सीके हचिसन बंदरगाह की बिक्री में चीन की हिस्सेदारी दबाव कम कर सकती है।

सीके हचिसन बंदरगाह की बिक्री में चीन की हिस्सेदारी दबाव कम कर सकती है।

Static GK   /   सीके हचिसन बंदरगाह की बिक्री में चीन की हिस्सेदारी दबाव कम कर सकती है।

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द हिंदू: 30 जुलाई 2025 को प्रकाशित।

 

चर्चा में क्यों है?

हांगकांग स्थित कंपनी CK Hutchison ने 23 देशों में फैले 43 वैश्विक बंदरगाहों (जिनमें पनामा नहर के पास स्थित प्रमुख बंदरगाह भी शामिल हैं) को एक समूह को बेचने की घोषणा की है, जिसका नेतृत्व अमेरिकी कंपनी BlackRock और इटली की MSC कर रही है। इस सौदे पर चीन की नाराजगी के बीच अब चीनी सरकारी स्वामित्व वाली शिपिंग कंपनी COSCO को एक अतिरिक्त हिस्सेदार के रूप में शामिल करने पर विचार किया जा रहा है। यह घटनाक्रम ऐसे समय में हो रहा है जब अमेरिका-चीन व्यापार तनाव चरम पर हैं, जिससे भू-राजनीतिक और वाणिज्यिक चिंताएं उत्पन्न हो गई हैं।

 

पृष्ठभूमि:

CK Hutchison के पास वैश्विक स्तर पर विशाल बंदरगाह संपत्ति है। इस संपत्ति का मुख्यतः पश्चिमी कंपनियों को बेचा जाना चीन के लिए चिंता का विषय बना, क्योंकि इससे उसकी रणनीतिक प्रभाव क्षमता कमजोर हो सकती है। विशेष रूप से पनामा नहर संवेदनशील क्षेत्र है — अमेरिका का लगभग 40% कंटेनर ट्रैफिक (मूल्य: 270 अरब डॉलर) इसी मार्ग से गुजरता है। पूर्व में ट्रंप प्रशासन ने ऐसे रणनीतिक क्षेत्रों (जैसे पनामा नहर के पास बंदरगाह) पर चीन के नियंत्रण को सीमित करने के प्रयास किए थे।

 

प्रमुख मुद्दे:

भूराजनैतिक तनाव: यह बंदरगाह सौदा अमेरिका और चीन के बीच वैश्विक व्यापार अधोसंरचना पर शक्ति संघर्ष को दर्शाता है।

COSCO की भागीदारी: यद्यपि विवादास्पद है, लेकिन COSCO को शामिल करना पश्चिमी वर्चस्व को संतुलित कर सकता है और चीन सरकार का दबाव कम कर सकता है।

नियामकीय अड़चनें: इस सौदे को लगभग 50 देशों/क्षेत्रों की मंजूरी की आवश्यकता है और इसे अंतिम रूप देने में दो वर्षों से अधिक का समय लग सकता है।

अस्पष्ट शर्तें: रिपोर्ट्स के अनुसार COSCO बड़ा हिस्सा चाहती है, लेकिन अन्य समूह सदस्य चाहते हैं कि वह अल्पांशधारी (minority stakeholder) ही बनी रहे।

 

रणनीतिक निहितार्थ: 

यदि COSCO को शामिल किया गया, तो यह संकेत देगा:

चीन की समुद्री व्यापार में रणनीतिक हितों की पुनः पुष्टि।

भू-राजनीतिक तनावों को कम करने का एक समझौता समाधान।

वैश्विक बंदरगाह अधोसंरचना और नौवहन मार्गों में चीन की प्रभावशीलता की पुनः स्थापना।

 

हितधारकों के दृष्टिकोण:

चीन: बंदरगाह सौदे से बाहर किए जाने को अपनी रणनीतिक पकड़ की हानि मानता है; COSCO की भागीदारी से राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक हितों की रक्षा संभव है।

अमेरिका और सहयोगी देश: COSCO को शामिल करने पर चिंतित हैं क्योंकि इससे चीनी निगरानी, सैन्य उपयोग, और आर्थिक प्रभुत्व की संभावना बढ़ जाती है।

CK Hutchison: संभवतः सभी वैश्विक हितधारकों को संतुष्ट कर सौदे को नियामकीय स्वीकृति दिलाने का प्रयास कर रही है।

 

वर्तमान स्थिति:

अभी तक कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन Reuters की दो सूत्रों की रिपोर्टों के अनुसार COSCO को निवेशक के रूप में गंभीरता से विचाराधीन माना जा रहा है। किसी भी अंतिम संरचना के लिए स्वामित्व, प्रभाव और नियामकीय स्वीकृति के बीच नाजुक संतुलन बनाना आवश्यक होगा। COSCO की भागीदारी की स्थिति में कुछ बंदरगाहों को मूल सौदे से बाहर किया जा सकता है ताकि भू-राजनीतिक संवेदनशीलताओं को संतुलित किया जा सके।

 

आगे क्या हो सकता है?

  • यदि यह सौदा सफल होता है, तो यह भविष्य के सीमा-पार रणनीतिक सौदों के लिए एक मिसाल बन सकता है, जिसमें प्रतिद्वंद्वी वैश्विक गुटों के खिलाड़ी शामिल हों। 
  • यह दिखाएगा कि राष्ट्रीय हितों और कड़े नियामकीय नियंत्रण के दौर में वैश्विक अवसंरचना सौदे कैसे किए जाते हैं।
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