क्या अमेरिकी शेयरों में भारी उछाल से चकित वैश्विक निवेशक फिर से इसमें निवेश करेंगे?

क्या अमेरिकी शेयरों में भारी उछाल से चकित वैश्विक निवेशक फिर से इसमें निवेश करेंगे?

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द हिंदू: 26 सितंबर 2025 को प्रकाशित।

 

क्यों चर्चा में?

वैश्विक निवेशक, जिन्होंने ट्रम्प की टैरिफ़ घोषणाओं और वैश्विक अनिश्चितता के कारण अमेरिकी शेयर बाज़ार से पैसा निकाल लिया था, अब फिर से बड़ी तेज़ी से लौट रहे हैं।

अमेरिकी शेयरों में एआई (AI) उछाल की उम्मीदों और फेडरल रिज़र्व की ब्याज दर कटौती से जबरदस्त रिकवरी देखी गई है।

अमेरिकी इक्विटी फंड्स में साप्ताहिक निवेश 58 अरब डॉलर के सालाना उच्च स्तर पर पहुँच गया है, जबकि यूरोप और जापान में निवेश प्रवाह घटा है।

 

पृष्ठभूमि:

अप्रैल 2025 में, अमेरिकी सरकार द्वारा कड़े टैरिफ़ लगाए जाने के बाद वैश्विक निवेशकों ने अमेरिकी शेयरों से बड़े पैमाने पर निवेश निकाल लिया।

जून तक, वैश्विक फंड मैनेजर अमेरिकी शेयरों और डॉलर को लेकर सबसे अधिक नकारात्मक थे।

लेकिन सितंबर तक आते-आते वॉल स्ट्रीट ने यूरोप और जापान के शेयर बाज़ारों को पीछे छोड़ दिया और S&P 500 व छोटे अमेरिकी शेयरों (Small caps) में मज़बूत तेजी आई।

 

मुख्य बिंदु / मुद्दे:

निवेशकों का पलटाव: यूरोप, जापान और उभरते बाज़ारों की ओर झुके निवेशक अब वापस अमेरिकी बाज़ारों में लौट रहे हैं।

AI आधारित उछाल: विश्लेषकों ने इसे 2000 के डॉटकॉम बबल से तुलना की है, जिससे अधिक मूल्यांकन (Overvaluation) का खतरा है।

अमेरिका का दबदबा: निवेशकों का मानना है कि विविधीकरण (Diversification) की चर्चा अच्छी है, लेकिन अमेरिकी बाज़ारों से दूर रहना संभव नहीं।

बॉन्ड बाज़ार: अमेरिकी बॉन्ड की यील्ड घटी है, जिससे निवेश बढ़ा है, जबकि यूरोप की यील्ड बढ़ रही है।

मुद्रा रुझान: डॉलर, साल की पहली छमाही की कमजोरी के बाद अब स्थिर हो गया है और थोड़ा मज़बूत हुआ है।

 

वैश्विक बाज़ारों पर प्रभाव:

अमेरिकी बाज़ार: सबसे आकर्षक, खासकर छोटे शेयर और AI आधारित कंपनियाँ।

यूरोप व जापान: निवेशकों की रुचि घट रही है, फंड प्रवाह भी कम हो गया है।

उभरते बाज़ार व चीन: अमेरिका की मजबूती के कारण निवेश आवंटन घट रहा है।

बबल का खतरा: अगर AI शेयरों में तेज गिरावट आई तो अमेरिकी परिवारों की संपत्ति पर बड़ा असर पड़ सकता है।

 

आर्थिक और नीतिगत पहलू:

फेडरल रिज़र्व: ब्याज दरों में कटौती (2026 तक 110 बेसिस प्वाइंट की उम्मीद) निवेशक विश्वास का बड़ा कारण है।

ट्रम्प की टैरिफ़ नीति: मध्यम अवधि का जोखिम बनी हुई है, जो महंगाई बढ़ा सकती है और विकास घटा सकती है।

घरेलू संपत्ति: अमेरिकी परिवारों की संपत्ति का 68% हिस्सा शेयरों में है, इसलिए कोई भी गिरावट उपभोग (Consumption) को बुरी तरह प्रभावित कर सकती है।

 

भविष्य की दिशा:

लघु अवधि (सकारात्मक): AI और ब्याज दर कटौती से अमेरिकी बाज़ारों में तेजी जारी रह सकती है।

मध्यम अवधि (सावधान): 2000 जैसी डॉटकॉम क्रैश जैसी स्थिति दोबारा हो सकती है।

वैश्विक रणनीति: गैर-अमेरिकी बाज़ारों का मूल्यांकन सस्ता है, लेकिन निवेशक अमेरिकी निवेश कम करने को तैयार नहीं हैं।

 

संक्षेप में:

वैश्विक निवेशक अमेरिकी बाज़ारों में ज़बरदस्त वापसी कर रहे हैं। AI और फेड दर कटौती ने वॉल स्ट्रीट को फिर से सबसे आकर्षक बना दिया है। हालाँकि, ओवरवैल्यूएशन और व्यापार नीति (टैरिफ़) जैसे खतरे बने हुए हैं। अमेरिका अब भी वैश्विक वित्तीय जगत का “केंद्र बिंदु” बना हुआ है।

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