उत्तर प्रदेश का इतिहास और प्रशासनिक विकास

उत्तर प्रदेश का इतिहास और प्रशासनिक विकास

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उत्तर प्रदेश, जिसे अक्सर “भारत का हृदय स्थल” कहा जाता है, का इतिहास वैदिक युग से लेकर आधुनिक काल तक फैला हुआ है। इसकी प्रशासनिक और राजनीतिक यात्रा विभिन्न शासकों के अधीन बदलती रही, और अंततः स्वतंत्र भारत में यह देश का प्रमुख राज्य बन गया।

 

प्राचीन और प्रारंभिक इतिहास

उत्तर प्रदेश का क्षेत्र उत्तर वैदिक काल में ब्राह्मर्षि देश या मध्य देश के नाम से जाना जाता था। यही भूमि भारत की बौद्धिक और आध्यात्मिक परंपराओं की जननी बनी। यहीं पर प्रसिद्ध ऋषि जैसे भारद्वाज, गौतम, याज्ञवल्क्य, वशिष्ठ, विश्वामित्र और वाल्मीकि ने तपस्या की। आर्यों के पवित्र ग्रंथ इसी भूमि पर रचे गए। रामायण और महाभारत जैसे दो महान महाकाव्य भी उत्तर प्रदेश से गहराई से जुड़े हैं।

ईसा पूर्व 6वीं शताब्दी में यहीं जैन धर्म और बौद्ध धर्म का उदय हुआ। भगवान बुद्ध ने सारनाथ में अपना प्रथम उपदेश दिया और कुशीनगर में महापरिनिर्वाण प्राप्त किया। अयोध्या, प्रयाग, वाराणसी और मथुरा जैसे नगर शिक्षा और आध्यात्मिकता के केंद्र बने।

 

मध्यकालीन काल

मध्यकाल में उत्तर प्रदेश मुस्लिम शासन के अधीन आया, जहाँ हिंदू और इस्लामी संस्कृतियों का सुंदर संगम देखने को मिला। इस युग में संत रामानंद, उनके शिष्य कबीर, तुलसीदास और सूरदास जैसे कवियों ने हिंदी साहित्य को समृद्ध किया। इसी काल में हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं का विकास हुआ।

 

ब्रिटिश शासन और प्रशासनिक परिवर्तन

ब्रिटिश काल में प्रदेश की प्रशासनिक संरचना में बड़े परिवर्तन हुए।

  • 1836 में इसे नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस (North-Western Province) कहा गया।
  • 1877 में अवध के विलय के बाद इसका नाम नॉर्थ-वेस्टर्न प्रोविंस एंड अवध रखा गया।
  • 1902 में इसे यूनाइटेड प्रोविंसेज ऑफ आगरा एंड अवध नाम दिया गया।
  • 1920 में राजधानी इलाहाबाद से लखनऊ स्थानांतरित की गई, जिससे लखनऊ की राजनीतिक स्थिति मजबूत हुई।
  • 1937 के Government of India Act के अंतर्गत इसका नाम संक्षिप्त कर यूनाइटेड प्रोविंसेज कर दिया गया।

 

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

भारत की स्वतंत्रता की लड़ाई में उत्तर प्रदेश की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण रही। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम से लेकर भारत छोड़ो आंदोलन तक, यह भूमि संघर्ष का केंद्र रही। मंगल पांडे, बख्त खान, बेगम हजरत महल, रानी लक्ष्मीबाई, राम प्रसाद बिस्मिल, अशफाक़ उल्ला खां, राजेंद्र लाहिड़ी, और चंद्रशेखर आजाद जैसे वीरों ने ब्रिटिश शासन के विरुद्ध संघर्ष किया। वहीं आचार्य नरेंद्र देव, पुरुषोत्तम दास टंडन, डॉ. राम मनोहर लोहिया और गोविंद बल्लभ पंत ने जन आंदोलनों और समाजवादी विचारधारा के माध्यम से देश को दिशा दी। इस प्रकार, उत्तर प्रदेश ने भारत को अनेक महान स्वतंत्रता सेनानी दिए जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर किया।

 

स्वतंत्रता के बाद

15 अगस्त 1947 को भारत की स्वतंत्रता के बाद, 24 जनवरी 1950 को यूनाइटेड प्रोविंसेज का नाम बदलकर आधिकारिक रूप से उत्तर प्रदेश रखा गया। इसका अर्थ है “उत्तरी प्रांत”, जो इसके भौगोलिक स्थान और नई राष्ट्रीय पहचान दोनों को दर्शाता है। तब से उत्तर प्रदेश देश का एक प्रमुख राजनीतिक, सांस्कृतिक और धार्मिक केंद्र बना हुआ है।

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