द हिंदू: 15 अप्रैल 2025 को प्रकाशित:
समाचार में क्यों? (Why in News)
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की Underwater Archaeology Wing की एक 9-सदस्यीय टीम ने गुजरात के द्वारका और बेट द्वारका में तटीय और समुद्र के अंदर खुदाई और अध्ययन कार्य शुरू किया है।
इसका उद्देश्य है डूबी हुई पुरातात्विक वस्तुओं की खोज, दस्तावेजीकरण और वैज्ञानिक विश्लेषण के माध्यम से उनकी प्राचीनता का निर्धारण करना।
इस अभियान का उद्देश्य क्या है?
डूबी हुई और तटीय पुरातात्विक वस्तुओं की पहचान और अध्ययन।
ग्रहण की गई वस्तुओं की आयु और ऐतिहासिक महत्व को निर्धारित करना।
पूर्व में (2005–2007) की गई खुदाई की सीमा को विस्तार देना।
द्वारका की सांस्कृतिक विरासत और ऐतिहासिक स्थिति को प्रमाणित करना।
द्वारका क्यों महत्वपूर्ण है?
भगवान श्रीकृष्ण की नगरी के रूप में प्रसिद्ध।
महाभारत और हरिवंश पुराण जैसे ग्रंथों में द्वारका का उल्लेख।
सप्तपुरी (हिंदू धर्म की सात पवित्र नगरी) में से एक।
ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण।
वर्तमान अभियान की जानकारी:
ASI की 9-सदस्यीय टीम द्वारा द्वारका और बेट द्वारका क्षेत्रों में जल-तल और भूमि पर खोज।
उपयोग की जा रही तकनीकें:
तलछट और समुद्री अवशेषों का वैज्ञानिक विश्लेषण
गोताखोरी द्वारा खोज
स्थलों की फोटोग्राफी और दस्तावेजीकरण
फरवरी 2025 में भी गोमती क्रीक के पास 5-सदस्यीय टीम ने प्रारंभिक सर्वेक्षण किया था।
पूर्व की खुदाई (2005–2007) में क्या मिला?
प्राचीन मूर्तियाँ, पत्थर के लंगर, मृद्भांड, तांबे और लोहे की वस्तुएं, मनके, अंगूठियाँ आदि।
खुदाई द्वारकाधीश मंदिर के उत्तरी गेट के पास की गई थी।
10 मीटर की गहराई में 26 परतें खुदाई में पाई गईं।
समुद्र में पाई गई वस्तुएं कैल्शियम जमा और समुद्री वनस्पतियों से ढकी हुई थीं, जिन्हें सावधानी से साफ किया गया।
वर्तमान अध्ययन का दायरा:
खोज कार्य का विस्तार अब ओखामंडल क्षेत्र तक किया जाएगा।
नए संभावित स्थलों की पहचान, गोताखोरी, दस्तावेजीकरण और वैज्ञानिक विश्लेषण किया जाएगा।
उद्देश्य है — द्वारका के ऐतिहासिक विकास की बेहतर समझ प्राप्त करना।
महत्वपूर्ण क्यों है यह खोज?
यह परियोजना पौराणिक कथाओं को वैज्ञानिक प्रमाणों से जोड़ने की संभावना प्रदान करती है।
शास्त्रों में वर्णित द्वारका के जलमग्न होने की घटनाओं की पुष्टि करने की दिशा में प्रयास।
भारत में समुद्री पुरातत्व के क्षेत्र को नया आयाम देने वाला प्रयास।
निष्कर्ष:
ASI का यह नवीनतम अभियान द्वारका की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्ता को उजागर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयास है। यह न केवल भारतीय इतिहास को बेहतर समझने में सहायक होगा, बल्कि पौराणिक विश्वासों की ऐतिहासिक सच्चाई की जांच का भी एक जरिया बनेगा।
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