द हिंदू: 6 मार्च 2025 को प्रकाशित:
यह खबर में क्यों है?
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर अपनी नीति में बड़ा बदलाव किया है, जिससे कीव (यूक्रेन) और वाशिंगटन (अमेरिका) के बीच तनाव बढ़ गया है।
अमेरिका ने यूक्रेन के लिए सैन्य सहायता रोक दी है, जिससे यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की को रूस के साथ आंशिक युद्धविराम पर विचार करने के लिए मजबूर होना पड़ा।
अमेरिका और रूस के बीच सीधे वार्ता शुरू हो गई है, जिसमें यूक्रेन और यूरोपीय देशों को दरकिनार कर दिया गया है।
यह बदलाव नाटो (NATO) की भूमिका और यूक्रेन के प्रति अमेरिका की दीर्घकालिक प्रतिबद्धता पर सवाल उठाता है, जबकि रूस युद्ध के मैदान में अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है।
युद्ध की पृष्ठभूमि: यह युद्ध कैसे शुरू हुआ?
रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन पर आक्रमण किया, यह सोचकर कि वह कुछ ही दिनों में जीत हासिल कर लेगा।
शुरुआत में, पश्चिमी देशों ने यूक्रेन की क्षमता को कम आंका, लेकिन बाद में उन्होंने सैन्य सहायता और रूस पर प्रतिबंधों के साथ हस्तक्षेप किया।
जो बाइडेन प्रशासन ने युद्ध के खिलाफ दो प्रमुख रणनीतियाँ अपनाईं:
2022 के अंत तक, यूक्रेन ने खार्किव और खेरसॉन में रूसी सेना को पीछे हटने के लिए मजबूर कर दिया।
लेकिन इसके जवाब में, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने युद्ध को और तेज कर दिया, चार यूक्रेनी क्षेत्रों (डोनेट्स्क, लुहान्स्क, ज़ापोरी झिझिया, और खेरसॉन) का अधिग्रहण कर लिया और सेना को मजबूत करने के लिए नई भर्ती शुरू की।
वर्तमान स्थिति: युद्ध किस दिशा में जा रहा है?
ट्रंप ने अमेरिका की नीति क्यों बदली?
ट्रंप ने अपने चुनावी अभियान में यह वादा किया था कि वे इस युद्ध को जल्दी खत्म करेंगे।
ट्रंप प्रशासन की नई नीति के मुख्य बिंदु:
ट्रंप रूस को अब कोई बड़ा खतरा नहीं मानते, बल्कि वे चीन को अमेरिका के लिए सबसे बड़ी चुनौती मानते हैं।
यूरोप की प्रतिक्रिया: क्या यूरोप यूक्रेन का समर्थन कर सकता है?
अमेरिका की नीति में बदलाव से यूरोपीय देश चौंक गए हैं।
ऊर्जा संकट, बढ़ती महंगाई और आर्थिक मंदी के कारण यूरोप पहले से ही कमजोर स्थिति में है।
यूरोप के सामने दो बड़ी चुनौतियाँ हैं:
यूक्रेन के लिए आगे क्या विकल्प हैं?
यूक्रेन गंभीर संकट में है:
संभावित विकल्प:
अगर यूक्रेन युद्ध जारी रखता है, तो वह और अधिक क्षेत्र खो सकता है।
अगर वह शांति वार्ता करता है, तो उसे रूस और अमेरिका द्वारा तय शर्तों को मानना होगा।
निष्कर्ष: