चीन ने तेल भंडार निर्माण अभियान के बीच तेल भंडार स्थल निर्माण में तेज़ी लाई:

चीन ने तेल भंडार निर्माण अभियान के बीच तेल भंडार स्थल निर्माण में तेज़ी लाई:

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द हिंदू: 8 अक्टूबर 2025 को प्रकाशित।

 

खबर में क्यों?

चीन ने अपने कच्चे तेल के भंडार स्थलों (Oil Reserve Sites) के निर्माण को तेज कर दिया है। यह कदम रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक ऊर्जा आपूर्ति श्रृंखला में आए व्यवधान के मद्देनज़र ऊर्जा सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में उठाया गया है।

इस पहल का उद्देश्य चीन की ऊर्जा आत्मनिर्भरता और राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना है।

 

पृष्ठभूमि:

पहला भंडार (2006): चीन ने 2006 में अपनी रणनीतिक पेट्रोलियम भंडार योजना (SPR) शुरू की थी।

रूस-यूक्रेन युद्ध (2022): इस युद्ध के कारण तेल आपूर्ति मार्ग बदल गए, जिससे चीन की ऊर्जा निर्भरता उजागर हुई।

भू-राजनीतिक तनाव: रूस, ईरान और मध्य एशिया में अस्थिरता ने बीजिंग की ऊर्जा सुरक्षा चिंताओं को और बढ़ा दिया।

 

प्रमुख घटनाक्रम:

भंडारण क्षमता में वृद्धि:

169 मिलियन बैरल क्षमता के 11 स्थलों का निर्माण 2025–2026 में होगा।

अब तक 37 मिलियन बैरल क्षमता बन चुकी है।

पूर्ण होने पर यह भंडार चीन के दो सप्ताह के तेल आयात के बराबर होगा।

 

भंडारण दर:

2025 में चीन रोज़ाना 5,30,000 बैरल तेल स्टॉक कर रहा है।

 

कानूनी एकीकरण:

जनवरी 2025 में एक नया कानून पारित हुआ, जिसके तहत सरकारी और वाणिज्यिक भंडार को मिलाकर “राष्ट्रीय भंडार (National Reserve)” बनाया गया।

 

चीन के लिए रणनीतिक महत्व:

ऊर्जा सुरक्षा: तेल आयात पर निर्भरता घटाकर आपूर्ति व्यवधान के जोखिम को कम करता है।

मूल्य लाभ: $70 प्रति बैरल से कम कीमत पर भंडारण आर्थिक रूप से लाभदायक है।

आपातकालीन तैयारी: वैश्विक संकट के समय पर्याप्त तेल उपलब्ध रहेगा।

नवीन ऊर्जा संक्रमण: यह योजना नवीकरणीय ऊर्जा में संक्रमण के दौरान स्थिरता प्रदान करती है।

 

वैश्विक प्रभाव:

तेल कीमत स्थिरता: चीन की खरीद से वैश्विक तेल कीमतों को सहारा मिलता है।

भू-राजनीतिक प्रभाव: चीन की मोलभाव शक्ति बढ़ती है।

पारदर्शिता की कमी: वास्तविक भंडार पर चीन की गोपनीयता से बाजार में अनिश्चितता बनी रहती है।

 

भविष्य की संभावनाएँ:

चीन की तेल खपत 2027 तक चरम पर पहुँचने की संभावना है।

2026 की पहली तिमाही तक यह भंडारण अभियान जारी रहेगा।

दीर्घकाल में, चीन का मॉडल अन्य देशों के लिए ऊर्जा सुरक्षा ढांचे का उदाहरण बन सकता है।

 

निष्कर्ष:

  • चीन का यह कदम उसकी रणनीतिक सतर्कता और ऊर्जा नीति की दूरदर्शिता को दर्शाता है।
  • यह न केवल चीन को आंतरिक ऊर्जा सुरक्षा देता है, बल्कि वैश्विक बाजार को भी स्थिरता प्रदान करता है।
  • यह रणनीति फॉसिल फ्यूल और नवीकरणीय ऊर्जा के बीच संतुलन की दिशा में चीन की तैयारी को भी दर्शाती है।
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