यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा समर्थक जर्मनी, एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है:

यूक्रेन का दूसरा सबसे बड़ा समर्थक जर्मनी, एक बड़ी भूमिका निभाने के लिए तैयार है:

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द हिंदू: 7 अगस्त 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों है?

जर्मनी ने यूक्रेन के प्रति अपनी सैन्य और मानवीय सहायता को और बढ़ाने का संकेत दिया है। 30 जून को जर्मन विदेश मंत्री जोहान वाडेफुल (Johann Wadephul) ने कीव का दौरा कर €9 अरब की सहायता की घोषणा की। यह पहल जून 2025 में रूसी हमलों में हुई भारी नागरिक मौतों के बाद आई है, जो युद्ध की शुरुआत से अब तक की सबसे अधिक है।

 

पृष्ठभूमि:

रूस-यूक्रेन युद्ध फरवरी 2022 में शुरू हुआ था।

द्वितीय विश्व युद्ध के इतिहास के कारण जर्मनी यूरोप में नेतृत्व लेने से प्रायः बचता रहा है।

इसके बावजूद, अमेरिका के बाद यूक्रेन को सबसे अधिक सहायता देने वाला देश जर्मनी रहा है।

NATO सहयोगी जैसे अमेरिका ने अब तक भारी सैन्य सहयोग किया है, लेकिन राष्ट्रपति ट्रम्प की बदलती नीतियों के कारण यूरोप अब आत्मनिर्भर बनने की दिशा में सोचने लगा है।

 

मुख्य मुद्दे:

रक्षा क्षमताओं की कमी: अमेरिका के पास 60 पैट्रियट मिसाइल सिस्टम हैं, जबकि जर्मनी के पास केवल 4–6 हैं, जिससे यूक्रेन की तत्काल जरूरतों के लिए अमेरिका पर निर्भरता बनी हुई है।

रूसी हमलों में वृद्धि: जून 2025 में 232 नागरिक मारे गए और 1,343 घायल हुए — यह अब तक की सबसे बड़ी मासिक नागरिक क्षति है।

अमेरिका की नीति में अस्थिरता: ट्रम्प के बयानों और रूसी राष्ट्रपति पुतिन के प्रति बदलते रुख ने यूरोप में चिंता पैदा कर दी है।

हथियार उत्पादन की चुनौती: यूक्रेन वर्तमान में अपने 40% हथियार घरेलू स्तर पर बनाता है, जिसे बढ़ाकर 50% करने की योजना है — इसमें जर्मनी मदद कर सकता है।

भविष्य की युद्ध शैली: ड्रोन्स, AI टेक्नोलॉजी और स्पेस-आधारित सिस्टम युद्ध का भविष्य तय करेंगे।

 

ताजा घटनाक्रम:

जर्मनी के विदेश और रक्षा मंत्री कीव की यात्रा पर गए।

जर्मनी ने 2025 के लिए €9 अरब की सहायता की घोषणा की।

जर्मन रक्षा कंपनियां जैसे हेलसिंग, Rheinmetall आदि यूक्रेन को तकनीकी सहायता दे रही हैं।

NATO देश अमेरिका से हथियार खरीदकर यूक्रेन को देने की योजना बना रहे हैं।

 

रणनीतिक प्रभाव:

जर्मनी के लिए: अब यह सैन्य नेतृत्व में सक्रिय भूमिका निभा रहा है, जो उसके परंपरागत रुख से बड़ा बदलाव है।

यूक्रेन के लिए: वित्तीय और तकनीकी मदद से घरेलू रक्षा उत्पादन बढ़ेगा।

NATO और EU के लिए: जर्मनी के नेतृत्व से फ्रांस जैसे अन्य EU देश भी रक्षा खर्च बढ़ा रहे हैं।

रूस के लिए: NATO की मजबूत मदद रूस के लिए एक चुनौती है।

 

अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया:

अमेरिका: ट्रम्प ने यूरोपीय देशों को अपनी सैन्य क्षमताएं बढ़ाने की चेतावनी दी है।

EU और पड़ोसी देश: बाल्टिक देशों, पोलैंड और चेक गणराज्य ने जर्मनी की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया है।

NATO: महासचिव मार्क रुटे के अनुसार सदस्य देश मिलकर हथियार जुटा रहे हैं।

 

भविष्य की चुनौतियाँ:

निर्भरता बनाम आत्मनिर्भरता: यूरोप अमेरिकी सहयोग पर कम निर्भर होना चाहता है लेकिन वर्तमान में उसके पास पर्याप्त क्षमता नहीं है।

यूक्रेन में हथियार निर्माण: जर्मनी इसमें मदद कर सकता है, लेकिन युद्ध क्षेत्र में फैक्ट्री लगाना जोखिमपूर्ण है।

राजनीतिक जोखिम: जर्मनी की बढ़ती भूमिका आंतरिक बहस और रूस के साथ तनाव को बढ़ा सकती है।

तकनीक बनाम तात्कालिकता: दीर्घकालिक समाधान (जैसे AI ड्रोन्स) और तात्कालिक जरूरतों के बीच संतुलन बनाना होगा।

 

भविष्य की दिशा:

  • जर्मनी यूक्रेन में रक्षा संयंत्र लगाने और उत्पादन बढ़ाने में मदद कर सकता है।
  • यदि यूक्रेन 50% हथियार घरेलू स्तर पर बनाने लगा और 4 मिलियन ड्रोन्स का वार्षिक उत्पादन किया, तो यह बाहरी सहायता पर निर्भरता कम करेगा।
  • NATO में जर्मनी की भूमिका भविष्य में और मजबूत हो सकती है, खासकर अमेरिका की अनिश्चित भूमिका को देखते हुए।
  • बाल्टिक देशों पर संभावित रूसी हमले की आशंका NATO की सक्रियता को और मजबूती दे सकती है।
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