द हिंदू: 5 अगस्त 2025 को प्रकाशित।
चर्चा में क्यों ?
चीन की स्वतंत्र (निजी) तेल कंपनियाँ इराक के तेल क्षेत्र में तेजी से निवेश बढ़ा रही हैं और 2030 तक उत्पादन को 5 लाख बैरल प्रतिदिन तक दोगुना करने का लक्ष्य रख रही हैं। यह बदलाव ऐसे समय में हो रहा है जब पहले यह बाज़ार चीन की सरकारी कंपनियों और कुछ पश्चिमी तेल दिग्गजों के नियंत्रण में था, लेकिन उनमें से कई ने अपना संचालन घटा दिया है।
पृष्ठभूमि:
इराक का तेल महत्व: इराक, ओपेक (OPEC) का दूसरा सबसे बड़ा तेल उत्पादक है और तेल से होने वाली आय पर अत्यधिक निर्भर है।
पूर्व में प्रभुत्व: चीन की सरकारी तेल कंपनियाँ जैसे सीएनपीसी (CNPC), रुमैला, वेस्ट क़ुर्ना 1 और हैफ़ाया जैसे प्रमुख तेल क्षेत्रों में बड़े निवेशक रही हैं।
वैश्विक संदर्भ: एक्सॉन मोबिल और शेल जैसी पश्चिमी कंपनियों ने सुरक्षा जोखिम, अनुबंध विवाद और राजनीतिक अस्थिरता के कारण अपने हिस्से कम कर दिए।
रणनीति में बदलाव: इराक ने स्थिर शुल्क अनुबंधों से हटकर लाभ-साझा अनुबंध लागू किए ताकि निवेश और परियोजनाओं का विकास तेजी से हो सके।
प्रमुख घटनाक्रम:
चीन की स्वतंत्र कंपनियों का उभार: जिओ-जे़ड पेट्रोलियम कॉर्प, यूनाइटेड एनर्जी ग्रुप, झोंगमैन पेट्रोलियम एंड नेचुरल गैस ग्रुप, और एंटन ऑयलफ़ील्ड सर्विसेज ग्रुप जैसी कंपनियों ने इराक की हालिया अन्वेषण लाइसेंस नीलामी में आधे ब्लॉक जीते।
उत्पादन लक्ष्य: इराक 2029 तक तेल उत्पादन को 60 लाख बैरल प्रतिदिन से अधिक करने का लक्ष्य रखता है।
स्वतंत्र चीनी कंपनियों की विशेषताएँ:
कम लागत (सस्ता चीनी श्रम और उपकरण)
तेज़ परियोजना निष्पादन (2–3 साल बनाम पश्चिमी कंपनियों के 5–10 साल)
अस्थिर क्षेत्रों में उच्च जोखिम सहने की क्षमता
प्रतिस्पर्धी वित्तीय सहायता और कम लाभ मार्जिन पर भी दीर्घकालिक अनुबंध स्वीकार करने की प्रवृत्ति
रणनीतिक महत्व:
चीन के लिए:
घरेलू अवसर सीमित होने के बीच वैश्विक ऊर्जा उपस्थिति बढ़ाना
चीन की बढ़ती ऊर्जा जरूरतों के लिए दीर्घकालिक तेल आपूर्ति सुरक्षित करना
इराक के लिए:
तेल क्षेत्रों का तेजी से विकास और राजस्व में वृद्धि
निवेश में विविधता और प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा
वैश्विक तेल बाज़ार के लिए:
मध्य-पूर्व ऊर्जा बाजार में पश्चिमी कंपनियों से एशियाई (विशेषकर चीनी) कंपनियों की ओर शक्ति का स्थानांतरण
चुनौतियाँ और चिंताएँ:
तकनीकी मानक: सस्ती परियोजनाएँ उन्नत तकनीकों के परिचय को प्रभावित कर सकती हैं।
पारदर्शिता मुद्दे: अनुबंध प्रक्रिया और संचालन पद्धतियों में पारदर्शिता की कमी का खतरा।
स्थानीय रोज़गार: चीनी कर्मियों पर अत्यधिक निर्भरता और इराकी श्रमिकों के लिए सीमित उच्च-वेतन अवसरों की आलोचना।
भूराजनीतिक प्रभाव: चीन-इराक संबंधों की मजबूती से पश्चिमी प्रभाव में कमी आ सकती है।
आर्थिक और राजनीतिक निहितार्थ:
आर्थिक:
इराक को तेज़ी से तेल विकास का लाभ मिलेगा, लेकिन तकनीकी प्रगति धीमी हो सकती है।
चीनी कंपनियों को लाभदायक अनुबंध और संसाधन सुरक्षा प्राप्त होगी।
राजनीतिक:
इराक और खाड़ी क्षेत्र में चीन का प्रभाव बढ़ेगा।
यदि चीनी प्रभुत्व जारी रहा तो इराक के पश्चिमी देशों के साथ संबंध प्रभावित हो सकते हैं।
यह निवेश चीन की "बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (BRI)" रणनीति को भी मजबूती दे सकता है।
भविष्य की संभावनाएँ:
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