द हिंदू: 28 जून 2025 को प्रकाशित:
खबर में क्यों है?
हाल ही में अमेरिका और इज़राइल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों (फोर्दो, नटांज और इस्फहान) पर किए गए हवाई हमलों का उद्देश्य ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम को पीछे धकेलना था। लेकिन रिपोर्टों के अनुसार, ईरान ने हमलों से पहले ही अपने 60% समृद्ध यूरेनियम भंडार को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित कर दिया, जिससे उसकी परमाणु क्षमता बनी रही।
पृष्ठभूमि:
ईरान 60% तक यूरेनियम समृद्ध कर रहा है, जो कि हथियार-योग्य 90% स्तर से थोड़ा कम है। 2015 में हुए परमाणु समझौते (JCPOA) के तहत इसे 3.67% तक सीमित किया गया था, लेकिन 2018 में अमेरिका के समझौते से हटने के बाद ईरान ने अपने समृद्धिकरण कार्यक्रम को तेज कर दिया, जिससे अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर चिंता बढ़ गई।
मुख्य मुद्दे:
60% समृद्ध यूरेनियम का भंडार लगभग सुरक्षित है।
ईरान के पास परमाणु हथियार बनाने की तकनीकी जानकारी बरकरार है।
हमलों से ईरान की राजनीतिक इच्छाशक्ति और वैश्विक सहानुभूति दोनों मजबूत हो सकती हैं।
ईरान शांतिपूर्ण ऊर्जा के नाम पर अपनी स्थिति को कूटनीतिक सौदेबाजी के लिए उपयोग कर सकता है।
रणनीतिक प्रभाव:
ईरान परमाणु हथियार बनाने की "ब्रेकआउट अवधि" को कुछ ही दिनों में घटा सकता है।
हमले ईरान की भूमिगत समृद्धिकरण संरचनाओं को नष्ट नहीं कर पाए।
ईरान परमाणु अप्रसार संधि (NPT) से हटने पर विचार कर सकता है, जिससे क्षेत्रीय अस्थिरता बढ़ेगी।
सऊदी अरब, तुर्की जैसे देशों द्वारा परमाणु हथियार कार्यक्रम अपनाने की संभावना बढ़ सकती है।
घरेलू और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं:
ईरानी संसद ने IAEA के साथ सहयोग को सीमित करने के लिए प्रस्ताव पारित किया है।
तेहरान ने IAEA पर इज़राइल को संवेदनशील डेटा लीक करने का आरोप लगाया।
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि ये हमले राजनीतिक रूप से उल्टा असर डाल सकते हैं और ईरान को परमाणु हथियार की दिशा में और प्रोत्साहित कर सकते हैं।
आगे की राह: