द हिंदू: 2 मई 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों?
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने घोषणा की कि वह सिंधु जल संधि (IWT) को तत्काल प्रभाव से स्थगित (abeyance) कर रहा है।
इस घोषणा ने यह सवाल खड़ा किया कि क्या भारत एकतरफा तौर पर इस संधि को निलंबित या समाप्त कर सकता है, और इसका पाकिस्तान पर क्या प्रभाव पड़ेगा, जो सिंधु नदी प्रणाली पर अत्यधिक निर्भर है।
कानूनी आधार:
a) सिंधु जल संधि, 1960
विश्व बैंक की मध्यस्थता से बनी यह संधि भारत और पाकिस्तान को नदियों का विभाजन करती है:
भारत को: रावी, ब्यास, सतलुज (पूर्वी नदियाँ) — पूर्ण अधिकार
पाकिस्तान को: सिंधु, झेलम, चेनाब (पश्चिमी नदियाँ) — विशेष उपयोग अधिकार
अनुच्छेद XII:
संधि को एकतरफा बदला या समाप्त नहीं किया जा सकता
इसे दोनों देशों की सहमति से विधिवत संधि के माध्यम से ही समाप्त किया जा सकता है
b) वियना संधि कानून सम्मेलन (Vienna Convention on the Law of Treaties - VCLT), 1969
भारत ने इसे औपचारिक रूप से अंगीकार नहीं किया, लेकिन यह अंतरराष्ट्रीय प्रथागत कानून (customary international law) माना जाता है
अनुच्छेद 62: यदि संधि के समय की परिस्थितियों में मूलभूत परिवर्तन (fundamental change) हो तो संधि को निलंबित किया जा सकता है
हालांकि, इसकी सीमा बहुत कठोर है और इसे साबित करना कठिन होता है
c) “Abeyance” बनाम “Suspension”
"Abeyance" शब्द अंतर्राष्ट्रीय कानून में मान्यता प्राप्त नहीं है
संभवतः भारत ने "Suspension" (निलंबन) का ही आशय व्यक्त किया है, न कि समाप्ति का
निलंबन = अस्थायी रोक, समाप्ति नहीं
क्या भारत इसे एकतरफा निलंबित कर सकता है?
कानूनी रूप से — नहीं। संधि को समाप्त करने के लिए दोनों पक्षों की सहमति अनिवार्य है
निलंबन भी तभी संभव है जब कोई मूलभूत परिवर्तन साबित किया जा सके, जो प्रशंसनीय और प्रत्यक्ष रूप से संधि के उद्देश्य से जुड़ा हो
Gabcíkovo-Nagymaros परियोजना में ICJ ने राजनीतिक और आर्थिक परिवर्तन को अपर्याप्त माना था
पाकिस्तान पर प्रभाव:
80% कृषि और लगभग 1/3 जलविद्युत उत्पादन सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर
भारत के पास अभी भी बड़ी जल संग्रहण क्षमता नहीं है
केवल run-of-the-river हाइड्रो पावर प्लांट हैं जो पानी का संग्रहण नहीं करते
संभावित प्रभाव:
जल प्रवाह में अनिश्चितता → कृषि संकट
Drawdown flushing जैसे उपाय → नीचे के इलाकों में बाढ़ जैसी स्थिति
पाकिस्तान की आर्थिक और सामाजिक स्थिरता पर खतरा
रणनीतिक और कूटनीतिक प्रभाव:
भारत-पाक संबंधों में तनाव बढ़ सकता है
संयुक्त राष्ट्र, विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत की स्थिति पर सवाल
पाकिस्तान की जवाबी कार्रवाई की संभावना
भारत की वैश्विक छवि और संधि पालन की विश्वसनीयता पर असर