क्या भारतीय धरती पर लौह युग की शुरुआत तमिलनाडु से हुई थी?

क्या भारतीय धरती पर लौह युग की शुरुआत तमिलनाडु से हुई थी?

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द हिंदू: 20 फरवरी 2025 को प्रकाशित:

 

चर्चा में क्यों है?

तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम.के. स्टालिन ने लौह प्राचीनता पर एक रिपोर्ट जारी की, जिसमें कहा गया कि तमिल भूमि पर लौह युग लगभग 5,300 साल पहले (चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व) शुरू हुआ।

उन्होंने दावा किया कि भारतीय उपमहाद्वीप के इतिहास में तमिलनाडु की भूमिका को स्वीकार करना आवश्यक है।

यह दावा पूर्ववर्ती शोधों को चुनौती देता है, जिसमें कहा गया था कि भारत में लोहे का उपयोग 1800-1000 ईसा पूर्व के बीच हुआ था, खासकर मध्य गंगा घाटी और पूर्वी विंध्य क्षेत्र में।

 

हाल ही में जारी रिपोर्ट के प्रमुख बिंदु

रिपोर्ट "Antiquity of Iron: Recent Radiometric Dates from Tamil Nadu" के अनुसार, तमिलनाडु में लौह युग उत्तर भारत में ताम्र युग से पहले शुरू हुआ।

महत्वपूर्ण निष्कर्ष:

  • तमिलनाडु में लौह युग 3345 ईसा पूर्व से 2953 ईसा पूर्व के बीच शुरू हुआ।
  • इस दौरान उत्तर भारत अभी ताम्र युग (Copper Age) में था।
  • इसकी एक वजह दक्षिण भारत में तांबे के अयस्क की सीमित उपलब्धता हो सकती है, जिससे लोहे का उपयोग पहले शुरू हुआ।

 

भारत में लौह युग पर पूर्ववर्ती शोध

  • पहले माना जाता था कि भारत में लोहे का उपयोग 700-600 ईसा पूर्व के आसपास शुरू हुआ।
  • बाद में नए शोधों के आधार पर 1600 ईसा पूर्व तक इसे पीछे धकेला गया।
  • उत्तर प्रदेश (मल्हार, राजा नल-का-टीला, ददुपुर) में खुदाई से 1800-1000 ईसा पूर्व के बीच लोहे के उपयोग के प्रमाण मिले।
  • 13वीं शताब्दी ईसा पूर्व तक, भारत में लोहे का व्यापक रूप से उपयोग होने लगा था।

 

तमिलनाडु में प्राप्त निष्कर्ष

मयिलाडुमपरई, सिवगलाई, अदिचनल्लूर, किलनामंडी जैसे स्थलों की खुदाई से तमिलनाडु में प्राचीन लौह युग के साक्ष्य मिले।

2022 में हुई एक खुदाई में 4,200 साल पहले (तीसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व) से लोहे के उपयोग का प्रमाण मिला था।

हाल की रिपोर्ट में यह तिथि और पीछे ले जाई गई है, चौथी सहस्राब्दी ईसा पूर्व तक।

 

प्रभाव और आगे के शोध की संभावनाएँ

  • यदि यह शोध सही साबित होता है, तो यह इस धारणा को चुनौती देगा कि भारत में लौह तकनीक उत्तर से फैली या पश्चिमी आप्रवासियों द्वारा लाई गई।
  • तमिलनाडु स्वतंत्र रूप से लौह धातु विज्ञान विकसित करने वाले सबसे प्रारंभिक क्षेत्रों में से एक हो सकता है।
  • हालांकि, यह कहना जल्दबाजी होगी कि लौह युग वास्तव में तमिलनाडु से ही शुरू हुआ था।
  • इसके लिए भारत के अन्य भागों में और अधिक पुरातात्विक खुदाई और तुलनात्मक अध्ययन की आवश्यकता होगी।

 

निष्कर्ष:

  • यह नई खोज तमिलनाडु के ऐतिहासिक योगदान को समझने के लिए शोध के नए द्वार खोलती है।
  • हालांकि, तमिलनाडु का दावा महत्वपूर्ण है, लेकिन यह अभी तक पूरी तरह से प्रमाणित नहीं है कि भारत में लौह युग यहीं से शुरू हुआ।
  • भविष्य में और अधिक शोध एवं खुदाई की आवश्यकता होगी ताकि इन निष्कर्षों की पुष्टि हो सके।
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