(द हिंदू प्रकाशित: 29 दिसंबर 2025)
क्यों चर्चा में? (Why in News?)
भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने पश्चिम बंगाल में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया में ढील देते हुए “अनमैप्ड” मतदाताओं के एक बड़े वर्ग को व्यक्तिगत सुनवाई (समन) से छूट दी है। जिन मतदाताओं के नाम या जिनके पूर्वजों के नाम 2002 की मतदाता सूची में दर्ज हैं, उन्हें अब समन जारी नहीं किया जाएगा। इससे लगभग 32 लाख मतदाताओं को राहत मिलेगी।
यह मुद्दा तब राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में आया जब खबरें सामने आईं कि SIR के तहत बुजुर्ग, दिव्यांग और अस्वस्थ मतदाताओं को दूर-दराज़ के सत्यापन केंद्रों पर बुलाया जा रहा है। राजनीतिक विपक्ष, खासकर तृणमूल कांग्रेस (TMC), ने इसे “वोटर क्लीनिंग” बताते हुए 2026 के पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले लक्षित बहिष्करण का आरोप लगाया। आयोग की यह ढील इन चिंताओं को दूर करने और राजनीतिक तनाव कम करने की कोशिश मानी जा रही है।
स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) क्या है?
SIR निर्वाचन आयोग द्वारा समय-समय पर किया जाने वाला अभ्यास है, जिसका उद्देश्य है:
पश्चिम बंगाल में इस प्रक्रिया के दौरान लगभग 32 लाख “अनमैप्ड” मतदाताओं की पहचान हुई, जिससे बड़े पैमाने पर सत्यापन की जरूरत पड़ी।
निर्वाचन आयोग द्वारा घोषित प्रमुख बदलाव
27 दिसंबर को जारी ताज़ा निर्देशों के अनुसार:
राजनीतिक प्रतिक्रिया और आलोचना
तृणमूल कांग्रेस ने पहले की प्रक्रिया की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि:
विपक्षी नेताओं ने सवाल उठाया कि जब चुनाव के दौरान मतदाताओं के लिए सुविधाजनक व्यवस्थाएं की जाती हैं, तो SIR में ऐसा क्यों नहीं किया गया।
मटुआ समुदाय पर प्रभाव
उत्तर 24 परगना और नदिया ज़िलों में केंद्रित मटुआ समुदाय सबसे अधिक प्रभावित समूहों में रहा। अध्ययनों में पाया गया:
NRC जैसी प्रक्रियाओं से जुड़ी पुरानी आशंकाओं के कारण यह समुदाय विशेष रूप से चिंतित रहा है। आयोग के नए आदेश से उन्हें बड़ी राहत मिलने की उम्मीद है।
सुरक्षा चिंताएं और प्रशासनिक दबाव
राजनीतिक संवेदनशीलता को देखते हुए पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) को Y+ सुरक्षा प्रदान की गई है। यह कदम SIR प्रक्रिया के दौरान बढ़े दबाव और इसके राजनीतिक प्रभावों को दर्शाता है।
लोकतंत्र और चुनावी प्रक्रिया के लिए महत्व
अब निर्वाचन आयोग के सामने चुनौती है कि वह मतदाता सूचियों का संशोधन पारदर्शी तरीके से पूरा करे और जनता का भरोसा बनाए रखे।
आगे की राह (Way Forward)
चुनावी शुचिता और जनविश्वास—दोनों सुनिश्चित करने के लिए निम्न कदम आवश्यक हैं: