बौद्ध धर्म, जैन धर्म और बिहार

बौद्ध धर्म, जैन धर्म और बिहार

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बौद्ध धर्म और बिहार

 

गौतम बुद्ध – मुख्य तथ्य

  • जन्म लुंबिनी, कपिलवस्तु (नेपाल) में, सक्य कुल में।
  • पिता: सुद्धोधन, माता: मायादेवी, पालक माता: प्रजापति गौतमी
  • 16 वर्ष में विवाह: यशोधरा, पुत्र: राहुल
  • 29 वर्ष में चार द्रश्य देखने के बाद गृहत्याग: वृद्ध, रोगी, शव और संन्यासी।
  • 35 वर्ष में बोधि वृक्ष के नीचे निर्वाण प्राप्त किया
  • पहला उपदेश सारनाथ में; निधन कुशीनगर में, आयु 80 वर्ष।
  • प्रमुख शिष्य: सरीपुत्र, मोग्गलाना, आनंद, कास्सपा, उपलि

 

बौद्ध साहित्य

  • अभिधम्म पिटक – बौद्ध दर्शन।
  • सुत्त पिटक – बुद्ध के उपदेश (5 निकाय)।
  • विनय पिटक – भिक्षु/भिक्षुणियों के नियम।\
  • जातक कथाएँ – बुद्ध के अतीत जन्म की कहानियाँ।
  • मिलिंदपन्हा – नागसेन के संवाद।
  • भाषा: पाली, संकलन: त्रिपिटक (तीसरे बौद्ध परिषद में)

 

मुख्य शिक्षाएँ

  • अष्टांगिक मार्ग: सम्यक दृष्टि, संकल्प, वाक्, कर्म, आजीविका, प्रयास, स्मृति, समाधि।

  • चार आर्य सत्य: जीवन दुःखपूर्ण है।; इच्छाएँ दुःख और पुनर्जन्म का कारण।; इच्छाओं का अंत दुःख का अंत।; निर्वाण प्राप्ति अष्टांगिक मार्ग से संभव।

 

बौद्ध परिषद

  • प्रथम परिषद (483 ईसा पूर्व, राजगीर) – सुत्त और विनय संरक्षित।
  • द्वितीय परिषद (383 ईसा पूर्व, वैशाली) – पहला बड़ा विभाजन: थेरवाद और महायान
  • तृतीय परिषद (250 ईसा पूर्व, पाटलिपुत्र) – अशोक, अभिधम्म पिटक जोड़ा; स्तविरवाद स्थापित।
  • चतुर्थ परिषद (72 ईसवी, कश्मीर) – कनिष्क, महायान और हिनयान में विभाजन।

 

जैन धर्म और बिहार

 

परिचय

  • प्राचीन धर्म; नाम ‘जिन’ से लिया गया (मोक्षदाता)।
  • 24 जीन/तीर्थंकरों की पूजा; वेदिक authority अस्वीकार।
  • प्रमुख ग्रंथ: तत्त्वार्थ सूत्र – उमास्वती।
  • वलाभि परिषद (512 ई.) – जैन शास्त्रों का मानकीकरण।

 

वर्धमान महावीर (540–468 ईसा पूर्व)

  • जन्म: कुंडग्राम, वैशाली, माता-पिता: सिद्धार्थ और त्रिशला
  • पत्नी: यसोदा; 13 वर्षों की तपस्या के बाद केवल ज्ञान (Kevala Jnana) प्राप्त।
  • 30 वर्ष तक जैन धर्म का प्रचार; निधन: पावापुरी, राजगीर, आयु 72।

 

जैन धर्म का प्रसार

  • दो प्रमुख सम्प्रदाय: श्वेतांबर (सफेद वस्त्र), दिगंबर (नग्न/आकाशवस्त्र)
  • प्रथम परिषद – पाटलिपुत्र, नेता: स्थुलभद्र, 3री शताब्दी ईसा पूर्व।
  • द्वितीय परिषद – वलाभि, 5वीं शताब्दी; 12 अंग संकलित।
  • संघ में पुरुष और महिलाएँ शामिल; महावीर की शिक्षाएँ चंद्रगुप्त मौर्य, खरवेला आदि द्वारा बढ़ावा।
  • भद्रबाहु ने 12,000 अनुयायियों को अकाल के समय दक्षिण भेजा; लौटने पर श्वेतांबर और दिगंबर अलग हुए।
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