ट्रम्प व्यापार युद्ध के बीच GOP एकता में दरारें उभरी:

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द हिंदू: 19 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:

 

समाचार में क्यों?

पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल 2025 को घोषित नए आयात शुल्क (टैरिफ) ने अमेरिका की आंतरिक राजनीति और वैश्विक बाजारों में उथल-पुथल मचा दी:

सभी आयातों पर 10% टैरिफ, और चीन से आयात पर 145% भारी टैरिफ लगाया गया।

चीन ने 125% प्रतिउत्तर टैरिफ लगाकर व्यापार युद्ध को और बढ़ाया।

इसके चलते रिपब्लिकन पार्टी में दरार, व्यापारियों की नाराज़गी, और ट्रंप की लोकप्रियता में गिरावट देखने को मिली।

 

पृष्ठभूमि-

ट्रंप लंबे समय से टैरिफ को अमेरिकी विनिर्माण को बढ़ावा देने का हथियार मानते रहे हैं।

2025 के टैरिफ से पहले ही व्यापारिक समुदाय में बेचैनी और निवेशकों में भय फैल गया था।

ट्रंप ने इसे “लिबरेशन डे” कहकर पेश किया, लेकिन बाज़ारों में भारी गिरावट देखी गई।

 

राजनीतिक प्रभाव: रिपब्लिकन पार्टी में दरार- 

  • रिपब्लिकन पार्टी, जो आम तौर पर मुक्त व्यापार (Free Trade) की समर्थक रही है, इस बार विभाजित दिखी:
  • एलन मस्क, ट्रंप समर्थक और दानदाता, ने टैरिफ का विरोध किया और पीटर नवारो (ट्रंप के आर्थिक सलाहकार) से तीखी बहस हुई।
  • बिल ऐकमन, हेज फंड प्रमुख, ने इसे “आर्थिक परमाणु सर्दी” कहा, लेकिन टैरिफ में 90 दिन की राहत के बाद इसे “आर्ट ऑफ द डील” की रणनीति बताया।
  • सोशल मीडिया हस्ती डेविड पोर्टनॉय ने दावा किया कि उन्हें $20 मिलियन का नुकसान हुआ।
  • कुछ रिपब्लिकन सांसदों ने डेमोक्रेट्स के साथ मिलकर एक बिल (Trade Review Act) का समर्थन किया, जो राष्ट्रपति की टैरिफ लगाने की शक्ति को सीमित करता है।

 

आर्थिक प्रभाव- 

बाज़ार में हलचल

शेयर बाजार और सरकारी बांड में भारी गिरावट।

निवेशकों ने अमेरिकी बॉन्ड बेचना शुरू किया।

ट्रंप को 90 दिनों के लिए टैरिफ टालने पड़े (चीन को छोड़कर)।

 

कृषि और निर्यात पर असर-

  • अमेरिकी किसानों पर चीन के जवाबी टैरिफ का सीधा असर पड़ा।
  • अमेरिकन फार्म ब्यूरो ने चेतावनी दी कि लागत बढ़ेगी और वैश्विक बाज़ारों तक पहुंच घटेगी।
  • 2018 के टैरिफ के दौरान सोयाबीन और बीफ के बाजार चीन में पहले ही खो चुके हैं।

 

व्यवसायिक समुदाय की प्रतिक्रिया-

निवेशकों ने अमेरिकी ऋण बेच दिया और उच्च ब्याज की मांग की।

गोल्डमैन सैक्स ने मंदी की संभावना 45% बताई।

 

जनमत सर्वेक्षण व लोकप्रियता-

ट्रंप की लोकप्रियता गिरकर 43% पर पहुंच गई — जो दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद सबसे कम है।

इकोनॉमिस्ट/यूगोव और क्विनिपिएक यूनिवर्सिटी के सर्वे में टैरिफ नीति को लेकर विरोध बढ़ा।

 

आगामी चुनावों पर प्रभाव-

2025 का वर्जीनिया गवर्नर चुनाव एक संकेतक माना जा रहा है।

डेमोक्रेट्स ने विज्ञापन जारी किए हैं, जिनमें टैरिफ के कारण उत्पन्न "आर्थिक अराजकता" को ट्रंप और GOP से जोड़ा गया है।

विश्लेषकों के अनुसार, इसका असर 2026 के हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव्स चुनावों में भी पड़ सकता है।

 

अंतर्राष्ट्रीय व्यापार युद्ध-

ट्रंप का पहला व्यापार युद्ध 2018 में शुरू हुआ था, जब उन्होंने चीन पर टैरिफ लगाए।

चीन ने बदले में अमेरिकी कृषि उत्पादों की खरीद घटाई।

ट्रंप ने दावा किया, "हमारे किसान महान हैं, और जब भी व्यापार युद्ध होता है, वे सबसे आगे होते हैं।"

 

विशेषज्ञों की राय-

डेविड रिचर्ड्स (यूनिवर्सिटी ऑफ लिंचबर्ग):

"रिपब्लिकन पार्टी बाहर से एकजुट दिखती है, लेकिन अंदर से दरारें स्पष्ट हैं।"

ट्रेज़री सचिव स्कॉट बेसेंट ने कहा कि 90 दिन की राहत ट्रंप की रणनीति का हिस्सा थी।

ट्रंप का दावा:

“मुझे पता है कि मैं क्या कर रहा हूं… देश ट्रेड डील के लिए लाइन में हैं।”

 

निष्कर्ष- 

  • ट्रंप की टैरिफ नीति ने राजनीतिक और आर्थिक मोर्चों पर चुनौती खड़ी कर दी है।
  • रिपब्लिकन पार्टी के भीतर मतभेद, व्यापारिक समुदाय की असहजता और किसानों की नाराज़गी बढ़ रही है।
  • 90 दिनों की राहत ट्रंप की नीति में बदलाव की स्वीकृति मानी जा रही है।
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