एल नीनो या ला नीना? तापमान का अस्पष्ट पैटर्न भ्रम को बरकरार रखता है-

एल नीनो या ला नीना? तापमान का अस्पष्ट पैटर्न भ्रम को बरकरार रखता है-

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द हिंदू: 20 मार्च 2025 को प्रकाशित:

 

चर्चा में क्यों है?

भारत में ग्रीष्मकालीन मानसून का पूर्वानुमान हमेशा महत्वपूर्ण होता है क्योंकि यह कृषि और जल प्रबंधन को प्रभावित करता है। हाल के महीनों में, ला नीना (La Niña) की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन समुद्री सतह के तापमान (Sea Surface Temperature - SST) में असामान्य बदलाव ने इसे अनिश्चित बना दिया है। यह स्थिति भारत के मानसून के साथ-साथ वैश्विक जलवायु पर भी असर डाल सकती है।

 

एल. नीनो और ला नीना क्या हैं?

  • एल नीनो (El Niño): जब प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होता है, जिससे भारत में कम वर्षा और सूखे की संभावना बढ़ती है।
  • ला नीना (La Niña): जब प्रशांत महासागर का पूर्वी हिस्सा सामान्य से ठंडा होता है, जिससे भारत में मानसून सामान्य या अधिक सक्रिय होता है।

 

पिछले दशकों में एल नीनो और ला नीना के प्रभाव मानसून पर साफ दिखाई दिए हैं, लेकिन हाल के वर्षों में यह संबंध कमजोर पड़ा है।

 

2024-2025 में जलवायु पैटर्न में असामान्यताएं

2024 की शुरुआत में, ला नीना की भविष्यवाणी की गई थी, लेकिन SST पैटर्न अप्रत्याशित रूप से बदल गया।

आमतौर पर, ला नीना की स्थिति में प्रशांत महासागर के पूर्वी हिस्से में ठंडा तापमान होता है, लेकिन इस बार यह पश्चिमी भाग में स्थानांतरित हो गया।

हवा के पैटर्न भी असामान्य हो गए – केंद्रीय-पश्चिमी भाग में तेज पूरब से चलने वाली हवाएँ और पूर्वी भाग में पश्चिम से चलने वाली हवाएँ देखी गईं।

ऐसा पहले कम हुआ है, और वैज्ञानिक अभी भी इस पैटर्न के पीछे के कारणों को समझने की कोशिश कर रहे हैं।

 

क्या यह जलवायु परिवर्तन का संकेत है?

2023 और 2024 में रिकॉर्ड तोड़ वैश्विक तापमान दर्ज किया गया था।

सामान्य रूप से, एल नीनो और ला नीना के प्रभाव दिसंबर से फरवरी के बीच चरम पर होते हैं और फिर धीरे-धीरे मानसून के समय उनकी स्थिति स्पष्ट होती है।

लेकिन इस बार, SST पैटर्न ने जलवायु वैज्ञानिकों को असमंजस में डाल दिया है।

2023-2024 के एल नीनो और अब 2024-2025 में संभावित ला नीना के बीच संक्रमण को दक्षिणी गोलार्ध की जलवायु स्थिति प्रभावित कर रही है।

 

भारत के मानसून पर प्रभाव-

2023 में, एल नीनो के बावजूद भारत में मानसून सामान्य रहा।

यह संभवतः भारतीय महासागर डाइपोल (IOD) के कारण हुआ, जिसने एल नीनो के नकारात्मक प्रभावों को कम किया।

2025 में भी, मानसून की भविष्यवाणी स्पष्ट नहीं है क्योंकि कुछ मॉडल ला नीना, कुछ सामान्य वर्षा और कुछ एल नीनो की वापसी की संभावना जता रहे हैं।

जेट स्ट्रीम (Jet Stream) में बदलाव और प्रि-मानसून चक्रवात भी मानसून की शुरुआत को प्रभावित कर सकते हैं।

इसलिए, भारत के किसानों और नीति निर्माताओं को सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहना होगा, लेकिन अच्छे की उम्मीद रखनी होगी।

 

आगे क्या होगा?

  • जलवायु वैज्ञानिक एल नीनो और ला नीना के नए स्वरूपों को समझने के लिए अनुसंधान कर रहे हैं।
  • भारत सरकार और भारतीय मौसम विभाग (IMD) को अधिक सटीक भविष्यवाणी प्रणालियों पर ध्यान केंद्रित करने की जरूरत है।
  • मानसून से संबंधित नीतियों को अनुकूल बनाने के लिए जल प्रबंधन और कृषि रणनीतियों को मजबूत करना होगा।

"जलवायु भविष्यवाणी के अनिश्चित दौर में, केवल बेहतर तैयारी ही सबसे सुरक्षित विकल्प है।"

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