चीन की ई-कॉमर्स कंपनियाँ मूल्य युद्ध से जूझ रही हैं:

चीन की ई-कॉमर्स कंपनियाँ मूल्य युद्ध से जूझ रही हैं:

Static GK   /   चीन की ई-कॉमर्स कंपनियाँ मूल्य युद्ध से जूझ रही हैं:

Change Language English Hindi

द हिंदू: 09 सितंबर 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों ?

चीन की प्रमुख ई-कॉमर्स और फूड डिलीवरी कंपनियाँ जैसे अलीबाबा, जे.डी.कॉम और मेइतुआन “इंस्टेंट रिटेल” (एक घंटे में डिलीवरी) बाजार में आक्रामक मूल्य युद्ध में लगी हुई हैं।

इसके कारण भारी नकद हानि, मुनाफे में गिरावट और निवेशकों की चिंता बढ़ रही है।

चीन के नियामक (Regulators) भी अत्यधिक मूल्य प्रतिस्पर्धा रोकने के लिए दखल दे रहे हैं, क्योंकि इससे देश की मुद्रास्फीति घटने (Deflation) और उपभोक्ता मांग कमजोर होने का खतरा है।

 

पृष्ठभूमि:

चीन की अर्थव्यवस्था पहले से ही कमजोर प्रॉपर्टी बाजार, युवाओं की बेरोजगारी और कमजोर उपभोक्ता मांग से जूझ रही है।

कंपनियाँ उपभोक्ताओं को आकर्षित करने के लिए भारी छूट, कूपन और सब्सिडी का सहारा ले रही हैं।

“इंस्टेंट रिटेल” यानी एक घंटे की डिलीवरी का बाजार बहुत तेजी से बढ़ रहा है और अब यह कंपनियों का नया युद्धक्षेत्र बन गया है।

 

मुख्य समस्याएँ:

लाभप्रदता की चुनौती –

विश्लेषकों का मानना है कि आने वाले 12–24 महीनों में मुनाफे का स्तर और नीचे जा सकता है।

जे.डी.कॉम की डिलीवरी से हुई हानि ने उसकी तिमाही कमाई लगभग खत्म कर दी; मेइतुआन सबसे ज्यादा प्रभावित है क्योंकि इसका मुख्य व्यवसाय फूड डिलीवरी है।

 

नकद हानि (Cash Burn) –

सिर्फ दूसरी तिमाही (Q2) में उद्योग को लगभग 4 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ।

आने वाले 12–18 महीनों में 160 बिलियन युआन (22.3 बिलियन डॉलर) खर्च होने का अनुमान है।

 

नियामकीय दबाव –

चीन की सरकार को डर है कि यह “रेस टू द बॉटम” कीमतों की होड़ अर्थव्यवस्था को और कमजोर कर सकती है।

कंपनियों ने सरकार के “एंटी-इनवोल्यूशन उपायों” का पालन करने और मूल्य युद्ध को नियंत्रित करने का वादा किया है।

 

आर्थिक असर –

अगर यह मूल्य युद्ध लंबे समय तक चलता रहा तो चीन में डिफ्लेशन का दबाव बढ़ सकता है।

निवेशकों का भरोसा डगमगा सकता है।

 

कंपनियों पर प्रभाव:

मेइतुआन → सबसे ज्यादा प्रभावित क्योंकि इसका राजस्व मुख्य रूप से फूड डिलीवरी से आता है।

जे.डी.कॉम → डिलीवरी घाटे से मुनाफा प्रभावित, लेकिन तिमाही में ग्राहक संख्या 40% बढ़ी।

अलीबाबा → अपेक्षाकृत कम प्रभावित, पर फिर भी भारी निवेश कर रहा है; उम्मीद है कि लंबे समय में GMV (Gross Merchandise Volume) बढ़ेगा।

पिंडुओडुओ (PDD) → सीधे मूल्य युद्ध में शामिल नहीं, लेकिन उसकी लो-कॉस्ट बढ़त अब खतरे में है।

 

दीर्घकालिक दृष्टिकोण:

कंपनियाँ मानती हैं कि अभी का छोटे समय का नुकसान, भविष्य में बड़ा फायदा देगा।

अलीबाबा का अनुमान है कि अगले तीन सालों में इंस्टेंट रिटेल से 1 ट्रिलियन युआन की अतिरिक्त बिक्री होगी।

रणनीतिक लक्ष्य: फूड डिलीवरी यूजर्स को स्थायी ई-कॉमर्स ग्राहक में बदलना।

लेकिन अगर सरकार ने और सख्ती दिखाई तो कंपनियों को जल्द ही संतुलित मूल्य निर्धारण अपनाना पड़ सकता है।

 

घरेलू और वैश्विक महत्व:

घरेलू (चीन): उपभोक्ता मांग की कमजोरी और सरकार के लिए विकास व स्थिरता के बीच संतुलन की चुनौती को दर्शाता है।

वैश्विक: चीन के टेक सेक्टर पर दुनिया के निवेशकों की नजर है; लंबी मूल्य युद्ध से स्टॉक वैल्यूएशन और सप्लाई चेन साझेदारी प्रभावित हो सकती है।

 

आगे का रास्ता:

  • नियामकीय निगरानी और बढ़ सकती है।
  • कंपनियों को विकास और मुनाफे में संतुलन बनाना होगा।
  • छोटे खिलाड़ियों का बाहर होना तय है, और बड़े प्लेटफॉर्म ही हावी रहेंगे।
  • रणनीति में बदलाव होगा – केवल छूट देने के बजाय ग्राहक निष्ठा, इकोसिस्टम एकीकरण और दक्षता पर ध्यान बढ़ेगा।

 

निष्कर्ष:

चीन का “इंस्टेंट रिटेल युद्ध” एक ओर भविष्य के लिए बड़ा अवसर है तो दूसरी ओर तत्काल वित्तीय खतरा भी। फिलहाल भारी नुकसान और सरकारी दबाव कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती हैं। आने वाले समय में यही तय करेगा कि चीन की डिजिटल अर्थव्यवस्था का स्वरूप कैसा होगा।

 

 

Other Post's
  • उत्तर पश्चिम भारत में मार्च में अधिक वर्षा क्यों हो रही है?

    Read More
  • व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट

    Read More
  • चुनावी सुधार क्यों ज़रूरी हैं?

    Read More
  • जन सुरक्षा योजनाओं के आठ वर्ष

    Read More
  • महत्वपूर्ण राष्ट्रीय उद्यान, पक्षी और वन्यजीव अभयारण्य

    Read More