूर्ण बिंदु:
शाह ने कहा कि पहला SIR वर्ष 1952 में नेहरू के समय में हुआ था — यह नई प्रक्रिया नहीं है।
2014 के बाद से BJP ने 44 चुनाव हारे और 30 जीते, इसका मतलब है कि हारने पर भी EC पर आरोप नहीं लगाया।
संविधान का अनुच्छेद 326 — चुनाव आयोग को साफ और सटीक मतदाता सूची तैयार करने का दायित्व देता है।
प्रभाव :
A. राजनीतिक प्रभाव
यह बहस चुनावी सुधारों पर राजनीतिक ध्रुवीकरण को और बढ़ाती है।
विपक्ष इसे लोकतांत्रिक संस्थाओं और चुनावी विश्वसनीयता से जुड़ा मुद्दा बना सकता है।
B. सामाजिक प्रभाव
“अवैध प्रवासी” का मुद्दा असम, बंगाल और उत्तर-पूर्व के कई राज्यों में अत्यंत संवेदनशील है।
नागरिकता और मतदाता पहचान को लेकर बहस और तेज होने की संभावना है।
C. प्रशासनिक प्रभाव
SIR प्रक्रिया और अधिक सख्त और जांच के दायरे में आ सकती है।
चुनाव आयोग की निष्पक्षता पर सवाल और बढ़ सकते हैं।
संभावित भविष्य की स्थितियाँ:
सरकार अवैध प्रवासियों की पहचान और निष्कासन की प्रक्रिया को तेज कर सकती है।
विपक्ष EC की immunity के मुद्दे को संसद और संभवतः न्यायालय में उठा सकता है।
चुनावी सुधार आने वाले चुनावों से पहले मुख्य राजनीतिक मुद्दा बन सकते हैं।
SIR प्रक्रिया की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की माँग भी उठ सकती है।
निष्कर्ष: