द हिंदू: 15 नवंबर 2025 को प्रकाशित।
चर्चा में क्यों?
10 नवंबर को दिल्ली के लाल किले के पास कार बम विस्फोट में 13 लोगों की मौत और 20 से अधिक घायल हुए।
जांच में पता चला कि यह एक असामान्य आतंकी नेटवर्क था, जिसका नेतृत्व डॉक्टर कर रहे थे, जिनमें डॉ. उमर-उल-नबी भी शामिल थे, जिनकी मौत विस्फोट में हुई।
पुलिस ने विभिन्न स्थानों से 360 किलोग्राम विस्फोटक, हथियार और बम बनाने की सामग्री बरामद की।
मामला अब राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंप दिया गया है।
शिक्षित मेडिकल प्रोफेशनल्स की संलिप्तता ने जनता को चौंका दिया है और व्हाइट-कालर समूहों में बढ़ती कट्टरवादिता पर गंभीर सवाल उठे हैं।
क्या हुआ था?
शाम 6:55 बजे, एक सफेद कार नेताजी सुभाष मार्ग पर लाल किले के बेहद पास विस्फोटित हो गई।
विस्फोट बहुत बड़ा था — शवों के टुकड़े, क्षतिग्रस्त वाहन और व्यापक नुकसान की तस्वीरें सामने आईं।
CCTV में दिखा कि संदिग्ध डॉ. उमर-उल-नबी सुबह कार लेकर दिल्ली आए और विस्फोट से पहले कई बार रैकी की।
जांचकर्ताओं का मानना है कि फॉल्टी असेंबली या घबराहट के कारण नबी ने बम समय से पहले ट्रिगर कर दिया होगा।
आतंकी मॉड्यूल कैसे पकड़ा गया?
A. छोटी-छोटी सुरागों से शुरू हुई लंबी जांच
मामला हैरानी से श्रीनगर में उर्दू में लगाए गए पोस्टरों से शुरू हुआ, जिनमें लोगों से पुलिस से सहयोग न करने की अपील की गई थी।
CCTV से J&K CID तीन युवकों → एक स्थानीय मौलवी → और फिर तीन डॉक्टरों तक पहुंची।
यह पूरी कड़ी एक बड़े व्हाइट-कालर कट्टरपंथी नेटवर्क की ओर संकेत करती है।
B. प्रमुख गिरफ्तारियां:
डॉ. मुझम्मिल गनाई (फरीदाबाद)
डॉ. अदील राथर (सहारनपुर)
डॉ. उमर-उल-नबी (मास्टरमाइंड; विस्फोट में मारा गया)
अन्य: एक प्रोफेसर, एक इमाम, और कई मौलवी शामिल।
C. भारी मात्रा में विस्फोटक बरामद:
360 किग्रा अमोनियम नाइट्रेट, IED सामग्री, टाइमर, वॉकी-टॉकी
2,900 किग्रा विस्फोटक सामग्री महीनों में इकट्ठा की गई थी
डॉक्टरों के किराए के घरों और कार्यस्थलों से AK राइफलें भी मिलीं।
मुख्य आरोपी कौन हैं?
डॉ. उमर-उल-नबी
अत्यधिक पढ़े-लिखे, मेडिकल टॉपर
7 अक्टूबर से लापता
कट्टरपंथ से गहराई से प्रभावित; मुख्य साजिशकर्ता
एन्क्रिप्टेड चैनलों से हैंडलरों से संपर्क
विस्फोटक कार के अंदर ही मारे गए
डॉ. मुझम्मिल गनाई:
अल-फला यूनिवर्सिटी में जूनियर डॉक्टर
उनके किराए के कमरों से बड़ी मात्रा में विस्फोटक मिले
मॉड्यूल के अन्य सदस्यों से लगातार संपर्क; 2022 में विदेश यात्रा की
डॉ. अदील राथर:
सहारनपुर के एक निजी अस्पताल में डॉक्टर
उनके पुराने कार्यस्थल से AK-56 राइफल मिली, जो डॉ. नबी की होने की आशंका
अन्य आरोपी:
डॉ. शाहीन सईद – बम सामग्री ले जाने के लिए उनकी कार का उपयोग
डॉ. परवेज सईद – पूछताछ जारी
इर्फान अहमद (मौलवी) – कट्टरपंथी प्रचार में शामिल
इमाम इश्तियाक़ – विस्फोटक जमा करने के लिए किराए की जगह उपलब्ध कराई
डॉक्टर कैसे कट्टरपंथी बने?
डॉ. नबी ने अन्य डॉक्टरों को वैचारिक रूप से प्रभावित किया।
यह समूह एन्क्रिप्टेड ऐप्स के माध्यम से हैंडलरों से जुड़ा।
मेडिकल ज्ञान का उपयोग कर उच्च-ग्रेड विस्फोटक बनाए।
अमोनियम नाइट्रेट, यूरिया, बैटरी, डेटोनेटर खुले बाजार से धीरे-धीरे इकट्ठा किए।
कश्मीर से निकलकर फरीदाबाद और सहारनपुर के अस्पतालों में काम करके “दूसरा बेस” तैयार किया ताकि निगरानी से बचें।
संभावित लक्ष्य क्या थे?
सटीक लक्ष्य की पुष्टि नहीं हुई।
लेकिन रैकी के स्थानों (कश्मीरी गेट, दरियागंज, सुनेहड़ी मस्जिद) और लाल किले की नजदीकी को देखकर
दिल्ली के हाई-प्रोफाइल इलाकों पर बड़ा हमला संभव माना जा रहा है।
विस्फोट समय से पहले हो जाने से बड़ी त्रासदी टल गई।
पुलिस और एजेंसियों की भूमिका:
दिल्ली पुलिस ने UAPA के तहत मामला दर्ज किया।
आतंकी लिंक होने के कारण NIA ने जांच अपने हाथ में ली।
J&K पुलिस का दावा: यह मॉड्यूल अंतर्राष्ट्रीय नेटवर्क से जुड़ा था:
सुरक्षा पर प्रभाव:
A. व्हाइट-कालर आतंकवाद का झटका
डॉक्टरों की भागीदारी ने धारणा बदल दी है कि आतंकवाद केवल वंचित वर्गों तक सीमित है।
प्रोफेशनल क्षेत्रों में कट्टरपंथ बढ़ने की चिंता।
B. लाल किले के पास सुरक्षा कमजोरी
विस्फोट PM के मार्ग से 500 मीटर दूरी पर हुआ।
इससे प्रतीकात्मक बड़े हमले की नीयत का संकेत मिलता है।
C. निगरानी बढ़ाने की जरूरत:
विश्वविद्यालय परिसरों
विदेशी यात्राओं
एन्क्रिप्टेड ऐप्स
उर्वरक आधारित रसायनों की खरीद
पर सख्त निगरानी की आवश्यकता।
मानवीय असर (HUMAN COST)
पीड़ित:
आम राहगीर, दुकानदार, कैब ड्राइवर।
कई परिवार अपनों के शवों का इंतजार कर रहे हैं या घायल सदस्यों का इलाज करा रहे हैं।
उदाहरण:
सोनू ने अपने 23 वर्षीय बेटे का शव इकट्ठा किया।
10 वर्षीय बच्ची अब भी अपने पिता का इंतजार कर रही है, जो कभी लौटे नहीं।
कैब ड्राइवर शाकिर, गंभीर रूप से घायल, होश आते ही अपने यात्री के बारे में पूछते रहे।
ये घटनाएं आतंकवाद के पीछे छिपे गहरे व्यक्तिगत दुखों को सामने लाती हैं।
आगे क्या?