डोनाल्ड ट्रम्प की ग्रीनलैंड धमकियों ने बढ़ती चिंताओं के बीच आइसलैंड को बेचैन कर दिया:

डोनाल्ड ट्रम्प की ग्रीनलैंड धमकियों ने बढ़ती चिंताओं के बीच आइसलैंड को बेचैन कर दिया:

Static GK   /   डोनाल्ड ट्रम्प की ग्रीनलैंड धमकियों ने बढ़ती चिंताओं के बीच आइसलैंड को बेचैन कर दिया:

Change Language English Hindi

द हिंदू: 16 मई 2025 को प्रकाशित:

समाचार में क्यों?

अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड को लेने की धमकी ने पास के देश आईसलैंड में सुरक्षा को लेकर चिंता बढ़ा दी है, जहां कोई स्थायी सेना नहीं है।

एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 74% आईसलैंडवासी ट्रंप की आर्कटिक नीति को अपने देश के लिए खतरा मानते हैं।

इससे आईसलैंड में रक्षा नीति, अमेरिका पर निर्भरता और यूरोप से संबंधों को लेकर नई बहस शुरू हो गई है।

 

पृष्ठभूमि

आईसलैंड, 1949 से NATO का सदस्य है लेकिन इसकी अपनी स्थायी सेना नहीं है।

1951 से अमेरिका ने आईसलैंड की रक्षा की जिम्मेदारी ली हुई है।

केफ्लाविक बेस, द्वितीय विश्व युद्ध और शीत युद्ध के दौरान अमेरिका का प्रमुख केंद्र रहा है। इसे 2006 में बंद किया गया था लेकिन 2014 में रूस द्वारा क्रीमिया पर कब्जे के बाद अमेरिकी सेना फिर से लौट आई।

ग्रीनलैंड की तरह ही आईसलैंड की भौगोलिक स्थिति रणनीतिक है, लेकिन वहां खनिज संसाधनों की कमी है।

 

 मुख्य चिंताएं

ट्रंप प्रशासन की अनिश्चित नीतियों ने NATO में अमेरिका की प्रतिबद्धता पर सवाल खड़े किए हैं।

आईसलैंड को डर है कि चीन या रूस उसकी समुद्र के नीचे की दूरसंचार व ऊर्जा संरचनाओं को नुकसान पहुंचा सकते हैं।

ट्रंप द्वारा ग्रीनलैंड पर खुलकर बयान देने और आईसलैंड की अनदेखी करने से वहां असंतोष बढ़ा है।

 

आईसलैंड की दुविधा

आईसलैंड में सेना गठित करना एक विवादास्पद मुद्दा है और अब तक इसे राजनीतिक तौर पर टाला गया है।

लेकिन ट्रंप के अस्थिर व्यवहार के चलते अब कुछ नेता यूरोपीय सहयोग की ओर झुकाव दिखा रहे हैं।

यूरोप के साथ सुरक्षा सहयोग या NATO के यूरोपीय नेतृत्व को लेकर चर्चा तेज हो रही है।

 

भविष्य की संभावनाएं

प्लान B के तहत, आईसलैंड 2009 में शुरू हुई EU सदस्यता वार्ता को फिर से शुरू करने पर विचार कर सकता है (2013 में यह वार्ता स्थगित हुई थी); इस पर 2027 में जनमत संग्रह की योजना है।

 

EU सदस्यता से लाभ:

सुरक्षा और रणनीतिक सहयोग

आर्थिक फायदे जैसे व्यापार, मछली पालन, कम शुल्क आदि।

 

 भूराजनीतिक महत्व

आर्कटिक क्षेत्र अब वैश्विक रणनीतिक प्रतिस्पर्धा का केंद्र बन गया है, क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण नए समुद्री मार्ग खुल रहे हैं।

रूस और चीन आर्कटिक में अपनी गतिविधियाँ बढ़ा रहे हैं, जिससे पश्चिमी देशों में चिंता है।

आईसलैंड, एक छोटा लेकिन रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण देश, ट्रांस-अटलांटिक सुरक्षा और समुद्रतल के नीचे की संरचनाओं की सुरक्षा में अहम भूमिका निभा सकता है।

 

निष्कर्ष

डोनाल्ड ट्रंप की आर्कटिक नीति ने आईसलैंड की सुरक्षा सोच को प्रभावित किया है। जहां अब भी देश अमेरिका पर रक्षा के लिए निर्भर है, वहीं भविष्य को लेकर यूरोप के साथ नए विकल्पों की खोज शुरू हो गई है। जैसे-जैसे आर्कटिक की भूराजनीतिक अहमियत बढ़ रही है, आईसलैंड जैसे छोटे राष्ट्र नई चुनौतियों और अवसरों का सामना कर रहे हैं।

Other Post's
  • सुप्रीम कोर्ट ने वक्फ में 'मनमाने' बदलावों पर रोक लगाई; क्या कानून बरकरार रहेगा?

    Read More
  • टोयोटा मिराई

    Read More
  • उत्तर प्रदेश के महत्वपूर्ण तथ्य

    Read More
  • इसरो ने सैटेलाइट डॉकिंग को अंजाम दिया, भारत को विशिष्ट अंतरिक्ष क्लब में शामिल किया:

    Read More
  • ऑपरेशन आहट और मानव तस्करी

    Read More