क्या रेस्टोरेंट को सेवा शुल्क लेने का अधिकार है?

क्या रेस्टोरेंट को सेवा शुल्क लेने का अधिकार है?

Static GK   /   क्या रेस्टोरेंट को सेवा शुल्क लेने का अधिकार है?

Change Language English Hindi

द हिंदू: 9 मई 2025 को प्रकाशित:

 

क्यों है समाचार में? 

हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने निर्णय दिया कि सर्विस चार्ज या टिप ग्राहक की इच्छा पर निर्भर है, इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।

यह मामला पिछले तीन वर्षों से चल रही कानूनी लड़ाई का हिस्सा है:

एक ओर केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) उपभोक्ताओं के अधिकार की रक्षा कर रहा है।

दूसरी ओर रेस्टोरेंट एसोसिएशन (NRAI और FHRAI) इस प्रथा को वैध ठहराने का प्रयास कर रही हैं।

28 मार्च 2025 के फैसले के खिलाफ अब एक नई अपील दायर की गई है, जिससे यह बहस फिर से शुरू हो गई है।

 

मुद्दा क्या है?

अधिकांश रेस्टोरेंट 5% से 20% तक का सर्विस चार्ज बिल में स्वतः जोड़ देते हैं।

उपभोक्ता इसे अनुचित और अपारदर्शी मानते हैं, खासकर जब यह चार्ज पहले से सूचित नहीं किया गया हो। 

 

मूल प्रश्न:

क्या सर्विस चार्ज एक वैध व्यापारिक प्रथा है या उपभोक्ताओं पर अनुचित बोझ?

 

उपभोक्ता का दृष्टिकोण

टिप देना पारंपरिक रूप से स्वैच्छिक होता है और यह सेवा की गुणवत्ता पर निर्भर करता है।

अगर सर्विस चार्ज बिल में पहले से जोड़ा जाए, तो:

ग्राहक की पसंद की आज़ादी समाप्त हो जाती है।

यह सेवा की गुणवत्ता से मेल नहीं खा सकता।

अक्सर ग्राहक विरोध करते हैं, लेकिन रेस्टोरेंट चार्ज हटाने से मना कर देते हैं।

2016 में उपभोक्ता मंत्रालय ने स्पष्ट किया था कि सर्विस चार्ज स्वैच्छिक है।

2022 में CCPA ने दिशा-निर्देश जारी कर इसे बिल में स्वतः जोड़ने पर रोक लगा दी थी।

 

रेस्टोरेंट उद्योग का दृष्टिकोण

NRAI (7,000+ सदस्य) और FHRAI (55,000 होटल और 5 लाख रेस्टोरेंट) का तर्क:

80 वर्षों से यह प्रथा प्रचलन में है।

यह चार्ज सभी कर्मचारियों (जैसे किचन स्टाफ) के बीच समान रूप से टिप बांटने में मदद करता है।

कोई ऐसा कानून नहीं है जो इसे प्रतिबंधित करता हो।

उन्होंने 2022 के CCPA दिशानिर्देशों को कोर्ट में चुनौती दी थी।

 

कानूनी घटनाक्रम

जुलाई 2022: CCPA ने स्वतः सर्विस चार्ज जोड़ने पर रोक लगाई।

रेस्टोरेंट संघों ने हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कीं।

अंतरिम आदेश: रेस्टोरेंट सर्विस चार्ज तब तक ले सकते हैं जब तक यह मेनू में स्पष्ट रूप से लिखा हो।

28 मार्च 2025: हाईकोर्ट ने कहा:

सर्विस चार्ज या टिप ग्राहक की स्वैच्छिक भुगतान है, इसे अनिवार्य नहीं बनाया जा सकता।

इस फैसले के खिलाफ अब नई अपील दाखिल की गई है।

 

ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

1958 में, एक सरकारी समिति ने सर्विस चार्ज की बढ़ती प्रथा की आलोचना की थी:

उन्होंने कहा कि टिप देना स्वैच्छिक होना चाहिए।

टिप मांगना कर्मचारियों की गरिमा के खिलाफ और ग्राहकों के लिए परेशानी का कारण बताया गया था।

 

वर्तमान स्थिति:

मामला फिर से कानूनी प्रक्रिया में है, क्योंकि नई अपील दायर की गई है।

उपभोक्ता, जब तक रेस्टोरेंट मेनू में स्पष्ट जानकारी नहीं देता, सर्विस चार्ज देने से इनकार कर सकते हैं।

यह विवाद उपभोक्ता अधिकार बनाम उद्योग परंपरा के बीच टकराव को दर्शाता है।

 

व्यापक प्रभाव

  • यह फैसला अन्य सेवाक्षेत्रों में भी नजीर बन सकता है।
  • इससे कर्मचारियों की वेतन व्यवस्था, टिप वितरण प्रणाली और उपभोक्ता जागरूकता पर असर पड़ेगा।
  • यह मामला पारदर्शी बिलिंग और उपभोक्ता सहमति के बड़े मुद्दों को भी उजागर करता है।
Other Post's
  • स्रोत: द हिंदू

    Read More
  • संघवाद के खिलाफ जारी हमला

    Read More
  • कैसे भारत का प्रारंभिक चरण स्टार्टअप पारिस्थितिकी तंत्र एक निवेश हॉटस्पॉट बन गया

    Read More
  • आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन

    Read More
  • वैज्ञानिकों ने आखिरकार मेंडल के मटर की 160 साल पुरानी समस्या का समाधान कर दिया:

    Read More