संसद ने वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2025 पारित किया, जिसे राज्यसभा ने 12 घंटे की लंबी बहस के बाद मंजूरी दी।
इस विधेयक का उद्देश्य पारदर्शिता सुनिश्चित करना, धरोहर स्थलों की रक्षा करना, स्थानीय अधिकारियों के साथ समन्वय बढ़ाना और वक्फ प्रशासन में विभिन्न मुस्लिम वर्गों को शामिल करना है।
इस विधेयक का प्रमुख उद्देश्य गरीब मुसलमानों, विशेष रूप से विधवाओं और तलाकशुदा महिलाओं की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को बेहतर बनाना है।
भाजपा ने इस विधेयक को गरीबों के हित में और सुधारात्मक बताया, जबकि कांग्रेस, डीएमके, टीएमसी, आप जैसी कई विपक्षी पार्टियों ने इसे धर्मनिरपेक्षता विरोधी और असंवैधानिक बताया।
वक्फ परिषद में 22 सदस्य होंगे (अधिकतम 4 गैर-मुस्लिम), और वक्फ बोर्ड में 11 सदस्य होंगे (अधिकतम 3 गैर-मुस्लिम), ताकि यह एक धर्मनिरपेक्ष लेकिन मुस्लिम बहुल निकाय बना रहे।
संसद ने मुसलमान वक्फ (निरसन) विधेयक, 2025 भी पारित किया, जिससे पुराना मुसलमान वक्फ अधिनियम, 1923 समाप्त हो गया।