द हिंदू: 6 नवंबर 2025 को प्रकाशित।
समाचार में क्यों
भारत सरकार वर्ष 2026 में पहला राष्ट्रीय “घरेलू आय सर्वेक्षण (Household Income Survey)” करने जा रही है। इसका उद्देश्य सीधे तौर पर परिवारों की आय का पता लगाना है। पहले के सर्वेक्षणों में आय का अनुमान खर्च या रोजगार से लगाया जाता था। लेकिन यह सर्वेक्षण संवेदनशील प्रश्नों के कारण चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है, क्योंकि कई लोग अपनी वास्तविक आय बताने में असहज महसूस करते हैं।
पृष्ठभूमि:
अब तक आय से संबंधित जानकारी के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों पर निर्भरता रही है—
PLFS (Periodic Labour Force Survey): मजदूरी और रोजगार का विश्लेषण करता है।
HCES (Household Consumption Expenditure Survey): खर्च से आय का अनुमान लगाता है।
RBI का उपभोक्ता विश्वास सर्वे: आय में बदलाव के रुझानों को दर्शाता है।
इनमें से कोई भी सर्वेक्षण आय का प्रत्यक्ष मापन नहीं करता था। नया सर्वे इस कमी को पूरा करेगा।
सर्वेक्षण के उद्देश्य:
परिवारों की वास्तविक आय का प्रत्यक्ष संग्रह।
सामाजिक और आर्थिक वर्गों के बीच आय असमानता का अध्ययन।
ऋण, ईएमआई और सरकारी योजनाओं पर खर्च का विश्लेषण।
नीति निर्माताओं को यथार्थपरक डेटा प्रदान करना।
सर्वेक्षण की रूपरेखा:
यह सर्वे विस्तृत जानकारी एकत्र करेगा जैसे—
रोजगार के प्रकार: स्थायी, अस्थायी, या स्व-रोजगार।
आय के घटक: वेतन, बोनस, ओवरटाइम, स्टॉक विकल्प, सेवा समाप्ति भत्ता।
कृषि विवरण: फसल का प्रकार, मात्रा और बिक्री मूल्य।
संपत्ति और ऋण: भूमि, मकान और उधार की जानकारी।
खर्च: बीज, श्रम, परिवहन, किराया, रखरखाव आदि।
हस्तांतरण: पेंशन, सहायता राशि, और सरकारी योजनाओं से प्राप्त धन।
यह “किसानों की आय दोगुनी” जैसी सरकारी योजनाओं की वास्तविकता जांचने में सहायक होगा।
प्रमुख चुनौतियाँ:
गोपनीयता की चिंता: 95% उत्तरदाताओं ने आय संबंधी प्रश्नों को असुविधाजनक बताया।
डेटा की सटीकता: कई लोगों ने सही जानकारी देने से इंकार किया या गलत आंकड़े बताए।
स्मृति त्रुटि: लोग ब्याज, जमा राशि या कर की जानकारी याद नहीं रख पाए।
ग्रामीण बनाम शहरी भिन्नता: ग्रामीणों ने सरलता से उत्तर दिए, जबकि अमीर परिवारों ने अधिक प्रश्न पूछे।
फील्ड स्टाफ की चुनौती: स्थानीय भाषा में संवाद की आवश्यकता।
सरकारी कदम:
सर्वेक्षण के उद्देश्य पर जन-जागरूकता अभियान चलाना।
स्थानीय कर्मचारियों की नियुक्ति ताकि भरोसा बने।
अमीर वर्गों के लिए स्व-प्रविष्टि प्रणाली (self-compilation system) लागू करना।
उत्तरदाताओं को डेटा गोपनीयता का भरोसा देना।
संभावित प्रभाव:
भारत में आय असमानता और वर्गीय गतिशीलता की सटीक तस्वीर मिलेगी।
सरकार कर नीतियों, कल्याण योजनाओं और विकास कार्यक्रमों को अधिक लक्षित कर सकेगी।
परंतु यदि उत्तरदाता सही जानकारी नहीं देंगे, तो परिणाम विकृत हो सकते हैं।
निष्कर्ष:
घरेलू आय सर्वेक्षण 2026 भारत की सामाजिक-आर्थिक समझ को नई दिशा दे सकता है। इसकी सफलता विश्वास, गोपनीयता और सही प्रशिक्षण पर निर्भर करेगी। यदि सही ढंग से किया गया, तो यह भारत की समावेशी नीति निर्माण प्रक्रिया में मील का पत्थर साबित होगा।