द हिंदू: 17 फरवरी 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
मणिपुर में 13 फरवरी 2024 को राष्ट्रपति शासन लागू किया गया। यह निर्णय मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद लिया गया, जब बीजेपी नेतृत्व नए मुख्यमंत्री पर सहमति नहीं बना सका। मई 2023 से जारी मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच हिंसा, जिसमें 250 से अधिक लोगों की मौत हुई और 60,000 से अधिक लोग विस्थापित हुए, ने राज्य में प्रशासनिक संकट उत्पन्न कर दिया। बढ़ती अस्थिरता और राजनीतिक गतिरोध को देखते हुए संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
राष्ट्रपति शासन क्या है?
राष्ट्रपति शासन (State Emergency/Constitutional Emergency) तब लागू किया जाता है जब कोई राज्य सरकार संविधान के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हो। इस स्थिति में, राज्य की कार्यकारी शक्तियाँ (मुख्यमंत्री और मंत्रिपरिषद) हटा दी जाती हैं, और संसद को उस राज्य के विधायी अधिकार सौंप दिए जाते हैं। राज्य की प्रशासनिक जिम्मेदारी राष्ट्रपति के प्रतिनिधि के रूप में राज्यपाल निभाते हैं।
एक बार राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद, इसे दो महीनों के भीतर संसद से मंजूरी लेनी होती है। यदि संसद इसे मंजूरी देती है, तो यह छह महीने तक जारी रह सकता है, और इसे हर छह महीने बाद बढ़ाने के लिए फिर से संसद की मंजूरी आवश्यक होती है। अधिकतम अवधि तीन वर्ष है, लेकिन यदि राष्ट्रीय आपातकाल लागू हो या चुनाव आयोग यह प्रमाणित करे कि राज्य में चुनाव कराना संभव नहीं है, तभी इसे एक वर्ष से अधिक बढ़ाया जा सकता है।
संविधान में राष्ट्रपति शासन का प्रावधान
भारतीय संविधान के भाग XVIII (18) में तीन प्रकार की आपात स्थितियों का उल्लेख है:
राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) – जब देश को युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह का खतरा हो।
राज्य आपातकाल (अनुच्छेद 356) – जब किसी राज्य की संवैधानिक मशीनरी विफल हो जाए, जैसा कि मणिपुर में हुआ।
वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) – जब देश की वित्तीय स्थिरता को गंभीर खतरा हो, हालाँकि इसे कभी लागू नहीं किया गया है।
मणिपुर में अनुच्छेद 356 लागू किया गया क्योंकि राज्य सरकार हिंसा और राजनीतिक संकट के बीच संविधान के अनुसार शासन करने में असमर्थ थी।
राष्ट्रपति शासन और राष्ट्रीय आपातकाल में अंतर
राष्ट्रीय आपातकाल (अनुच्छेद 352) पूरे देश या किसी क्षेत्र में तब लागू होता है जब देश की सुरक्षा को बाहरी आक्रमण, युद्ध या सशस्त्र विद्रोह से खतरा हो। इसके विपरीत, राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) केवल एक राज्य के प्रशासन के असफल होने पर लगाया जाता है।
राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत मौलिक अधिकार निलंबित किए जा सकते हैं, और राष्ट्रपति अन्य मौलिक अधिकारों को भी अस्थायी रूप से रोक सकते हैं (अनुच्छेद 359)। लेकिन राष्ट्रपति शासन के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकार प्रभावित नहीं होते।
राष्ट्रपति शासन को लागू करने के लिए संसद में साधारण बहुमत की आवश्यकता होती है, जबकि राष्ट्रीय आपातकाल के लिए विशेष बहुमत आवश्यक होता है। इसके अलावा, राष्ट्रीय आपातकाल की कोई निश्चित अवधि नहीं होती, जबकि राष्ट्रपति शासन अधिकतम तीन वर्षों तक ही लागू रह सकता है।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, लेकिन राज्य विधानसभा को भंग नहीं किया गया, बल्कि "निलंबित एनीमेशन" (suspended animation) में रखा गया। इसका अर्थ है कि यदि राज्य में राजनीतिक स्थिरता लौटती है, तो विधानसभा को पुनर्जीवित किया जा सकता है।
क्या राष्ट्रपति शासन का दुरुपयोग हुआ है?
संविधान निर्माण के दौरान डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने आशा व्यक्त की थी कि अनुच्छेद 356 कभी उपयोग में नहीं आएगा और "मृत अक्षर" (Dead Letter) बना रहेगा। लेकिन, 1950 से अब तक इसे 134 बार लागू किया जा चुका है।
भारत में पहली बार 1951 में पंजाब में राष्ट्रपति शासन लगाया गया था। मणिपुर और उत्तर प्रदेश में इसे 11 बार लागू किया गया है। इसके अलावा, सबसे लंबे समय तक राष्ट्रपति शासन जम्मू और कश्मीर में लागू रहा, जो 12 वर्षों (4,668 दिन) तक चला। पंजाब और पुदुचेरी में भी यह लंबे समय तक लागू रहा है।
1994 के एस. आर. बोम्मई केस में सुप्रीम कोर्ट ने इस शक्ति के राजनीतिक दुरुपयोग पर सख्त रुख अपनाया। अदालत ने कहा कि अनुच्छेद 356 का प्रयोग पूरी तरह न्यायिक समीक्षा के अधीन है, और इसे केवल अंतिम विकल्प के रूप में ही लागू किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि राष्ट्रपति संसद की अनुमति के बिना राज्य विधानसभा को भंग नहीं कर सकते।
मणिपुर में राष्ट्रपति शासन से जुड़े मुख्य बिंदु
राष्ट्रपति शासन भारत के संविधान में एक महत्वपूर्ण प्रावधान है जो प्रशासनिक संकट के समय उपयोगी हो सकता है, लेकिन इतिहास ने दिखाया है कि इसका राजनीतिक दुरुपयोग भी किया गया है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी और संवैधानिक प्रावधान इस शक्ति के अनुचित प्रयोग को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।