द हिंदू: 13 मई 2025 को प्रकाशित:
खबर में क्यों
फ्रेडरिक मर्ज (Friedrich Merz) 6 मई 2025 को जर्मनी के नए चांसलर बने, ऐसे समय में जब देश की अर्थव्यवस्था लगातार दो वर्षों से संकुचन में है और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा यूरोपीय संघ (EU) पर नए टैरिफ लगाए गए हैं। इसका सबसे अधिक प्रभाव जर्मन ऑटोमोबाइल उद्योग पर पड़ रहा है।
पृष्ठभूमि
CDU (क्रिश्चियन डेमोक्रेटिक यूनियन) के नेता फ्रेडरिक मर्ज ने दो दौर के मतदान के बाद चांसलर पद ग्रहण किया — यह स्थिति द्वितीय विश्व युद्ध के बाद पहली बार हुई है।
जर्मनी की अर्थव्यवस्था लगातार दो साल से गिरावट में है।
ट्रंप ने EU उत्पादों पर 20% और कारों पर 25% टैरिफ की घोषणा की।
EU की टैरिफ नीति के चलते जर्मनी अकेले कोई जवाबी कार्रवाई नहीं कर सकता।
मुख्य मुद्दे:
अर्थव्यवस्था में मंदी: औद्योगिक उत्पादन घट रहा है, संरचनात्मक बदलाव की आवश्यकता है।
ट्रेड वॉर का खतरा: नए टैरिफ से जर्मन निर्यात को भारी नुकसान, प्रति कार $6,000 अतिरिक्त लागत।
राजनीतिक चुनौतियां: मर्ज के गठबंधन में विपरीत विचारधारा वाली पार्टियाँ (CDU + SPD) हैं।
EU की सीमाएँ: अमेरिका पर निर्भरता के कारण EU भी तुरंत जवाब नहीं दे पा रहा।
आर्थिक प्रभाव:
अगर ट्रेड वॉर लंबा चला तो 2028 तक जर्मनी का GDP 1.5% तक घट सकता है।
ऑटो सेक्टर सबसे ज़्यादा प्रभावित — 2024 में अमेरिका को 4.5 लाख से अधिक कारों का निर्यात।
निवेश और खरीदारी में अनिश्चितता से आर्थिक गतिविधि पर बुरा असर।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:
EU ने WTO (विश्व व्यापार संगठन) में अमेरिका के खिलाफ विवाद दायर किया है।
€95 बिलियन की काउंटर-टैरिफ सूची तैयार की जा रही है।
अन्य साझेदारों जैसे कनाडा, जापान, दक्षिण कोरिया से व्यापार बढ़ाने की योजना।
भारत संभावित लाभार्थी हो सकता है।
भारत का दृष्टिकोण
भारत के साथ EU का कोई व्यापक FTA (फ्री ट्रेड एग्रीमेंट) नहीं है।
हालाँकि, औद्योगिक वस्तुओं में क्षेत्रीय समझौते संभव हैं।
भारत को एशिया में EU का संभावित रणनीतिक साझेदार माना जा रहा है।
उद्योगवार चिंता:
ऑटोमोबाइल उद्योग: सबसे अधिक प्रभावित, चीन से डंपिंग का डर।
ऊर्जा और फार्मा क्षेत्र: अमेरिका पर आयात निर्भरता, जवाबी कार्रवाई सीमित।
सामान्य वस्तुएं: कम प्रतिस्पर्धा, असर सीमित।
संरचनात्मक चुनौतियाँ:
मर्ज का लक्ष्य है जर्मनी को उद्योग प्रधान देश बनाए रखना।
वैश्विक अस्थिरता से निपटने के लिए मजबूत नीति ढाँचे की आवश्यकता।
आगे की राह:
अमेरिका से संतुलन बनाने के साथ-साथ EU को अन्य देशों के साथ व्यापारिक साझेदारी गहरी करनी होगी।
डंपिंग पर लक्षित उपायों का उपयोग करना चाहिए, न कि व्यापक संरक्षणवाद का।
घरेलू नीतियों में निवेश, नवाचार और उत्पादन को प्राथमिकता देनी होगी।
निष्कर्ष:
फ्रेडरिक मर्ज का कार्यकाल अस्थिर वैश्विक व्यापार व्यवस्था और धीमी अर्थव्यवस्था के बीच शुरू हुआ है। अमेरिका के साथ यूरोपीय संघ के व्यापार संबंधों में संतुलन बनाना और भारत जैसे साझेदारों के साथ नए समझौते करना भविष्य की दिशा तय करेंगे।
व्यापार युद्ध की आशंकाओं के बीच भारतीय और वैश्विक शेयर बाजारों में गिरावट
Read Moreराज्य और उससे सम्बंधित G.I टैग
Read Moreमलेरिया टीकाकरण की चुनौतियाँ, क्योंकि उन्मूलन संभव हो गया है:
Read Moreक्या व्यापार युद्ध से भारत में आयात में उछाल आएगा?
Read Moreनदियों के लिए अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई दिवस 2023
Read More