द हिंदू: 16 जुलाई 2025 को प्रकाशित:
चर्चा में क्यों है?
पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय संघ की वस्तुओं पर 30% आयात शुल्क लगाने की धमकी दी है। यदि लागू हुआ, तो यह ट्रांसअटलांटिक व्यापार को बुरी तरह प्रभावित करेगा और EU को अपने निर्यात-आधारित आर्थिक मॉडल पर पुनर्विचार करना पड़ेगा।
पृष्ठभूमि:
अमेरिका का EU के साथ $235 अरब का वस्तु व्यापार घाटा है।
हालांकि सेवाओं में अमेरिका को लाभ है, ट्रंप इस असंतुलन को अनुचित मानते हैं।
यह कदम ट्रंप की व्यापार संरक्षणवाद नीति के अनुरूप है।
मुख्य मुद्दे:
30% शुल्क के कारण कई यूरोपीय उत्पाद अमेरिकी बाजार में महंगे हो जाएंगे।
दवाइयां, ऑटोमोबाइल, मशीनरी, शराब आदि क्षेत्र प्रभावित होंगे।
यूरोप की GDP में 0.7 प्रतिशत की गिरावट आ सकती है।
ECB ब्याज दर को और घटाकर 1% तक ला सकता है।
जर्मनी को 2028 तक €200 अरब से अधिक की आर्थिक क्षति हो सकती है, जिससे आर्थिक योजनाएं प्रभावित होंगी।
प्रमुख पक्ष:
डोनाल्ड ट्रंप: व्यापार घाटा घटाने के लिए शुल्क की योजना बना रहे हैं।
यूरोपीय संघ: दबाव में है कि या तो समझौता करें या जवाबी कार्रवाई।
EU ट्रेड प्रमुख मारोस सेफकोविच: समझौता वार्ताओं का नेतृत्व कर रहे हैं।
जर्मनी के चांसलर फ्रेडरिक मर्ज़: संभावित आर्थिक झटकों को लेकर चिंतित।
ECB और अर्थशास्त्री: मुद्रास्फीति और मौद्रिक नीति पर नजर रख रहे हैं।
अमेरिकी फेडरल रिजर्व: व्यापार अनिश्चितता दर नीति को प्रभावित कर सकती है।
संभावित प्रभाव:
$1.7 ट्रिलियन मूल्य का ट्रांसअटलांटिक व्यापार बाधित होगा।
यूरो ज़ोन की जीडीपी में 0.7 प्रतिशत अंक की गिरावट संभव।
जर्मनी जैसे देशों की सार्वजनिक निवेश योजनाएं बाधित होंगी।
निर्यात पर अत्यधिक निर्भरता से दूरी बनानी पड़ेगी।
EU की ओर से 10% जवाबी शुल्क भी लगाए जा सकते हैं।
आगामी संभावनाएं:
EU 10% बेसलाइन टैरिफ पर बातचीत कर रहा है, खास उद्योगों को छूट देने की उम्मीद है।
ट्रंप की स्थिति में अनिश्चितता बनी हुई है।
EU वैकल्पिक व्यापार साझेदारों के साथ समझौते करने की कोशिश कर रहा है, जैसे Mercosur, पर प्रक्रिया धीमी है।
व्यापार अनिश्चितता अमेरिका में फेडरल रिजर्व की दर नीति को प्रभावित कर सकती है।
रणनीतिक सुझाव:
EU को चाहिए कि वह:
अपने आंतरिक बाजार में सुधार को तेज करे।
घरेलू मांग और निवेश को बढ़ावा दे।
नए वैश्विक व्यापार साझेदारों के साथ समझौते करे।
प्रतिशोध की रणनीति तैयार रखे।
इस संकट को आर्थिक पुनर्संरचना के अवसर के रूप में उपयोग करे।