Category : Science and TechPublished on: April 15 2024
Share on facebook
नासा ने 8 अप्रैल को उत्तरी अमेरिका में दिखाई देने वाले सूर्य ग्रहण के दौरान तीन 'एटमॉस्फेरिक पर्टर्बेशन अराउंड एक्लिप्स पाथ (एपीईपी)' साउंडिंग रॉकेट लॉन्च किए, ताकि यह अध्ययन किया जा सके कि जब ग्रह के एक हिस्से पर सूरज की रोशनी क्षण भर के लिए कम हो जाती है तो पृथ्वी का ऊपरी वायुमंडल कैसे प्रभावित होता है।
इस मिशन का नेतृत्व भारत में जन्मे शोधकर्ता आरोह बड़जात्या ने किया था ।
आरोह बड़जात्या इंजीनियरिंग भौतिकी के प्रोफेसर और एम्ब्री-रिडल एयरोनॉटिकल यूनिवर्सिटी (ईआरएयू) में अंतरिक्ष और वायुमंडलीय इंस्ट्रुमेंटेशन लैब के निदेशक हैं।
उनका जन्म एक केमिकल इंजीनियर अशोक कुमार बड़जात्या और एक गृहिणी राजेश्वरी के घर हुआ था। उनकी बहन अपूर्वा बड़जात्या एक मैकेनिकल इंजीनियर हैं। आरोह ने अपनी स्कूली शिक्षा मुंबई के पास पातालगंगा में की और बाद में हैदराबाद , जयपुर, पिलानी, सोलापुर के स्कूलों में गए और वालचंद इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सोलापुर से अपनी इलेक्ट्रॉनिक्स इंजीनियरिंग पूरी की।