सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने न्यायाधीशों, सांसदों, विधायकों, नौकरशाहों, पत्रकारों और प्रतिष्ठित व्यक्तियों को 2005 में 245 एकड़ सार्वजनिक भूमि आवंटित करके उन्हें "समाज के योग्य वर्ग" घोषित करने के बाद "धूर्ततापूर्वक" राज्य की उदारता का दिखावा किया।
भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ ने 64 पृष्ठ के फैसले में आवंटन को 'असंवैधानिक' और 'मनमाना' घोषित किया।
मुख्य न्यायाधीश खन्ना ने कहा कि न केवल इन वर्गों के लोगों को भूमि तरजीही आधार पर आवंटित की गई, बल्कि ऐसी भूमि की कीमत भी प्रचलित बाजार दर के बजाय मूल दर पर छूट के साथ दी गई।